इतने बड़े-बड़े स्टार्स के ठुकराने के बाद अनिल कपूर को मिला 'प्रेम प्रताप पटियालेवाला' का किरदार
37 साल पहले हिंदी सिनेमा को उसका एक और सुपरस्टार मिला, जिसका नाम है अनिल कपूर. अनिल कपूर ने अपने बॉलीवुड करियर की शानदार शुरुआत फिल्म 'वो 7 दिन' से की थी
37 साल पहले हिंदी सिनेमा को उसका एक और सुपरस्टार मिला, जिसका नाम है अनिल कपूर. अनिल कपूर ने अपने बॉलीवुड करियर की शानदार शुरुआत फिल्म 'वो 7 दिन' से की थी, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि इस फिल्म में हीरो का रोल पहले कई बड़े-बड़े सितारों को ऑफर हुआ था लेकिन अनिल की किस्मत में लिखा था 'प्रेम प्रताप पटियालेवाला' बनना, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया था. इस फिल्म में अनिल कपूर के साथ पद्मिनी कोल्हापुरे लीड रोल में नजर आई साथ ही नसीरूद्दीन शाह और मास्टर राजू जैसे बेहतरीन कलाकारों ने भी इस फिल्म में कमाल का काम किया.
वैसे आपको बता दें कि ये फिल्म 'वो 7 दिन' एक तमिल फिल्म की हिंदी रीमेक है जिसे साउथ के मशहूर डायरेक्टर के भाग्यराज ने बनाया भी और खुद हीरो का रोल भी निभाया. वहीं बोनी कपूर इसका हिंदी रीमेक बनाना चाहते थे तो फिल्म के राइट्स लेने वो अपने छोटे भाई अनिल कपूर के साथ चेन्नई पहुंच गए, लेकिन दोनों जितना पैसा लेकर गए ते वो फिल्म के राइट्स खरीदने के लिए कम पड़ गए. बोनी और अनिल की अच्छी किस्मत थी कि उस वक्त संजीव कुमार चेन्नई में अपनी एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तब बोनी कपूर ने उनसे पैसे उधार लिए और कुछ रुपये उन्होंने शबाना आज़मी से भी लिए तब जाकर दोनों फिल्म के राइट्स खरीद पाए थे.
राइट्स तो ले लिए मगर तब तक फिल्म का हीरो तय नहीं था, मगर हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरे को साइन कर चुके थे. खबरों की माने तो बोनी फिल्म 'वो 7 दिन' को मिथुन और पद्मिनी के साथ बनाना चाहते थे. लेकिन उस वक्त तक मिथुन चक्रवर्ती फिल्मों के स्टार बन चुके थे और उनके पास कई फिल्में थी. डेट्स की वजह से वो बोनी की फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाए. मिथुन के बाद संजीव कुमार और रणधीर कपूर से भी बात की गई लेकिन वहां भी बात नहीं बनी.
ये वो दौर था जब अनिल कपूर के पास कोई काम नहीं था. वो भी इस किरदार को निभाना चाहते थे लेकिन बड़े भाई से कहने की हिम्मत नहीं थी कि मुझे हीरो बना दो, जिसके बाद फिल्म के डायरेक्टर बापू ने बोनी कपूर से अनिल के लिए इस रोल को लेकर बात की. हालांकि इस किरदार के लिए अनिल की उम्र और अनुभव दोनों ही नहीं था मगर बापू ने इसे एक बड़ी चुनौती समझा. अनिल ने भी इस किरदार पर मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसे पर्दे पर हर किसी ने देखा.