Ramanand Sagar Ramayan Laxman AKA Sunil Lehri: रामानंद सागर की रामायण के लक्ष्मण यानी सुनील लहरी ने फिल्म आदिपुरुष को लेकर आपत्ति जताई थी. वहीं अब जब हर तरफ से फिल्म आदिपुरुष के मेकर्स को हेट मिल रही है ऐसे में मेकर्स ने फिल्म को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. जिसपर सुनील लहरी ने अपना रिएक्शन दिया. वहीं जाने माने राइटर मनोज मुंतशिर के लेखन को लेकर भी उन्होंने रिएक्ट किया.
सवाल : मनोज मुंतशिर और टी-सीरीज ने बयान जारी कर कहा है आदिपुरुष के डायलॉग्स को हटाया जाएगा, इसपर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
जवाब: फिल्म बनाते वक्त पहले ही मेकर्स को सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए था. लोगों की तरफ से दबाव आने के बाद अब अगर उन्होंने डिसाइड किया है कि इन संवादों को हटाने का तो यह एक अच्छा और सकारात्मक कदम है. किसी भी संवेदनशील हिंदुस्तानी को आघात पहुंचाने वाली बातों को फिल्म से हटाने का फैसला लिया है, जो कि एक अच्छी बात है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने एक गलती की और उस गलती की भरपाई कर रहे हैं वो. मनोज मुंतशिर एक बहुत ही सुलझे हुए इंसान हैं, मैंने उनके काफी वीडियो और ऑडियो सुने हैं. मुझे पहले तो इस बात का यकीन भी नहीं हो रहा था कि मनोज जी ने इस तरह के डायलॉग लिखे होंगे. अब जिस भी हालात और दबाव में इस तरह के डायलॉग उन्होंने लिखे होंगे, उसपर अब चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह एक स्वागत योग्य कदम है.
सवाल: रामायण को लेकर आम जनमानस में एक खास तरह की छवि रही है. ऐसे में आपको नहीं लगता है कि रामायण के तमाम चरित्रों को जिस तरह के संवाद दिये गये हैं, उसे लेकर मेकर्स को पहले से ही रिसर्च करना चाहिए था?
जवाब: मैंने अभी कहा कि हमें पहले ही ये स्टेप लेना चाहिए था और सबकुछ सोच-समझकर करना चाहिए था. हमारी संस्कृति से जुड़ी चीजों के साथ में इस तरह की चीजें नहीं करनी चाहिए थी. किस दबाव में किया है, मुझे नहीं पता, लेकिन जब लोगों की राय सामने आई और वाद-विवाद हुआ, कोर्ट केस हुआ तो ऐसे में इसे सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, वो सोचे-समझे ढंग से लिया गया एक बेहद अच्छा कदम है जिसका मैं पूरी तरह से स्वागत करता हूं.
सवाल : आदिपुरुष में रामायण के तमाम चरित्रों के स्वरूप को लेकर भी काफी आलोचना हो रही है और कहानी को भी ट्विस्ट करने के आरोप लगाये जा रहे हैं, इसके संबंध में आप कुछ कहना चाहेंगे?
जवाब : अगर मेकर्स ने नहीं कहा होता कि हमने रामायण अथवा वाल्मिकी के रामायण पर आधारित फिल्म बनाई है, तो फिल्म की इतनी आलोचना नहीं होती. अगर मेकर्स बस ये कहते हैं कि हम रामायण से प्रेरित हुए हैं और हम एक फैंटेसी विषय पर फिल्म है तो शायद लोगों को इस तरह का आघात नहीं लगता. डिस्क्लेमर में भी कहा गया है कि ये फिल्म रामायण की कहानी पर आधारित है. ऐसे में जब रामायण के कैरेक्टर हैं, रामायण के इमोशन्स हैं, वो फिल्म में कहीं भी नजर नहीं आते हैं. मुझे पूरी कहानी कंफ्यूज लगती है, सारे कैरेक्टर्स कंफ्यूज लगते हैं. अगर मैं इसे रामायण से हटाकर देखूं तो मैं कह सकता हूं कि सैफ अली खान ने अच्छा काम किया है.
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