Bharti Singh Unknown Facts: 3 जुलाई 1987 के दिन पंजाब में रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी भारती सिंह आज भले ही किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, लेकिन एक जमाना ऐसा भी था, जब उन्होंने मुफलिसी का दौर देखा. आलम तो यह भी रहा कि उन्हें तो अपनी सांसों के लिए भी संघर्ष करना पड़ा था. घर में खाने के लाले थे. कई बार सिर्फ नमक-रोटी मिलती थी तो कई बार तो भूखे पेट भी सोना पड़ जाता था. बर्थडे स्पेशल में हम आपको भारती सिंह के संघर्ष से रूबरू करा रहे हैं. 


सांसों के लिए यूं किया संघर्ष


बता दें कि भारती की मां पंजाबी और पिता नेपाली थे. वह जब महज दो साल की थीं, उस वक्त उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. इसके बाद परिवार में भारती की मां कमला सिंह, बहन पिंकी और एक भाई धीरज सिंह रह गए. भारती बताती हैं कि उन्हें जन्म देने के लिए उनके परिजनों ने कोई प्लान नहीं किया था. जब वह गर्भ में थीं, तब उनकी मां अबॉर्शन कराने की योजना बना रही थीं. हालांकि, अब उनका परिवार कहता है कि अगर भारती न होतीं तो उनका परिवार इस मुकाम तक शायद ही कभी पहुंच पाता. 


बदहाली में गुजरा बचपन


पिता के निधन के बाद भारती के परिवार की हालत बदहाल हो गई. हालांकि मां कमला ने काफी मेहनत की और परिवार को पाला, लेकिन उन्हें कई बार भरपेट खाना भी नसीब नहीं होता था. भारती को पढ़ाई के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ी. कॉलेज की फीस माफ कराने के लिए उन्होंने स्पोर्ट्स में दाखिला लिया. वह रोजाना सुबह पांच बजे प्रैक्टिस करने के लिए कॉलेज पहुंच जातीं, जिससे उन्हें जूस के लिए मिलने वाला पांच रुपये का कूपन मिल सके. भारती सभी कूपन इकट्ठे करतीं और उनसे फल खरीदकर घर ले जाती थीं. 


कपिल शर्मा ने बदल दी किस्मत


पढ़ाई-लिखाई पूरी होने के बाद भारती सिंह अमृतसर में थिएटर करती थीं, जहां उनकी मुलाकात कपिल शर्मा से हुई. उन्होंने ही भारती को लाफ्टर चैलेंज का ऑडिशन देने की सलाह दी. अपने सपने पूरे करने के लिए भारती ने मुंबई की उड़ान भरी तो मां ने दुनिया के तानों की परवाह किए बिना उनका साथ निभाया. वह लाफ्टर चैलेंज में सिलेक्ट हो गईं. इसके बाद भारती ने कभी मुड़कर नहीं देखा. आज वह देश के दिग्गज कॉमेडियंस में शुमार हैं.


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