(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जब हीरो का रोल ना मिलने पर Amrish Puri को करनी पड़ी थी बीमा कंपनी में नौकरी
हिंदी सिनेमा में कुछ कलाकार ऐसे रहे हैं जिनके बारे में ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं होती, उनका सिर्फ नाम ही काफी होता है. ऐसे ही एक दमदार कलाकार रहे जिनका नाम था अमरीश पुरी.
हिंदी सिनेमा में कुछ कलाकार ऐसे रहे हैं जिनके बारे में ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं होती, उनका सिर्फ नाम ही काफी होता है. ऐसे ही एक दमदार कलाकार रहे जिनका नाम था अमरीश पुरी (Amrish Puri).साल 1932 में पैदा हुए अमरीश 5 बहन-भाईयों में चौथे नंबर के थे. शिमला में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमरीश काम की तलाश में मुंबई आ गए. उस समय तक उनके बड़े भाई मदन पुरी बॉलीवुड में पहचान बना चुके थे. अमरीश पुरी मुंबई आए तो थे एक हीरो बनने के लिए, लेकिन बतौर हीरो वो किसी भी ऑडिशन में पास नहीं हो सके. जब उन्हें हीरो के रोल नहीं मिले तो उन्होंने एक बीमा कंपनी में नौकरी करनी शुरू कर दी, लेकिन अपने अभिनय के शौक को जिंदा रखने के लिए वो साथ में थिएटर भी करते रहे.
1971 में फिल्म 'रेश्मा और शेरा' से उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री ली. इसके बाद उन्होंने बहुत सी फिल्मों में अलग-अलग रोल अदा किए, जिनमें 'नगीना', 'दामिनी', 'घायल' 'मिस्टर इंडिया', 'परदेस', 'हलचल' जैसी कई सुपरहिट फिल्में शामिल हैं. आज भी उनके सुपरहिट डायलॉग्स लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं जिनमें से सबसे फेमस है 'मुगेम्बो खुश हुआ'.
बॉलीवुड के अलावा अमरीश ने 'गांधी' और 'इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम' (Indiana Jones and the Temple of Doom) जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया. 12 जनवरी साल 2005 में अमरीश पुरी का ब्रेन हैमरेज की वजह से निधन हो गया और इस तरह हिंदी सिनेमा का एक नायाब सितारा हमेशा के लिए हमसे दूर हो गया.
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