हिंदी और पंजाबी फिल्मों के मशहूर अभिनेता जसपाल भट्टी की 25 अक्टूबर को 8वीं पुण्यतिथि है. 3 मार्च 1955 को अमृतसर पंजाब में जन्मे जसपाल भट्टी का जालंधर, पंजाब में एक दर्दनाक सड़क हादसे में निधन हो गया था. तब वह 57 साल के थे. भट्टी एक्टर होने के साथ-साथ कॉमेडियन और व्यंगकार भी थे. उन्हें आम आदमी की आवाज़ माना जाता था. वह अपने शो में हंसते-हंसाते, समाज, व्यवस्था और राजनीति के समीकरणों पर ऐसे कटाक्ष करते थे कि दर्शक उनकी वाहवाही करते नहीं थकते थे.



इसी वजह से वह 'किंग ऑफ कॉमेडी' और 'किंग ऑफ सटायर' के नाम से भी मशहूर हो गए थे. भट्टी के प्रारंभिक जीवन की बात करें तो चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. पढ़ाई के दिनों में ही कॉमेडी में उनकी रूचि जागने लगी थी जिसकी वजह से उन्होंने एक नॉन सेंस क्लब की स्थापना की और कई नुक्कड़ नाटक भी किए. यह नुक्कड़ नाटक लोगों को बेहद पसंद आए. इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के एक जाने-माने अखबार में कार्टूनिस्ट की नौकरी की.


अपने कार्टूनों के माध्यम से उन्होंने आम आदमी से जुड़ी समस्याओं, समाज और वयवस्था पर कटाक्ष करना शुरू किया और चर्चा में आ गए. इसके बाद दूरदर्शन के शो 'उल्टा-पुल्टा' की बदौलत उन्हें बेहद कामयाबी मिली. 90 के दशक में उनका एक और दूरदर्शन पर शुरू हुआ जिसका नाम 'फ्लॉप शो' था. यहां भी व्यवस्थाओं पर व्यंग्यात्मक अंदाज में भट्टी करारा प्रहार करते थे जिसके कारण उनके शो को राजनीतिक दबाव झेलना पड़ गया.



इस वजह से इस शो को 10 एपिसोड के बाद ही बंद करने की नौबत आ गई. शो बंद होने के बाद जसपाल भट्टी फुल टेंशन, हाय जिंदगी बाय जिंदगी और थैंक्यू जीजाजी जैसे अन्य धारावाहिकों में नज़र आए. उन्हें फना, हमारा दिल आपके पास है', 'आ अब लौट चलें', 'इकबाल', 'कारतूस' जैसी फिल्मों में भी देखा गया था. उन्हें मरणोप्रांत 2013 में पद्म भूषण से नवाज़ा गया था.