कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. इसके साथ ही पुराने टीवी सीरिल्यस को दूरदर्शन पर री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. ऐसे में लोगों की डिमांड पर 'रामायण' को री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. इन दिनों 'रामायण' टीवी पर बेहद देखी जा रही है और लोगों को बेहद पसंद भी आ रही है. 'रामायण' टीवी पर टीआरपी के नए रिकॉर्ड कायम कर रही हैं.


इस वक्त 'रामायण' की मेकिंग से जुड़े कई किरदार और दिलचस्प किस्से भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. इन दिनों एक सवाल जो चर्चा का विषय बना हुआ है वो है रामानंद सागर की 'रामायण' आखिर कैसे बनी. ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि उस वक्त इस तरह की सीरीज का चलन नहीं था और किसी भी नई चीज पर पैसे लगाने के लिए प्रोड्यूसर तैयार नहीं थे. तो रामानंद सागर ने 'रामायण' के लिए फंड कैसे एकत्र किया. तो आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देते हैं आखिर यह सब कैसे संभव हुआ. 33 साल पहले इस शो का एक एपिसोड़ बनाने में 9 लाख रुपये की लागत वाले रामानंद सागर की रामायण ने दूरदर्शन के लिए 23 करोड़ रुपए कमाए थे.


एक इंटरव्यू में शो के प्रड्यूसर और रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने बताया, ''साल 1976 में हम स्विट्जरलैंड के एक लेस डेब्लेयर नाम के गांव में शूटिंग कर रहे थे. हम सबने वहीं सबसे पहले कलर टीवी देखा था. इसे तब इडियट बॉक्स कहा जाता था. जैसे ही वो कलर टीवी ऑन हुआ हम सभी हैरान हो गए क्योंकि उसमे सब कुछ रंगीन नजर आ रहा था. इंडिया वापस आने के बाद रामानंद ने बेटे प्रेम को एक एयर टिकट दिया, जिसमें सीरियल रामायण और कृष्ण के बारे में पैम्फलेट थे और उनके अमीर व्यवसायी दोस्तों को संबोधित करता हुए एक पत्र था जो उस वक्त विदेशों में रह रहे थे. ये उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रामायण के लिए पैसे इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा था. लेकिन उनमें से एक भी इंसान फंड देने के लिए तैयार नहीं हुआ.''


प्रेम सागर ने खाली हाथ ही वापस आ गए. पर फिर भी रामानंद सागर रामायण, कृष्ण और दुर्गा जैसे तीन-तीन पौराणिक शो बनाने के से पीछे नहीं हटे. फंड जुटाने के लिए रामानंद सागर ने 'विक्रम और बेताल' शो बनाया, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया. विक्रम और बेताल उस दौरान एक लाख रुपए प्रति एपिसोड में बनाया जाता था. इस शो की सफलता ने रामायण का बनना मुनासिब हो सका. आज से 33 साल पहले बने रामायण प्रति एपिसोड 9 लाख रुपए की लागत से बनाया गया था.


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