Shark Tank India Season 2 Judge Vineeta Singh: टीवी रिएलिटी शो ‘शार्क टैंक इंडिया सीजन 2’ में बतौर जज नजर आ रहीं विनीता सिंह (Vineeta Singh) बिजनेस के अलावा फिजिकल एक्टिविटीज में भी आगे हैं. वह अक्सर रेस और स्विमिंग में पार्टिसिपेट करती रहती हैं. हालांकि, एक हालिया कॉम्पटीशन में विनीता सिंह को स्विमिंग के बीच में ही पैनिक अटैक आ गया. आइए आपको बताते हैं कि इसके बाद उनके साथ क्या हुआ.
स्विमिंग करते हुए विनीता को आया पैनिक अटैक
विनीता सिंह ने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने एक कॉम्पटीशन से अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं. उन्होंने बताया कि स्विमिंग के दौरान उन्हें पैनिक अटैक आ गया था, लेकिन उन्होंने इस सिचुएशन को काबू किया और कॉम्पटीशन को पूरा किया था. विनीता ने लिखा, “मैंने आखिर में समाप्त किया. मुझे हमेशा स्विमिंग में परेशानी होती है. दुर्भाग्य से सभी ट्रायथलॉन की शुरुआत तैरने से होती है, वह भी खुले पानी में. पिछले हफ्ते का शिवाजी ट्रायथलॉन मेरे सबसे कठिन था.”
बोट पर कांप रही थी विनीता
विनीता ने कहा, “शाम और कौशिक (विनीता के बेटे) की तमाम उत्साहजनक बातों के बावजूद, मैं सांस नहीं ले पा रही थी. फिर भी मैंने जारी रखा. रेस्क्यू बोट आ गई थी और क्विट करने का भी फैसला ले लिया था. क्विट करने का विचार दर्दनाक था, लेकिन शिवाजी लेक इतना खतरनाक था कि मैं काबू नहीं कर पा रही थी. मैं बोट पर बैठी कांप रही थी. तभी मैंने देखा कि एक 9 साल की लड़की लहरों के बीच अपना रास्ता बना रही थी. हालांकि, मैं अपना तौलिया फेंकने वाली थी, लेकिन फिर शांत हो गई कि ये इतना कठिन नहीं है.”
विनीता ने नहीं मानी हार
विनीता ने आगे लिखा, “मैंने ज्यादा ट्रेनिंग नहीं ली थी, इसलिए वापस अपने बच्चों के पास जाना ठीक था और उन्हें बताना था कि मां को अभी ओपन वाटर में तैरने की कठिन ट्रेनिंग लेने की जरूरत है और फिर ट्राई करूंगी, लेकिन क्या मैं अपना पहला DNF पाने के लिए तैयार थी. ज्यादातर ट्रायथलॉन के विपरीत, इसमें टाइमिंग कटऑफ नहीं था, तो मेरा बहाना क्या था? किसी तरह मैंने नेगेटिविटी ट्रेन की सोच को रोका और 1 किमी का रास्ता तय किया. जैसे ही मैं कूदी, पैडल मारा, बैक पर तैरने की कोशिश की, कुछ स्ट्रोक की कोशिश की, फिर रेस्क्यू रोप के पास वापस चली गई. ऐसा मैंने 100 बार किया.”
सबसे आखिर में पूरी की रेस
विनीता ने कहा, “आम तौर पर मुझे 39 मिनट से कम का समय लगता था, लेकिन इसमें मुझे 1.5 घंटे लगे. जैसे ही आखिर में मैं पानी से बाहर निकली और पीछे मुड़कर देखा तो मैं आखिरी इंसान थी. फिर नेवी रेस्क्यू टीम को राहत मिली. मैंने लेक का जो भी पानी पिया, उसे फेंक दिया और बाइक-रन करने से पहले कुछ देर आराम किया. पिछले 30 मिनट के लिए मैंने जो किया था, उसकी कल्पना करनी थी, उसका स्वाद चखना था. घुटने अभी भी लड़खड़ा रहे थे. पीछे देखो तो पता चलता है कि मैं मेंटली इस रेस के लिए तैयार नहीं थी. मेंटल ताकत को भी अन्य मसल्स की तरह रेगुलर ट्रेनिंग की जरूरत होती है. विज़ुअलाइज़िंग, सांस लेने का काम, सकारात्मक सोच पहले शुरू हो सकती थी, लेकिन कठिन दिनों में कोई और सीखता है और मैं आभारी हूं.”
तारीफ कर रहे को-शार्क्स
आखिर में विनीता ने लिखा, “सभी लोगों ने 10.30 बजे तक रेस खत्म कर लिया था, मैंने 12.20 पर खत्म किया. तप्ती गर्मी में 100 नेवी ऑफिसर्स चीयर कर रहे थे. भगवान आईएनएस शिवाजी की पूरी यूनिट को आशीर्वाद दें. मैं वापस आई और अपने बच्चों से कहा- मम्मा ने हार नहीं मानी.” नमिता थापर से लेकर अनुपम मित्तल तक ने उनके साहस की तारीफ की.
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