आखिरी वक्त में क्यों गुलज़ार को सौपी थी मीना कुमारी ने अपनी शायरी की धरोहर
हिंदी सिनेमा में हज़ारों गीत और कहानी लिख चुके गुलजार को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है. गुलज़ार अपनी नज़्मों को सीधे-सादे शब्दों से लोगों को हैरान कर देने वाली तस्वीरें गढ़ते हैं
हिंदी सिनेमा में हज़ारों गीत और कहानी लिख चुके गुलजार को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है. गुलज़ार अपनी नज़्मों को सीधे-सादे शब्दों से लोगों को हैरान कर देने वाली तस्वीरें गढ़ते हैं. वहीं ये बात उन दिनों की है जब हिंदी सिनेमा की ट्रेजिडी क्वीन मीना कुमारी बॉलीवुड पर राज किया करती थीं, ये बात हर कोई जानता था कि मीनी कुमारी को शायरी का बेहद शौक था. उन्होंने अपनी कई फिल्मों में अपनी लिखी हुई शायरी को इस्तेमाल किया है.
मीना कुमारी को उर्दू शायरी लिखने का इतना शौक था कि वो अपने खाली समय में घंटों तक शायरी पढ़ा और लिखा करती थीं और शायरी के लिए उनके इसी प्यार ने उन्हें गुलजार के करीब कर दिया. मीना कुमारी और गुलज़ार की पहली मुलाकात फिल्म बेनजीर के सेट पर हुई थी, जिसमें गुलज़ार बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर रहे थे.वहीं खबरों की मानें तो मीना कुमारी की अदाकारी और शायराना अंदाज़ पर गुलजार भी फिदा थे. दोनों फुरसत के पलों में शेर-ओ-शायरी पर बातें किया करते थे मगर दुनिया वाले इसे मोहब्बत समझ बैठे. बताया जाता है कि मीना कुमारी की लिखी शायरी उनके पति कमाल अमरोही को लगता था कि मीना को कविताओं की समझ नहीं थी और ऐसा समझने वाले वो अकेले नहीं बल्कि निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास को भी यही लगता था.
मगर गुलज़ार ने मीना कुमारी की लिखा हर कविता को अहमियत दी. यही वजह थी कि आखिरी वक्त में मीना कुमारी अपनी सभी निजी डायरियां गुलजार देकर दुनिया को अलविदा कह गई थीं. मीना कुमरी की कविताओं को गुलजार ने एक नई शक्ल दी और 'मीना कुमारी की शायरी' नाम की किताब भी छपवाई.