नई दिल्ली: साल 2002 में स्टार प्लस पर शुरू हुए टीवी सीरीज ‘संजीवनी’ की दूसरी सीरीज जल्द ही दर्शकों के बीच पेश की जाएगी. डॉक्टर्स की जिंदगी की के इर्द गिर्द घूमते इस शो की कहानी को दर्शकों ने काफी सराहा था. अब इस सीरियल की वापसी हो रही है. आज स्वास्थ्य सेवा उद्योग वास्तव में बहुत बड़ा हो गया है. कुछ साल पहले तक केवल सरकारी अस्पताल और क्लीनिक थे, लेकिन आज देश भर में हमारे पास अस्पतालों की विशाल श्रृंखला है. ये अस्पताल श्रृंखलाएं अद्भुत मशीन और जरूरत की सुविधाएं मुहैया करवाते हैं और अस्पताल लगातार अपनी सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं.
वे सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों को शामिल करते हैं और इस पूरी मशीनरी को चलाने के लिए उनके पास एक बड़ी मैनेजमेंट टीम भी है. लेकिन यह सब एक उच्च लागत के साथ आता है और रेवेन्यू उत्पन्न करने के लिए लगातार दबाव होता है जो न केवल इस बड़ी लागत को कवर करेगा, बल्कि लाभदायक भी होगा. ऐसी स्थिति में, क्या 'पेशेंट फर्स्ट' की कहावत 'पी एंड एल फर्स्ट' की सोच के साथ बदल रही है? क्या हमारा विवेक लालच से समझौता कर रहा है?
स्टार प्लस के शो ‘संजीवनी’ में इस प्रासंगिक मुद्दे को दर्शाया जाएगा. यह दो सिद्धांतों को एक दूसरे के सामने खड़ा कर देता है. एक तरफ, डॉक्टरों का एक समूह है, जिनके लिए मरीज को बचाना सबसे महत्वपूर्ण बात है, भले ही रोगी गरीब हो और अपने बिलों का भुगतान न कर सके. दूसरी ओर, मैनेजमेंट होती है, जिनके लिए मरीज रेवेन्यू पैदा करने की मशीन है और उनका आईडिया रेवेन्यू को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाना होता है. अपनी मजबूत कहानी के माध्यम से हमारे देश के संजीदा मुद्दों को संबोधित करने पर जी.ई.सी की राय देखना आश्चर्यजनक है.