मुंबई: दुनिया भर में आज जोर-शोर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. इस साल महिला दिवस की थीम बैलेंस फॉर बेटर है. इस खास दिन महिलाओं की समाज निर्माण में भूमिका और उनकी उपलब्धियों के बारे में चर्चा की जाती है. मनोरंजन जगत की बात करें तो यहां भी महिलाओं का विशेष योगदान है, इसीलिए छोटा पर्दा हो या बड़ा पर्दा दोनों क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को सराहा जा रहा है. इस खास मौके पर टीवी जगत की कई नामी अभिनेत्रियों ने अपनी प्रेरणाश्रोत महिलाओं के बारे में बताया है और इस प्रेरणा से अपने जीवन बदलने की कहानी भी बताई है.


हेली शाह: अहिल्याबाई होल्कर ने मुझे बहुत प्रेरित किया क्योंकि उन्होंने न केवल महिला सशक्तीकरण के लिए काम किया, बल्कि हमारे समाज के रूढिवादी नियम के खिलाफ भी खड़ी हुईं. अपने पति खंडेराव होलकर की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई होल्कर मालवा की रानी बन गईं. उनका शासन 30 वर्षों तक चला और उन्होंने अत्यंत करुणा और गर्व के साथ शासन किया. उनके शाषन काल के दौरान क्षेत्र ने कई नई ऊंचाइयों छुआ और समृद्धता को बढ़ाया. उन्हें "दार्शनिक रानी" और "पूर्ण आदर्श शासक" के रूप में भी जाना जाता है.

देवोलीना भट्टाचार्या: अबला बोस को महिलाओं की शिक्षा की उन्नति में उनके प्रयासों और विधवाओं की स्थिति को सुधारने की दिशा में किए गए कामों के लिए जाना जाता है. वह शुरूआती दौर की नारीवादी थीं और अक्सर इस बारे में लिखती थीं कि महिलाओं को अधिक शिक्षा की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तरह ही महत्वपूर्ण था. बाद में अपने जीवन में उन्होंने एक गैर-लाभकारी संस्था, नारी शिक्षा समिति की स्थापना की, जिसका मिशन लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करना था. उन्होंने विधवाओं के लिए घर और महिलाओं के लिए एक पुनर्वास केंद्र भी खोला. रंगभेदी भारतीय समाज से लड़ने की उनकी हिम्मत ने मुझे बहुत प्रेरित किया.

आम्रपाली गुप्ता: लोकप्रिय लॉन्ग डिस्टेंस स्वीमर आरती साहा हमें जेंडर को लेकर किसी भी तरह के भेदभाव और पक्षपात ना करने के लिए प्रेरित करती हैं. वह 1959 में इंग्लिश चैनल में तैरने वाली पहली भारतीय और एशियाई महिला थीं. वह 1960 में भारत में चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित होने वाली पहली महिला खिलाड़ी थीं.

माहिका शर्मा: बीजापुर की महान योद्धा सम्राट चांद बीबी मेरी प्रेरणा हैं. उन्होंने मुगल सम्राट अकबर से अहमदनगर की रक्षा की. अपने समय की सबसे बहादुर महिलाओं मेें से एक चांद बीबी के सिंहासन पर जब अकबर के सिपाहियों ने हमला कर दिया तो उन्होंने बेहद शानदार तरीके से अपने क्षेत्र की रक्षा की. ये पराक्रम उन्होंने एक बार नहीं बल्कि दो बार दिखाया. दुर्भाग्य से वह तीसरी लड़ाई में अपने ही साथियों द्वारा मार दी गईं, क्योंकि अफवाहें फैल गई थीं कि वह मुगलों के साथ हाथ मिला रही हैं.

रूप दुर्गापाल: मेरे जीवन पर मदर टेरेसा का बहुत प्रभाव है, उन्हें समाज के प्रति उनके योगदान के लिए पूरी दुनिया जानती है. उन्हें ना सिर्फ भारत रत्न मिला बल्कि वो साल 1979 में नोबल शांति पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला भी हैं. उन्होंने अपना जीवन भारत के गरीब लोगों के लिए काम करने के लिए समर्पित कर दिया. उन्हें भारत और दुनिया में अन्य जगहों पर कई पुरस्कार मिले. मिशनरी ऑफ चैरिटीज संगठन के जरिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हजारों बीमार और मरने वाले लोगों की कलकत्ता में देखभाल की. समाज से गरीबी को खत्म करने के लिए वे थके और बिना रुके काम करती थीं. दुनिया में जब भी ताकतवर महिलाओं का जिक्र होता है तो मदर टेरेसा का नाम जरूर लिया जाता है.


अंजु यादव: मैं सौराष्ट्र की राजकुमारी शोभा चालुक्य के जीवन से बहुत प्रभावित हूं, जिन्होंने सोमनाथ के मंदिर और उसके राज्य को महमूद गजनवी और उसके आततायियों से बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी. उनके जीवन का मेरे ऊपर काफी प्रभाव है, मैं हमेशा उनसे प्रेरणा लेती हूं. वह सुदंरता और बुद्धिमानी की बेहतरीन मिसाल हैं, इसी काबीलियत की बदौलत उन्होंने गजनवी को मूर्ख बनाया और हजारों लोगों की जान बचाई.

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