Ankit Gupta Struggle: कभी दो वक्त के खाने के लिए तरसे, बिना सैलरी के जॉब से बेदखल हुए, बुरे दौर पर अंकित गुप्ता ने तोड़ी चुप्पी
Ankit Gupta Struggle Days: टीवी एक्टर अंकित गुप्ता ने पहली बार संघर्ष के दिनों को याद किया और बताया कि उनका बचपन कैसे गुजरा और वह इंडस्ट्री में कैसे आए. आपको इस बारे में बताएं.
Ankit Gupta On His Struggle Days: टीवी एक्टर अंकित गुप्ता (Ankit Gupta) को ‘बिग बॉस 16’ में अपनी रियल पर्सनैलिटी की वजह से खूब प्यार मिला. वह फिनाले तक तो नहीं रह पाए, लेकिन जितने दिन भी शो में रहे, छाए रहे. उनके वन लाइनर्स भी काफी चर्चे में रहे. भले ही आज वह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, लेकिन एक वक्त था जब वह दो वक्त की रोटी के लिए भी तरसते थे. हाल ही में, ‘जुनूनियत’ (Junooniyat) स्टार ने अपने बुरे दौर को याद किया है.
अंकित गुप्ता ने बताया कि उनका बचपन संघर्ष से गुजरा है. यूं तो उन्होंने 10-12 साल की उम्र में एक्टिंग बनने की ठान ली थी, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की है. एक्टर ने बीबीसी संग बातचीत में कहा, “मैं 14 साल का था, जब हम बहुत बुरे दौर से गुजर रहे थे. उस समय हालात ऐसे थे कि सुबह खाना खा लिया तो रात को क्या होगा कुछ पता नहीं रहता था. उस हालात में छोटे से शहर से एक्टर बनना बहुत मुश्किल लगता था.” अंकित ने बताया कि एक बार स्कूल में उन्होंने एक मॉडलिंग कॉम्प्टीशन किया था तो लोगों ने उनकी खूब तारीफ की थी, तभी उन्होंने एक्टर बनने का सोचा था.
कॉल सेंटर में भी किया काम
अंकित गुप्ता ने ये भी बताया कि कैसे पहली नौकरी से उन्हें बिना सैलरी दिए ही निकाल दिया गया था. एक्टर ने कहा, “ये जर्नी मुश्किल लगती थी, लेकिन जितनी मेहनत मैंने की, उतना मैं लकी भी रहा. मैंने कॉल सेंटर में काम किया. मैंने पहली जॉब की, वहां डेढ़ महीने काम किया और कुछ समझ नहीं आया. वहां से मुझे निकाल दिया गया, मुझे सैलरी भी नहीं दी गई.”
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अंकित के साथ हुआ था बुरा बर्ताव
अंकित ने खुलासा किया कि ‘बालिका वधू’ के सेट पर उनके साथ अच्छा बिहेव नहीं किया जाता था. उन्होंने कहा, “बॉम्बे आया था एक हफ्ते के लिए. मैंने बालिका वधू के लिए ऑडिशन दिया था. कुछ आता नहीं था, फिर भी सिलेक्ट हो गया. बालिका वधू से बतौर कैमियो डेब्यू किया था. मुझे एक्टिंग नहीं आती थी, कोई डायरेक्टर मुझे सीरियसली नहीं लेता था और ना ही मेरा शॉट लेता था. बहुत बुरा लगता था, कई बार ऐसा होता था कि एक शॉट सुबह 8 बजे लगता था और फिर दूसरा शॉट रात को 8 बजे लगता था, जब सब एक्टर्स का काम खत्म हो जाता था. मुझे बहुत खराब लगता था. वहां का कल्चर देखकर मुझे ऐसा लगता था कि शायद एक्टिंग मेरे लिए नहीं है. मैंने सोचा कि एक्टिंग छोड़ मॉडलिंग या जॉब देखता हूं.”
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