एक महिला से रेप और ब्लैकमेल के मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को टेलीविजन अभिनेता व गायक करण ओबेरॉय को एक महीने बाद जमानत दे दी. उनके वकील दिनेश तिवारी ने कहा कि न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेर ने ओबेरॉय को 50,000 रुपये जमा करने पर जमानत दी. 4 मई को दर्ज एफआईआर में 34 साल की पीड़िता ने आरोप लगाया था कि ओबेरॉय ने शादी करने के बहाने 2017 में उसके साथ रेप किया था.
साथ ही उसने यह भी कहा कि करण ने रेप को फिल्माया और फिर वीडियो को वायरल करने की धमकी के तहत उससे पैसे लिए. पुलिस ने 6 मई को ओबेरॉय को गिरफ्तार किया और अदालत ने उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
बाद में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उसकी जमानत याचिका सत्र अदालत के पास लंबित थी. जमानत याचिका में तिवारी ने दलील दी कि एफआईआर झूठी है, उनके मुवक्किल (ओबेरॉय) ने कभी भी पीड़ित से शादी करने का वादा नहीं किया. वहीं पीड़िता ने करण को जमानत नहीं मिले इसके लिए दूसरी एफआईआर दर्ज करवाई थी.
बता दें करण ओबेरॉय रेप मामले में तब एक सनसनीखेज मोड़ आया जब करण ओबेरॉय पर रेप और ब्लैकमिंग का आरोप लगानेवाली पीड़िता ने 25 मई की सुबह खुद पर हमला करवाया था, और इसकी साजिश भी खुद ही रची थी. ये दावा खुद पीड़िता के अब तक 'फरार' बताये जा रहे वकील अली काशिफ खान ने एबीपी न्यूज़ को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में किया.
इस हमले में कासिफ के चचेरे भाई अल्तमस अंसारी को 3 अन्य आरोपियों (जिशान अंसारी, जतिन संतोष, अराफत अहमद अली) के साथ ओशिवरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद से पीड़िता के वकील कासिफ पर भी इस हमले की साजिश में शामिल होने की आशंका जताई जा रही थी.
गौरतलब है कि 25 मई को मॉर्निंग वॉक पर निकली पीड़िता पर दो बाइक सवारों ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया था और वहां से भागते वक्त वो एक पर्ची भी छोड़ गये थे जिसपर करण ओबेरॉय के खिलाफ दायरे रेप का मुकदमा वापस लेने की बात लिखी थी. तहकीकात में इस हमले में एक साजिशकर्ता अल्तमस की बाइक के इस्तेमाल की बात भी सामने आयी है.