बॉलीवुड के रहीम चाचा यानी की ए के हंगल को उनकी जीवंत अदाकारी और अनूठे अंदाज के लिए याद किया जाता है. ए के हंगल ने बॉलीवुड में अपने करियार की शुरुआत 50 साल की उम्र के बाद की थी इसलिए उन्हें उम्रदराज किरदार ही मिले. बॉलीवुड फिल्मों के रहीम चाचा यानि की ए के हंगल को दर्शकों के बीच आज भी याद किया जाता है. ए के हंगल को फिल्मों में या यूं कहे 70 से 90 दशक में उनको ज्यादातर पिता, दादा, चाचा, दोस्त नौकर के तमाम किरदारों को निभाने को रोल मिलता था.



‘ए के हंगल’ उन अभिनेताओं में से एक थे जो अपने अभिनय के कारण मशहूर हुए. ए के हंगल का पूरा नाम अवतार किशन हंगल था. ए के हंगल का जन्म 1 फरवरी, 1917 को कश्मीरी परिवार में हुआ था. पेशावर से करांची तक ए के हंगल ने अपना बचपन बिताया और फिर हिन्दुस्तान के बंटवारे के समय 1949 में मुम्बई आ गए थे.



ए के हंगल अपने आप को बहुत खुशनसीब मानते थे, क्यूंकि उन्हें आजादी की लड़ाई में भाग लेने का अवसर मिला था. इस लड़ाई में ए के हंगल करांची की जेल में भी बंद हुए थे. तीन साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद ए के हंगल साल 1949 में मुंबई लौट आए थे. मार्क्सवादी होने की वजह से वो कराची की जेल में दो साल कैद रहे. 1949 में जेल से छूटने के बाद हंगल अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए.



ए के हंगल को अपने अंतिम दिनों में एक छोटे से कमरे में जिंदगी गुजारनी पड़ी. एक वक्त पर हंगल साहब की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनके पास दवाईयों और मेडिकल बिल भरने तक के पैसे नहीं थे. हालत और बदतर होती चली गई और फिर हंगल साहब को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रख दिया गया. धीरे-धीरे उनके फेंफड़ों ने भी काम करना बंद कर दिया और फिर एक दिन वो इस दुनिया से चल बसे. कम ही लोग जानते हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, हंगल साहब के रिश्तेदार थे.