रूपाली गांगुली ने क्यों साइन किए थे टीवी सीरियल? 'अनुपमा' एक्ट्रेस ने खोला राज, बोलीं- 'मैं अपने पिता को अस्पताल में...'
Rupali Ganguly: रूपाली गांगुली आज टीवी की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस हैं. 'अनुपमा' अभिनेत्री ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने स्ट्रगलिंग दिनों पर बात की और बताया कि उन्होंने टीवी सीरियल क्यों किए थे.
Rupali Ganguly On Her Struggling Days: रूपाली गांगुली टीवी इंडस्ट्री की सबसे पॉपुलर एक्ट्रेस हैं. फिलहाल रूपाली ‘अनुपमा’ सीरियल में अपनी दमदार एक्टिंग से खूब तारीफ बटोर रही हैं. इस सीरियल से उन्हें इतनी पॉपुलैरिटी मिल चुकी है कि लोग उन्हें अब अनुपमा के किरदार से ही पहचानने लगे हैं.रूपाली ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1998 में टीवी सीरियल ‘सुकन्या’ से की थी. लेकिन 2004 में आए ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में 'मोनिशा साराभाई' की भूमिका ने उन्हें घर-घर में मशहूर नाम बना दिया था.
हालांकि, अपने पहले बच्चे को जन्म देने के बाद एक्ट्रेस ने सात साल टीवी से ब्रेक ले लिया था इसके बाद उन्होंने छोटे पर्दे पर ‘अनुपमा’ शो के साथ दमदार कमबैक किया. इस सीरियल ने उन्हें हाईएस्ट पेड टीवी एक्टर्स में से एक बना दिया है. हाल ही में एक इंटरव्यू में रूपाली ने अपने स्ट्रग्लिंग डेज पर खुलकर बात की.
रूपाली गांगुली ने अपने स्ट्रग्लिंग डेज पर की बात
सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में, रूपाली गांगुली ने अपने संघर्ष के दिनों के बारे में खुलकर बात की. अभिनेत्री ने बताया कि जब उन्होंने टेलीविजन धारावाहिकों में काम करना शुरू किया तो किस तरह उन्हें 'आउटकास्ट' कहकर नीची नजरों से देखा जाता था. रूपाली ने कहा, "टेलीविजन फिर से संघर्ष के दिन थे. मुझे घर चलाना था इसलिए जो भी काम मिला, ले लिया. खासतौर पर बंगाली समुदाय में इसे अच्छा नहीं माना जाता था. तो, आप एक तरह से बहिष्कृत हैं. लोग मेरे लिए सॉरी फील करेंगे क्योंकि मैं टेलीविजन कर रही थी, और मुझे इसकी परवाह नहीं थी क्योंकि उस समय, हमें घर चलाने की ज़रूरत थी."
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रूपाली गांगुली टेलीविजन सीरियल में क्यों किया था काम?
रूपाली ने इंटरव्यू के दौरान बताया न्होंने अपने पिता अनिल गांगुली को बेहतर अस्पताल में भर्ती कराने के लिए टेलीविजन भूमिकाएं साइन की थी. उन्होंने कहा, “ "मेरी कभी कोई महत्वाकांक्षा नहीं रही. मैंने कभी सपने नहीं देखे. मेरी बात यs थी कि मैं नहीं चाहता था कि मेरे पिता एक म्यूनिसिपल अस्पताल में रहें. मैं चाहती था कि वह लीलावती की तरह किसी अच्छे अस्पताल में रहे. इसके लिए जरूरी था कि मैं काम करूं.' मुझे लगता है कि मैं, यहां तक कि मेरा भाई भी, जो कुछ भी हमें मिलता है उसके प्रति इतना सम्मान रखते है कि हम उसका ज्यादा फायदा ले सकें. मैं अपने पापा के लिए कुछ भी कर सकती हूं, वह मेरी प्रेरणा हैं, वह मेरे भगवान हैं, और ऑफकोर्स वह अब भी हैं."