Shark Tank India Viral Kid Prathamesh Sinha: आपको शार्क टैंक इंडिया सीजन 1 का वायरल बच्चा प्रथमेश सिन्हा याद है? जिसकी भले ही आंखों की रोशनी नहीं थी, लेकिन दिमाग बहुत तेज था. अपने स्मार्टने से उसने सभी शार्क का दिल जीत लिया था. उसने बोट (BoAt) के प्रोडक्ट्स में बज रहे वॉइस की भी मजेदार मिमिक्री की थी. 12 साल के प्रथमेश की स्मार्टनेस देखकर सभी जजेस का दिल पिघल गया था. उन्होंने प्रथमेश को शार्क की कुर्सी पर भी बिठाया था. प्रथमेस जो सभी के लिए एक प्रेरणा बन गए थे, उनकी असल जिंदगी कठिनाइयों से भरी रही है. आइए जानते हैं प्रथमेश की कहानी.
जितना आंखों का विजन जरूरी होता है, उतना जरूरी जिंदगी का विजन भी होता है. ये मानना है प्रथमेश का. उनकी आंखों की रोशनी भले ही बचपन से गायब रही, लेकिन उनका जिंदगी के प्रति विजन हमेशा उजागर रहा है. 12 साल की छोटी सी उम्र में प्रथमेश ने जिंदगी में कई दुख देखें, लेकिन मजाल है कि उन्होंने हार मानी हो. उन्होंने हर मुश्किल का सामना खुशी-खुशी किया है. जोश टॉक में अपनी जिंदगी की दास्तां सुनाते हुए प्रथमेश ने अपनी पूरी कहानी बयां की है.
छोटी सी उम्र में परेशानियों ने दी दस्तक
प्रथमेश 14 महीने के थे, जब उनके माता-पिता को पता चला था कि उन्हें Craniopharyngiomas नाम का ब्रेन ट्यूमर है. एक गाठ Optic chiasm में हो गया था. Optic chiasm एक ऐसी जगह होती है, जहां दोनों आंखों की नसें मिलती हैं और यहीं पर इमेजेस बनती हैं. डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि प्रथमेश का विजन आ पाना बहुत मुश्किल है. आंखों की रोशनी गई तो स्कूल में दाखिला मिलना भी मुश्किल हो गया. कोई स्कूल में उनका एडमिशन नहीं लेता था.
होम स्कूलिंग से आगे बढ़ प्रथमेश
प्रथमेश की तरह उनकी फैमिली भी परेशानियों से लड़ना जानती थी. प्रथमेश को भले ही स्कूल में एडमिशन नहीं मिला, लेकिन उनके पैरेंट्स ने उनकी होम स्कूलिंग कराई. भेदभाव किए जाने से परेशान प्रथमेश का कहना है कि उन्हें होम स्कूलिंग से फायदा मिला, क्योंकि उन्होंने अन्य स्किल्स पर ध्यान दिया और अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स भी सुधारी. प्रथमेश ने ये भी कहा कि, जिस उम्र में बच्चे स्कूल जाते थे, उस उम्र में उन्हें हॉस्पिटल जाना पड़ता था. उन्हें कभी भी हॉस्पिटल, डॉक्टर और इंजेक्शन से डर नहीं लगता है.
दूसरा ब्रेन ट्यूमर हुआ डिटेक्ट
प्रथमेश की जिंदगी में मुश्किलों की कमी नहीं थी. वह जी रहे थे, आगे बढ़ रहे थे कि तभी उनकी लाइफ में एक और टर्न आया. साल 2019 में उनका दूसरा ब्रेन ट्यूमर डिटेक्ट हुआ. ये सेम ब्रेन ट्यूमर सेम जगह पर हुआ था. इलाज के दौरान वह डॉक्टर्स से बात करते थे और इस दौरान जब डॉक्टर्स ने उनका जज्बा देखा तो वह उन्हें दूसरों को मोटिवेट करने के लिए ले जाते थे और कहते थे कि ये 8 साल का बच्चा हिम्मत नहीं हार रहा है तो आप लोग क्यों हिम्मत खो रहे हैं. उन्होंने अपना इलाज कराया और अच्छे से उनका इलाज हो गया और वह ठीक भी हो गए थे.
शार्क टैंक इंडिया ने बदली किस्मत
रेडियो मिर्ची में उन्होंने चिल्ड्रेंस डे के मौके पर आरजे के रूप में काम किया और फिर उन्होंने पुणे स्थित एक स्कूल में पहली बार एडमिशन लिया. यहां उनकी मुलाकात थिंकेबल लैब्स से हुई. तब उन्होंने एनी की क्लासेस ली. यहीं से उनकी शुरुआत सक्सेस की ओर गया. फिर फाउंडर्स ने एनी के साथ कई शूट्स किया, जिनमें से एक ‘शार्क टैंक इंडिया’ भी रहा. शार्क टैंक में जाने के बाद प्रथमेश की जिंदगी काफी बदल गई. उनका एडमिशन एक नॉर्मल स्कूल में हो गया. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से भी मिल चुके हैं.
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