Monday Motivation: सुरेश गोपी सिर्फ सुपरस्टार नहीं, बाजीगर भी हैं! एक्टर के पास है हारकर भी जीत तक पहुंचने का कमाल का हुनर
Monday Motivation: मोदी 3.0 कैबिनेट की लिस्ट में जगह बनाने वाले सुरेश गोपी के बारे में बहुत सी बातें हैं जो आपको जाननी चाहिए. आपको ये भी जानना चाहिए कि कैसे वो सुपरस्टार के दर्जे से आगे पहुंच चुके हैं
Monday Motivation: 9 जून, रविवार को पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उनके बाद यहां शपथ लेने वालों में से एक नाम सुरेश गोपी का भी था. सुरेश गोपी ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.
वो केरल के त्रिशूर से बीजेपी की ओर से 2024 लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार थे. उन्होंने यहां जीत हासिल की और इस जीत के साथ एक रिकॉर्ड भी बना दिया.
केरल में दशकों से बीजेपी अपने एक सांसद के लिए तरस रही थी, लेकिन सूखा ही पड़ा रहा. सुरेश गोपी ने उस सूखे को खत्म किया और उनकी वजह से ही पहली बार केरल में कमल खिल पाया. वो केरल में बीजेपी की ओर से बनने वाले पहले सांसद हैं.
वो सिर्फ इसलिए खास नहीं हैं क्योंकि वो पहले बीजेपी सांसद हैं. खास है उनका फिल्मी और पॉलिटिकल करियर. पीछे जाकर देखने में पता चलता है कि किस तरह वो दशकों से लोगों के दिलों में राज करने में कामयाब होते रहे हैं.
हालांकि, इस दौरान उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कमाल की बात ये है कि वो राख से उठकर खड़े हो जाने वाले किसी शक्तिशाली ड्रैगन की तरह हैं.
वो हर बार वापसी करते रहे और पंखों को बड़ी शान से फड़फड़ाते रहे. उनकी पूरी लाइफ का सारांश यहां समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे लोकसभा चुनावों में उनकी जीत किसी के लिए भी मोटिवेशनल स्टोरी हो सकती है.
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कौन हैं सुरेश गोपी?
सुरेश केरल के रहने वाले हैं, तो जाहिर सी बात है कि हिंदी पट्टी के लोगों में उनको उस तरह से कभी पहचान नहीं मिल पाई जैसी अब सांसद बनने के बाद मिली है. लेकिन कुछ और भी बातें हैं जो सुरेश गोपी के बारे में जाननी चाहिए.
सुरेश गोपी एक एक्टर हैं लेकिन वो कहां से आते हैं. फिल्मों में कैसे आए और कैसे उनकी पहचान एक दमदार व्यक्तित्व के तौर पर बनती चली गई? सब कुछ जानते हैं.
65 साल के सुरेश गोपी आज जहां हैं वहां पहुंचने के लिए उन्होंने 6 साल की उम्र में ही कोशिशें शुरू कर दी थीं. सुरेश पहले बार Odeyil Ninnu (1965) नाम की एक फिल्म में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर दिखे.
इसके बाद 'थलस्थानम' या 'टीपी बालगोपालन एमए' उनकी शुरुआती फिल्मों में से रहीं. वो कई और भी फिल्मों के साथ स्टार तो बन गए. लेकिन सुपरस्टार का दर्जा उन्हें अभी भी नहीं मिला था.
सुपरस्टार कब बने सुरेश गोपी?
सुरेश गोपी की साल 1994 में 'कमिश्नर' नाम की एक फिल्म आई जो ब्लॉकबस्टर साबित हुई और वो मलयालम सिनेमा के प्रॉमिनेंट एक्टर बनकर उभरे. IMDb के मुताबिक, सुरेश गोपी को गुस्सैल पुलिसवाले की भूमिकाएं निभाने के लिए पसंद किया गया.
उन्होंने ज्यादातर मास मसाला और हिट फिल्में दीं, जिनमें से कई ब्लॉकबस्टर भी साबित हुईं.हालांकि, कुछ साल पहले उन्होंने ये घोषणा भी कर दी थी कि वो एक्शन फिल्मों के बुरे प्रभावों को देखते हुए वो अब एक्शन फिल्में नहीं करेंगे.
