नई दिल्ली: रामायण और महाभारत भारतीय टीवी के इतिहास की दो ऐसी सीरीज़ थी, जिसे आज तक लोग पसंद करते हैं. उस दौर में इन दोनों शो में काम करने वाले कलाकारों को लोग भगवान की तरह पूजते थे. राम से लेकर सीता और विष्णु तक को लोग हकीकत में भगवान मानने लगे थे. यही वजह थी कि इनकी लोकप्रीयता का इस्तेमाल राजनीतिक पार्टी बीजेपी ने भी किया.
रामायण और महाभारत के कुछ किरदारों ने राजनीति में कदम भी रखा. इनकी लोकप्रीयता ही वजह थी कि ये कलाकार चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की. हालांकि इन कलाकारों को राजनीति ज्यादा रास नहीं आई. यही वजह थी कि कुछ ही सालों में ये राजनीतिक जगत से दूर हो गए. आईए जानते हैं किन कलाकारों ने ली थी राजनीति में एंट्री.
दीपिका चिखलिया
रामानंद सागर की मशहूर रामायण में दीपिका चिखलिया ने सीता का किरदार निभाया था. यही वो शो था जिसने दीपिका को घर घर में पहुंचा दिया और लोगों के बीच वो खूब मशहूर हो गईं. दीपिका की लोकप्रीयता को साल 1991 में बीजेपी ने भुनाने की कोशिश की और उन्हे बड़ौदा से चुनावी मैदान में उतारा. खास बात ये है कि उन्होंने चुनाव में जीत भी हासिल की. हालांकि उनकी राजनीतिक पारी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया.
दीपिका चिखलिया राजनीति छोड़ने की वजह बताते हुए कहा था कि उनकी नई शादी हुई थी और उन्हें चुनावी क्षेत्रों में जाना पड़ता था. यही वजह थी कि वो इन सब से खुश नहीं थी. फिर उनकी बेटी का जन्म हुआ और उन्होंने राजनीति छोड़ दी.
नीतीश भारद्वाज
महाभारत में कृष्ण का रोल निभाने वाले नीतीश भारद्वाज ने भी राजनीति में एंट्री ली थी. उन्होंने साल 1996 में बीजेपी की ओर से जमशेदपुर से चुनाव लड़ा और जीता था. हालांकि 1999 में लोकसभा चुनाव में उन्हें हार मिली, जिसके बाद उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया था.
अरविंद त्रिवेदी
रामायण की सीता ही नहीं बल्कि रावण ने भी चुनाव लड़ा था. रामानंद सागर की रामायण में रावण बने अरविंद त्रिवेदी बीजेपी के टिकट पर साबरकाठा से चुनावी मैदान में थे. उन्होंने जीत भी हासिल की. इसके अलावा राम बने अरुण गोविल को भी कई बार राजनीति में आने का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था.
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