Lata Mangeshkar: I had declined 'Ae mere watan ke logon': स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) अब हमारे बीच नहीं रही. 92 साल की उम्र में लता दीदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. सुबह 8:12 पर लता जी ने अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे ली. सालों साल अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों में लता जी ने खास जगह बनाई है. छह दशक तक लता जी ने भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दी है. ऐसे में उनके देहांत की दुखद खबर से पूरा देश गम के अंधेरे में डूबा हुआ है. उनके जाते ही उनसे जुड़े किस्सों को याद कर लोग भावुक हो रहे हैं. ऐसे में उनसे जुड़ा एक किस्सा हम भी आपको बताने जा रहे हैं. क्या आप जानते है जब पहली बार लता जी ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' (Ae Mere Watan Ke Logon) की मूलकॉपी सुनी थी, तो वो रो पड़ी थी. इस गीत से जुड़े कई किस्से इस रिपोर्ट में पढ़िए.
ऐ मेरे वतन के लोगों... इस गीत को लता जी की आवाज़ में सुनने वाले हर शख्स की आखों से इस वक्त आसूं बह रहे हैं. ऐ मेरे वतन के लोगों को लता मंगेशकर ने जिस फील से गाया है, वो अपने आप में ही बेहद खास है. इस खूबसूरत गीत के बोल कवि प्रदीप ने लिखे लेकिन क्या आप जानते है, इस गीत के शब्द सबसे पहले किसी कागज पर नहीं बल्कि सिगरेट डिब्बी पर लिखे गए थे. कवि प्रदीप ने एक दफा कहा था कि जब वो माहीम बीच मुंबई पर टहल रहे थे, तब ये दिल छू जाने वाले शब्द उनके दिमाग में आए. लेकिन इन शब्दों को याद बनाए रखने के लिए तब न उनके पास पेन थी और ना कागज. ऐसे में उन्होंने एक व्यक्ति से पेन मांगा. और फिर सिगरेट बॉक्स के अल्यूमिनियम फॉयल पर इसे लिखा. लेकिन इन शब्दों को अपनी आवाज देने के लिए लता जी मंजूर नहीं हुईं.
दरअसल हुआ यूं था कि जब सब डिसाइड हो गया की इस गाने को लता जी गाएंगी. उस दौरान इस गीत के संगीतकार सी चंद्रशेखर से उनका मतभेद हो गया, और लता जी ने इस गाने को गाने से मना कर दिया. फिर आशा भोसले को इस गाने को गाने के लिए कहा गाया. लेकिन प्रदीप चाहते थे कि सिर्फ लता जी ही इस गीत में अपनी मधुर आवाज दें. बड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने लता जी को मना लिया.
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