धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर विकास गुप्ता सहित टीवी जगत की कई हस्तियों ने जताई खुशी
फैसले पर खुशी मनाने के मामले में हमारे टीवी सेलेब्स भी पीछे नहीं रहे. नकुल मेहता, विकास गुप्ता, क़तिका कामरा, विवेक दहिया ने सुप्रीम कोर्ट को इस खूबसूरत फैसले के लिए धन्यवाद कहा
सुप्रीम कोर्ट ने आज धारा 377 को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट के इस फैसले का टीवी जगत की बड़ी हस्तियों ने ट्विटर के जरिए स्वागत किया है. इतना ही नहीं टीवी के कई सेलेब्स जैसे नकुल मेहता, विकास गुप्ता, क़तिका कामरा, विवेक दहिया ने इस फैसले की जमकर तारीफ भी की.
मशहूर टीवी एक्टर नकुल मेहता ने लिखा, "हां! हां! हां! सभी के लिए समान प्यार #section377verdict''
Yes! Yes! Yes Equal love for all ????#Section377Verdict pic.twitter.com/WAGD3LQRg0
— Nakuul Mehta (@NakuulMehta) September 6, 2018
विवेक दहिया ने ट्वीट किया - ''व्यक्तिगत पसंद का सम्मान स्वतंत्रता का सार है. धारा 377 का अंत हुआ. स्वयं के लिए विकल्प चुनने की स्वतंत्रता.''
Respect for individual choice is the essence of liberty! Here's to what the end of #Section377 symbolises - Freedom to make your own choices! pic.twitter.com/6GOg5qwaI1
— Vivek Dahiya (@vivekdahiya08) September 6, 2018
कृतिका कामरा ने लिखा - ''यह निर्णय, हमारी न्यायपालिका में मेरा विश्वास बहाल करता है. आज एक भारतीय होने का गर्व है. काश मैं जा सकती और हर व्यक्ति को गले लगा सकती, जो समान अधिकारों के लिए लड़ा है.''
This, right here restores my faith in our judiciary. Proud to be an Indian today. I wish I could go and hug each and every person who has fought for equal rights. Bravo!! ???????? https://t.co/wASFfhAXZi
— Kritika Kamra (@Kritika_Kamra) September 6, 2018
विकास गुप्ता ने ट्वीट करते हुए लिखा, ''लोगों के प्यार और उनके रहने की च्वाइस को लीगल बनाने के लिए शुक्रिया. आपका फैसला लोगों की जिंदगी को खुशियों से भर देगा.''
क्या है सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के बीच सहमति से एकांत में बने संबंध अब अपराध नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा समय के साथ बदलाव ज़रूरी है, संविधान में बदलाव करने की ज़रूरत इस वजह से भी है जिससे कि समाज में बदलाव लाया जा सके. नैतिकता का सिद्धांत कई बार बहुमतवाद से प्रभावित होता है लेकिन छोटे तबके को बहुमत के तरीके से जीने को विवश नहीं किया जा सकता.'' अदालतों को व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि गरिमा के साथ जीने के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी गई है.'' खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाना मरने के समान है. एलजीबीटी समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय और मौलिक अधिकार हैं.'' धारा 377 एलजीबीटी के सदस्यों को परेशान करने का हथियार था, जिसके कारण इससे भेदभाव होता है.''Thankyou India 🇮🇳 for making it legal for loving and living with choice in this country . You decision is going to make lives happier . You did good today ❤️ #377IsHistory pic.twitter.com/VmZXHHsRJ7
— Vikas Gupta (@lostboy54) September 6, 2018