लीक से हटकर काम करने के लिए भी जाने जाते हैं सुरेश गोपी
सुरेश गोपी ज्यादातर मास मसाला के लिए ही जाने जाते थे. लेकिन साल 1997 में आई फिल्म 'कालियाट्टम' से उन्होंने दिखा दिया कि वो लीक से हटकर काम भी कर सकते हैं. जैसा उन्होंने हाल के चुनावों में भी किया.
1997 की इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड मिला. ये फिल्म विलियम शेक्सपियर के नाटक 'ओथैलो' पर आधारित थी.
लीक से हटकर काम करने में सुरेश गोपी की कोई सानी है भी नहीं. उन्होंने बीजेपी के टिकट पर साल 2019 लोकसभा चुनाव और 2021 विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इन दोनों में वो हार गए.
हालांकि, साल 2024 में उन्होंने सीपीआई (एम) और कांग्रेस की द्विध्रुवीय चुनावी राजनीति पर विराम लगाकर बीजेपी को यहां एंट्री दिलाई.
2019 में सुरेश चुनाव तो हार गए लेकिन उन्होंने बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा दिया. वोट प्रतिशत बढ़ने का सीधा सा मतलब है कि ये किसी भी पार्टी के लिए संदेश है कि उसे बहुत से लोग पसंद करने लगे हैं. वो 2021 में विधानसभा चुनाव भी हार गए लेकिन वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी यहां भी हुई.
हार की वजह से मेहनत करना नहीं छोड़ा सुरेश गोपी ने
सुरेश गोपी ने दो हार का सामना करने के बावजूद मेहनत में कोई कोताही नहीं बरती. वो हारते जा रहे थे, लेकिन लोगों से कॉन्टैक्ट और कनेक्ट करते जा रहे थे. हालांकि वो इस दौरान राज्यसभा सांसद भी रहे हैं. 2016 में राष्ट्रपति ने उन्हें प्रॉमिनेंट पर्सनैलिटी की कैटेगिरी के तहत राज्यसभा सदस्य चुना था.
उनके पास जो विकास निधि आती थी उसका इस्तेमाल वो विकास कार्यों में करते रहे. साल 2023 में जब सीपीआई (एम) को-ऑपरेटिव बैंक फंड घोटाले में उलझी, तो वो सुरेश गोपी ही थे जो जमीन पर जाकर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते रहे.
वो विरोध के दौरान लोगों से मिलते और मलयालम में 'त्रिशूर नजन एडुक्कुवा, एनिक्कु वेनम त्रिशूर' बोलते, जिसका मतलब होता है कि 'मैं त्रिशूर ले रहा हूं, मुझे त्रिशूर चाहिए'. लोगों से कनेक्टेड रहना और सुपरस्टार भी होना, विकास के कार्यों में खुद को लगाना और विरोध प्रदर्शनों में मुखर होना. ये सब कुछ जनता को दिखा और बीजेपी के लिए यही सब केरल में वरदान साबित हुआ.
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एक साथ कई जगह चमकने वाला हुनर रखते हैं सुरेश गोपी
सुरेश गोपी मलयालम फिल्मों के एक्टर हैं, लेकिन उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया. कमाल की बात ये है कि उनकी मलयालम फिल्में जब दूसरी भाषाओं में डब हुईं तो वो वहां भी सुपरस्टार बन गए.
सुरेश गोपी जितने बड़े स्टार मलयालम फिल्मों के हैं 1990 के दशक में उतना ही बड़ा स्टारडम उन्होंने तेलुगु दर्शकों के बीच भी पा लिया था.ऐसा करने वाले वो देश के कुछ चुनिंदा सितारों में से एक हैं.
इस लिस्ट में कमल हासन, रजनीकांत और शाहरुख खान जैसे एक्टर्स को ही रख सकते हैं, लेकिन सुरेश गोपी भी इसी लिस्ट का हिस्सा हैं. ये उनका कमाल का हुनर है कि वो कई अलग-अलग भाषाओं के दर्शकों के साथ पॉलिटिक्स में भी एक चमकदार सितारा बनकर उभरे.
सुरेश गोपी इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि कैसे सेल्फलेस होकर मेहनत से पीछे नहीं हटना चाहिए. हार-जीत आपकी उस जर्नी का हिस्सा भर हैं. आखिरकार मंजिल कदम चूम लेती है.