ग्लैमर की दुनिया को छोड़ अपने गांव को ‘स्मार्ट विलेज’ बनाने में जुटे ‘रोसेस साराभाई’
42 साल के राजेश ने अपनी जिंदगी को अब गांव की देखभाल और वहां की उन्नति में लगाने का फैसला कर लिया है. उन्होंने अपने गांव की मिट्टी की खुशबू को ही अब अपना सबकुछ बना लिया है.
नई दिल्ली: टीवी के मशहूर सीरियल ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में रोसेस साराभाई का किरदार निभाने वाले नामी अभिनेता राजेश कुमार ने एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया है. करीब 6 महीने पहले वो मुंबई छोड़कर अपने गांव बर्मा चले गए. करीब 19 सालों के टीवी करियर को अचानक छोड़कर अपने गांव जाने का ये फैसला उनका हैरान करने वाला तो है, लेकिन इसके पीछे की वजह बेहद दिलचस्प है.
राजेश बिहार राज्य के गया जिले के एक छोटे से गांव बर्मा के हैं. बर्मा, पटना से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर है. राजेश अपने इस गांव को एक ‘स्मार्ट’ विलेज के तौर पर विकसित करना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने इसके लिए अपना सबकुछ छोड़ गांव में ही बसने का फैसला कर लिया. अब वो अपने गांव वालों के साथ मिलकर वहां खेती करते हैं. गाय की देखभाल, उनके खान पान का ख्याल रखते हैं.
42 साल के राजेश ने अपनी जिंदगी को अब गांव की देखभाल और वहां की उन्नति में लगाने का फैसला कर लिया है. उन्होंने अपने गांव की मिट्टी की खुशबू को ही अब अपना सबकुछ बना लिया है. मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक बर्मा के लोगों ने ‘जीरो बजट स्प्रिचुअल फार्मिंग’ की फिलॉसफी को अपना लिया है, ऑर्गेनिक खेती की इस व्यवस्था में केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
आखिर क्यों लिया ये फैसला ?
अपने अच्छे खासे टीवी और फिल्मी करियर को छोड़ आखिर राजेश गांव की तपती धूप में खेती करने क्यों चले आए? आखिर क्यों उन्होंने अपनी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला अचानक कर लिया? इन सवालों के जवाब में राजेश ने मुंबई मिरर को बताया, “मैं यहीं पर एक आम के पेड़ के नीचे बैठा था और तभी मेरे मन में ये विचार आया, बिल्कुल बुद्ध की कहानी की तरह.”
राजेश ने बताया कि जब वो पिछले साल बर्मा आए थे तब उन्होंने जो देखा उन्हें उसपर यकीन नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने हमारी पैतृक जमीन को सिर्फ पांच सालों में बंजर से उत्पादक बना दिया और उस जमीन पर सब्जियां और फलों को उगाया, इसके लिए उन्होंने ज्यादातर जमीन पर केमिकल का भी इस्तेमाल नहीं किया.”
गांव में बिजली लाने में की मदद
बर्मा में पिछले महीने ही बिजली आई है और इसके लिए भी राजेश ने गांव के लोगों की खूब मदद की. उन्होंने गांव को रोशन करने के लिए बिजली विभाग के चक्कर लगाए और गांव में बिजली लाकर ही दम लिया. राजेश अपने गांव में बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि वो अब मुंबई को याद नहीं करते.