भाबी जी घर पर हैं' (Bhabi Ji Ghar Par Hai) टीवी का फेमस सीरियल है. जिसका हर एक एपिसोड आपके लिए हंसी के फुव्वारे लेकर आता है. 'भाबी जी घर पर हैं' के किरदार विभूति नारायण यानी आशिफ शेख (Aasif Sheikh), तिवारी जी यानी रोहिताश्व गौड (Rohitashv Gour), 'अंगूरी भाबी' शुभांगी अत्रे (Shubhangi Atre) ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है. भाबी जी घर पर हैं के 1 मार्च के एपिसोड में क्या होने वाला है. यहां पढ़िए...


आज के एपिसोड में हम देखते हैं कि प्रेम विभूति से कहता है कि मैंने अंगूठी पहनी हुई है लेकिन आपको फायदा हुआ है. अनु घर पर नहीं है, विभु कहता है कि अनु लखीमपुर में है. यह कैसे फायदेमंद हो सकता है. इस पर प्रेम कहता है कि यह नीलम पत्थर बहुत फायदेमंद है. विभूति पूछते हैं कि ये आपको कहां से मिला, प्रेम कहते हैं कि एक बाबा ने इसे 10 हजार में मुझे दिया है और ये तुम्हारे लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जाओ और तुम भी खरीद लो.


तभी विभूति बालकनी में अंगूरी को देखता है और कहता है कि क्या मेरा प्यार पूरा होगा. तभी अंगूरी विभूति की तरफ देखती है और हाल पूछती हैं. उधर तिवारी देखता है कि अंगूरी उसकी शर्ट पर आयरन भूल गई है. जिसे उनका शर्ट पूरी तरह से जल जाता है. तिवारी जी जोर से चिल्लाकर अंगूरी को बुलाते हैं, अंगूरी विभूति को बाय बोलकर अंदर आती है. तिवारी जी उसे अपनी शर्ट दिखाते हैं. अंगूरी बोलती है सॉरी गलती से हो गया. अंगूरी बताती है कि वो इस्त्री कर रही थी और सूखे कपड़े लेने गई थी. तभी विभूति जी ने उन्हें सामने से बुला लिया और वो भूल गई


उधर बाबा नीलम की अंगूठियां बेचते हैं, विभूति उनके पास जाता है और कहता है कि मेरा काम हमेशा अटका रहता है बाबा. प्यार में भी बदकिस्मती ही हासिल होती है और पत्नी भी अपमान करती रहती है. बाबा उसे अंगूठी देते हैं और कहते हैं कि यह तुम्हारा भाग्य बदल देगा. विभूति बाबा को 10 हजार देता है और अंगूठी लेकर चला जाता है. 






इसके बाद विभूति अंगूठी पहनकर मन ही मन अच्छा सोचते हुए जाता है तभी कुछ लोग आकर उसे पीटकर चले जाते हैं. फिर डेविड चाचा वहां आते हैं और विभूति को उठाकर उससे पूछते हैं कि सब कैसे हुआ. इसके बाद विभूति अंगूरी के पास जाता है और अपनी नीलम की अंगूठी के बारे में बताता है. तभी विभूति के ऊपर गमला गिर जाता है. अंगूरी जोर से चिल्लाती हैं, तभी टिका मल्खान और टिल्लू वहां आते हैं और विभूति को उठाकर घर ले जाते हैं. विभूति के साथ कुछ भी अच्छा नहीं होता है और उसके साथ बार-बार बुरा होने लगता है.


आगे क्या होगा?
आगे हम देखते हैं कि अंगूरी भाबी विभूति जी से कहती हैं कि मैं तिवारी जी के लिए छोले पूरी बना रही हूं, अगर आपको भी पसंद है तो खाइए. विभूति को यह काफी स्वादिष्ट लगा. उधर गुप्ता वहां आते हैं और विभूति की उंगली का काटने लगते हैं. 


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