एक पैर गंवाने से लेकर 7 साल तक बेरोजगार रहने तक, जब एक एक्सीडेंट ने बदल दी थी Sudha Chandran की लाइफ
Dori fame Sudha Chandran: 1981 में जब सुधा चंद्रन महज 17 साल की थी तो एक एक्सीडेंट में उन्होंने अपने पैर खो दिए थे. खुद के साथ हुए इतने भयानक हादसे के बाद भी सुधा के हौसले में कोई कमी नहीं आई थी.
Sudha Chandran: लोकप्रिय टीवी एक्ट्रेस सुधा चंद्रन, जो टीवी में अपने निगेटिव किरदार के लिए जानी जाती हैं, ने एक इंटरव्यू में अपने एक्सीडेंट के बारे में खुलकर बात की थी और बताया था कि अपनी पहली फिल्म नाचे मयूरी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने और फिर रमोला सिकंद के साथ सफलता का स्वाद चखने के बावजूद वह 7 साल तक बेरोजगार रहकर कैसे लड़ीं.
जब एक एक्सीडेंट ने बदल दी थी सुधा चंद्रन की लाइफ
उन्होंने आगे कहा, 'यह काफी डरावना है क्योंकि जब आप 35 साल के अनुभव के बाद भी नया काम तलाशते हैं तो ये कभी-कभी डरावना हो जाता है. शायद, इसीलिए जब मैंने शुरुआत की थी तो समय के साथ आप सही चीजें सीखते हैं और मैंने ये भी सीखा कि एंकरिंग कैसे की जाती है.
7 साल तक बेरोजगार रहीं एक्ट्रेस
1981 में जब सुधा चंद्रन महज 17 साल की थी तो एक एक्सीडेंट में उन्होंने अपने पैर खो दिए थे. खुद के साथ हुए इतने भयानक हादसे के बाद भी सुधा के हौसले में कोई कमी नहीं आई थी. उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'वास्तव में मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था, मेरे लिए केवल दो रास्ते थे, या तो मैं चलना शुरू कर दूं, नहीं तो अपनी लाइफ खत्म कर दूं'.
एक्ट्रेस ने आगे कहा- 'हादसे के बाद ऐसे कई पल आए जब मुझे लगा कि मैं जिंदा क्यों हूं? लेकिन जब मैंने अपने माता-पिता को देखा तो मुझे एहसास हुआ कि उनके जिंदा रहने के लिए मुझे भी जिंदा रहना होगा और लाइफ में जीने के लिए मुझे एक सपने का पीछा करने की जरूरत थी.
कई फिल्में और प्रोजेक्ट हुए फ्लॉप
सुधा की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था जब उनकी कई फिल्में और प्रोजेक्ट फ्लॉप हो गए थे. उन्होंने याद करते हुए कहा, 'शुरुआत में मुझे इंडस्ट्री में काम ढूंढने के लिए स्ट्रगल नहीं करना पड़ा क्योंकि मेरी पहली फिल्म मेरे ही लाइफ पर आधारित थी मयूरी. बहुत सारी बायोपिक्स बनी हैं लेकिन किसी ने भी अपने किरदार खुद नहीं निभाए.
कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद सुधा को काम पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा और वह 7 साल तक बेरोजगार रहीं. उन्होंने कहा, 'मैं 7 साल तक बिना किसी काम के घर बैठी रही. नाचे मयूरी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बावजूद, मुझे 7 साल तक बेरोजगार होकर घर बैठना पड़ा. मैंने इंतजार किया क्योंकि मेरा मानना था कि अगर मैं इस इंडस्ट्री में आई हूं तो कोई न कोई वजह जरूर होगी। मैंने खुद पर, इंडस्ट्री पर और सबसे ऊपर भगवान पर भरोसा किया'.
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