'भाबी जी घर पर हैं' सीरियल का हर एक एपिसोड आपके लिए हंसी के फुव्वारे लेकर आता है. 'भाबी जी घर पर हैं' के किरदार विभूति नारायण यानी आशिफ शेख, तिवारी जी यानी रोहिताश्व गौड, 'अंगूरी भाबी' शुभांगी अत्रे ने लोगों के दिलों में खास जगह बना ली है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भाबी जी घर पर हैं 15 मार्च 2022 फुल एपिसोड का अपडेट.


शो के लेटेस्ट एपिसोड की शुरुआत होती है अम्माजी, अंगूरी और तिवारी जी से. अम्माजी अंगूरी और तिवारी से कहती हैं कि तुम्हें 20-25 साल के एक आदमी को गोद लेना है और वह अविवाहित होना चाहिए. अंगूरी तुरंत बोलती है कि हमारे पास टीलू है और वह सिंगल भी है और 25 साल का भी, अम्माजी कहती है कि ठीक है अगर ऐसा करते हो तो जल्दी ही तुम्हारा भी एक बच्चा होगा.


उधर चुस्तेरे अपना रूप बदलकर सक्सेना जी के रूप को धारण कर लेता है. चुस्तारे खुद को देखता है और कहता है कि मैं बिल्कुल सक्सेना जैसा दिखता हूं और सक्सेना की नकल करता हूं. उधर चाय की दुकान पर तिवारी जी टीलू के पास जाते हैं और कहते हैं कि  मुफ्त चीजों का इंतजार करना बंद करो और किसी काम से जाओ. टीलू पूछता है कि मैं क्या करूं तो तिवारी जी कहते हैं कि मैं तुम्हारे लिए एक प्रस्ताव लाया हूं. 






तिवारी उससे कहता है, हम तुम्हें कुछ समय के लिए गोद लेना चाहते हैं, टीलू उससे पूछता है कि क्यों, तिवारी उससे कहता है, यह मत सोचो. इस पर टीलू कहता है कि दस हजार रुपए हर रोज का, 50 हजार रुपए एडवांस , खाना तीनों टाइम का 5 स्टार होटल से और 5 दिन बाद 15000 रुपए ये सब चाहिए मुझे. तिवारी जी टीलू को थप्पड़ मारते हैं और वहां से चले जाते हैं. उधर विभूति को सक्सेना जी की याद आती है और उन्हें याद करके डेविड चाचा के सामने रोते हैं. इस पर अनीता विभूति को खाना बनाने का ऑर्डर देती है.


विभूति और डेविड चाचा सक्सेना के घर से गुजरते हैं, विभुति कहता है कि मुझे सक्सेना के लिए चिंता है, चलिए अंदर चलकर देखते हैं. डेविड चाचा कहते हैं कि दरवाजा बंद है और मुझे लगता है कि उन्हें पागलखाने ले जाया गया है, विभूति कहते हैं कि कोई मानसिक अस्पताल उन्हें भर्ती नहीं करेगा क्योंकि उन्हें प्रमाणित दिया गया है कि उनका कोई इलाज नहीं है, यही उनकी जीवनशैली है. विभूति आगे कहता है कि चलिए अंदर चलकर देखते हैं, क्योंकि सक्सेना कई बार जानबूझकर दरवाजे बंद कर देते हैं. डेविड चाचा कहते हैं कि तुम इतने परेशान क्यों हो, विभु कहता है कि जब मेरे दोनों हाथ टूट गए थे तो उन्होंने मेरी सेवा की थी. विभूति खिड़की से सक्सेना के घर के अंदर जाते हैं. आवाज सुनकर बिस्तर से बंधे सक्सेना जी सोचते है कि मैंने किसी को आते सुना है शायद अब मैं बच जाऊंगा.


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