एक बार फिर से रामायण और महाभारत जैसे ऐतिहासिक धारावाहिक दूरदर्शन पर शुरू हो गए हैं. सभी दर्शक राम और सीता जैसे अमर किरदारों को याद कर रहे हैं. इस बीच रामानंद सागर का कोई उल्लेख नहीं है, जिन्होंने इस सीरीज को बनाया. फिल्म निर्देशक रामानंद सागर ने रामायण, श्री कृष्णा सहित कई लोकप्रिय धारावाहिकों को बनाया. यही कारण है कि आज उनका नाम अमर हो गया है.


रामानंद सागर टीबी के मरीज थे. उन्होंने इलाज के दौरान एक डायरी लिखना शुरू किया और उनकी डायरी के हर एक कॉलम ने लोगों को हैरान कर दिया. आइए जानते हैं उनका यह किस्सा. एक इंटरव्यू में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने इसका उल्लेख किया था.


प्रेम सागर ने कहा, "वह दिन-रात अध्ययन करते थे. एक दिन उन्हें खांसी आई. तब उन्होंने देखा कि उनके कपड़ों में खून था. परिवार के डॉक्टर को बुलाया गया और जांच के दौरान पता चला कि उनमें टीबी के लक्षण पाए गए. उस वक्त हैरानी की कोई बात नहीं थी क्योंकि उनकी टीबी का इलाज संभव था. डॉक्टर ने उन्हें टीबी सैनिटोरियम में इलाज करने की सलाह दी थी. पिताजी (रामानंद सागर) को टांगमर्ग के टीबी सैनिटोरियम में भर्ती कराया गया. यहां टीबी पेशेंट्स जिंदा जरूर आते थे लेकिन उनकी लाश बाहर जाती थी. उस सैनिटोरियम में एक कपल भी था. वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. एक दिन दोनों स्वस्थ होकर वहां से निकले. उन्हें देखकर पिताजी चकित रह गए. उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि प्यार किसी भी बीमारी को मात दे सकता है. यही वो दिन था जब उन्होंने डायरी लिखनी शुरू की.''



प्रेम सागर ने अपने इंटरव्यू में आगे कहा, "पिताजी ने कॉलम लिखना शुरू किया और उनके कॉलम को पढ़ते हुए एक अखबार के संपादक को यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि एक आदमी मर रहा है और वह लोगों को बता रहा है कि कैसे जीना है.''


रामानंद का कॉलम संपादक के दिल को छू गया और उन्होंने अपने अखबार में एक कॉलम निकालना शुरू किया- 'रामानंद सागर मौत के बिस्तर से.' किशन चंद्र, फैज़ अहमद फ़ैज़, राजिंदर सिंह बेदी ने भी रामानंद सागर के लेखों की सराहना की और वे भी उनके प्रशंसक बन गए. तभी रामानंद सागर को एक लेखक के रूप में पहचान मिली पाई.


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