राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट कल सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाने वाला है. इस मामले को लेकर देशभर में निर्णय का इंतजार किया जा रहा है. देश के अलग अलग हिस्सों में पुलिस की तैनाती कर दी गई है ताकि किसी तरह की कानून व्यवस्था पर आंच नहीं आए. प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोगों से शांति बनाने की अपील की है. ऐसे में जब भी अयोध्या का जिक्र आता हमारे जेहने में राम की छवि उभर कर आती है.
सिनेमाई राम ने खास तौर पर एक छवि के रूप में राम के चरित्र को साकार करने की कोशिश की है. साल 1987 में बनी रामानंद सागर की ऐतिहासित टीवी सीरीज रामायण में राम का किरदार अभिनेता अरुण गोविल ने निभाया था. छोटे पर्दे पर उनके अलावा कई कलाकरों ने राम का रोल निभाया लेकिन उनकी छवि जिस तरह दर्शकों के मन में बसी थी कि लोग उनकी छवि को भगवान राम की छवि मान कर पूजा करते नजर आ जाते.
मगर अभिनेता अरुण गोविल के लिए इस किरदार को आत्मसात करना आसान नहीं था. क्योंकि उन्हें लोग जहां भी मिलते भगवान राम समझ कर चरण छूने लगते. इस किरदार को निभाने के दौरान इस किरदार से न्याय करने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी कई बुरी आदतों को भी छोड़ाना पड़ा.
सीरियल के निर्माता रामानंद सागर दरअसल पर्दे पर ऐसे कलाकार को उभारना चाहते थे जो राम के किरदार को अपने साथ आत्मसात कर सके. राम के किरदार को निभाने वाले कलाकार के अंदर कोई बुरी आदत नहीं होनी चाहिए. निर्माता की यह डिमांड अरुण गोविल के लिए चिंता का सबब बन गई क्योंकि उन्हें सिगरेट पीने की लत थी. इस लिहाज से इस ऐतिहासिक किरदार को निभाने के लिए उन्होंने सिगरेट पीना छोड़ दिया.
अरुण गोविल ने अपने इस किरदार के अलावा 'इतनी सी बात' 'श्रद्धांजलि' 'जियो तो ऐसे जियो' 'सावन को आने दो' जैसी कई फिल्मों में भी काम किया है, मगर लोग उन्हें राम की छवि से अलग भुला ही नहीं पाते थे. इस वजह से उन्होंने एक्टिंग से कन्नी काट ली.