Suchitra Sen Birth Anniversary: सुचित्रा सेन ने ठुकरा दिया था राजकपूर की फिल्म का ऑफर
Suchitra Sen Birth Anniversary: एक दौर था जब सुचित्रा सेन बांग्ला और हिंदी सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस हुआ करती थीं. इस अभिनेत्री ने अपनी दमदार अदाकारी से हर किसी को प्रभावित किया. शादी के पांच साल बाद फिल्मों में करियर की शुरुआत करने वाली सुचित्रा से ने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं. कहा जाता है कि जिन बड़े निर्माता-निर्देशकों के साथ अन्य एक्ट्रेस काम करने के लिए मरती थीं उनके ऑफर सुचित्रा सेन ठुकरा दिया करती थीं.
हिंदी सिनेमा और बांग्ला सिनेमा में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाली सुचित्रा सेन का आज जन्मदिन है. सुचित्रा सेन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया और अपने अभिनय से अलग पहचान बनाई. सुचित्रा सेन अपनी खूबसूरती और दमदार अदाकारी के कारण करोड़ों दिलों पर राज किया करती थी. एक बेहतरीन अभिनेत्री होने के साथ ही सुचित्रा सेन काफी स्वाभिमानी भी बताई जाती थी. .
शादी के पांच साल बाद अभिनय की दुनिया में रखा था कदम
दिग्गज एक्ट्रेस सुचित्रा सेन का जन्म 6 अप्रैल 1931 को वर्तमान बांग्लादेश के पबना जिले में हुआ था. उनका असली नाम रोमा दास गुप्ता था और उनके पिता का नाम करुणोमय दास गुप्ता था. सुचित्रा के पिता एक स्कूल में हेड मास्टर थे. सुचित्रा ने अपनी स्कूली पढ़ाई पबना से ही की थी. साल 1947 में सुचित्रा बंगाल के मशहूर उद्योपति अदिनाथ सेन के बेटे दीबानाथ सेन के साथ शादी के बंधन में बंध गई. सुचित्रा को एक्टिंग का शौक था वह पर्दे पर काम करना चाहती थी. उनकी ये ख्वाहिश शादी के पांच साल बाद पूरी हुई. सुचित्रा सुचित्रा सेन ने साल 1952 में बांग्ला फिल्म 'शेष कोथा' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. लेकिन ये फिल्म कभी रिलीज नहीं हो पाई.लेकिन उसी साल उन्होंने एक और बांग्ला फिल्म सारे चतुर रिलीज हुई थी. यही फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म कही जाती है.
सुचित्रा सेन ने अभिनेता उत्तम कुमार के साथ 30 फिल्में की
फिल्म 'शेष कोथा' में सुचित्रा और एक्टर उत्तम कुमार की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया. इसके बाद सुचित्रा और उत्तम की जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया. सुचित्रा की कुल 61 फिल्मों में 30 उत्तम कुमार के साथ रहीं. सुचित्रा बंगाल सिनेमा तक ही सिमट कर नहीं रहीं उनकी अदाकारी के चर्चे बॉलीवुड तक भी पहुंच चुके थे. यही वजह थी कि हिंदी सिनेमा के कई बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहते थे.
साल 1955 में आई फिल्म ‘देवदास’ से बॉलीवुड में की एंट्री
साल 1955 में उन्हें हिंदी फिल्म 'देवदास' में काम करने का मौका मिला था. ये फिल्म सुचित्रा सेन के करियर में मील का पत्थर साबित हुई. अपने करियर की पहली हिंदी फिल्म में सुचित्रा को सुपरस्टार दिलीप कुमारके साथ काम करने का मौका मिला. इस फिल्म में दिलीप कुमार ने देव और सुचित्रा ने पारो का किरदार निभाया था. ये फिल्म भारतीय दर्शकों को बेहद पसंद आई और देखते ही देखते सुचित्रा बॉलीवुड इंडस्ट्री की भी बड़ी स्टार बन गई थी. इस फिल्म के बाद सुचित्रा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. देवदास के बाद उनके पास फिल्मों के ऑफर्स की लाइन सी लग गई थी. सुचित्रा सेन ने इस दौरान कई हिट फिल्मों में काम किया और अपनी अदाकारी से हर किसी को प्रभावित कर टॉप एक्ट्रेस की लिस् में शामिल हो गईं.
हीरो से ज्यादा फीस लेने पर सुर्खियों में रहीं
सुचित्रा सेन फिल्मों में अपनी फीस को लेकर भी सुर्खियों में रही. बताया जाता है कि सुचित्रा सेन को साल 1962 में एक फिल्म 'बिपाशा' के लिए हीरो से ज्यादा फीस मिली थी. खबरों की माने तो सुचित्रा को इस फिल्म के लिए 1 लाख रुपए मिले थे जबकि फिल्म के हीरो उत्तम कुमार को केवल 80 हजार रुपए मिले थे.
राजकपूर की फिल्म का ऑफर ठुकरा दिया था
बताया जाता है कि सुचित्रा सेन कभी काम के लिए डॉयेक्टर-प्रोड्यूसर्स के पीछे नहीं भागीं. जिन बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशों के साथ फिल्में करने के लिए बड़ी –बड़ी हिरोइन कतार लगाए रहती थीं उनके ऑफर्स को सुचित्रा सेन ठुकरा देती थी. खबरों की मानें तो सुचित्रा ने राजकपूर के ऑफर को भी ठुकरा दिया था. राजकपूर की फिल्म करने से मना करने पर सुचित्रा की काफी आलोचना हुई थी. लेकिन सुचित्रा सेन की अपनी वजह थी उन्होंने कहा था कि उन्हें राज साहब का झूलते हुए फूल देने का अंदाज पसंद नहीं आया.
1978 के बाद फिल्म इंडस्ट्री से ले लिया था सन्यास
सुचित्रा सेन ने 1952 से 1978 के बीच हिंदी और बंगाल की कुल 61 फिल्मों में काम किया था. जिनमें से 20 से ज्यादा फिल्में सुपर-डुपर हिट रहीं थी. वहीं एक दर्जन से ज्यादा फिल्में हिट की श्रेणी में रहीं. सुचित्रा सेन आखिरी बार साल 1978 में आई फिल्म प्रणोय पाश में नजर आई थी. इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहकर सन्यास ले लिया था और रामकृष्ण मिशन की सदस्य बन गई थी. इस दौरान उन्होंने काफी सामाजिक सेवा से जुड़े कार्य किए. 1972 में उन्हें पदमश्री पुरस्कार से नवाजा गया था.
कोलकाता में साल 2014 में सुचित्रा सेन ने अपनी आखिरी सांसे लीं थी. आज भी उनकी लाजवाब अदाकारी को लोग याद करते हैं.
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