गजल का जिक्र होते ही जेहन में सबसे पहले जिसका नाम आता है वह महान गजल गायक जगजीत सिंह का नाम है. जगजीत सिंह की रूहानी आवाज आज भी सुनकर दिलों में जज्बातों के भंवर उमड़ पड़ते हैं. गजल की दुनिया के सबसे बड़े नाम जगजीत सिंह की आज 80वीं जयंती है. जगजीत सिंह ग्यारह भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थे. उनका जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक सरकारी कर्मचारी अमर सिंह के यहां हुआ था उनकी पैदाइश के वक्त घरवालों ने उनका नाम जगमोहन रखा था लेकिन एक बुजुर्ग की सलाह पर उनकी मां ने उनका नाम जगमोहन से जगजीत कर दिया. उस वक्त कौन जानता था कि जगजीत अपने नाम को सच कर दिखाएंगे. जगजीत सिंह के गुज़र जाने के बाद भी उनकी गज़लों की चाहत आज भी हर नौजवां के दिलों को धड़कने पर मजबूर कर देती हैं.


9 साल की उम्र में दी थी पहली पब्लिक परफॉरमेंस


जब जगजीत सिंह सिर्फ 9 साल के थे जब उन्होंने एक कवि सम्मेलन में अपनी पहली पब्लिक परफॉरमेंस दी थी. इस मौके पर उन्होंने एक दार्शनिक, उदासीन और सराबोर कविता को चुना था. शोबिज़ की अपनी पूरी जर्नी में, जगजीत सिंह ने 40 से अधिक प्राइवेट एल्बमों के लिए गाया. इसके साथ ही उन्होंने पूरी तरह से म्यूजिक लवर्स  की एक पीढ़ी को प्रभावित करने और मंत्रमुग्ध करने के लिए बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी. उनके गाने जैसे होंठो से छू लो तुम, ‘तुम को देखा’ आज भी सदाबहार हैं.



शोबीज में ऐसे हुई थी एंट्री


बॉम्बे (अब मुंबई) और शोबिज में अपनी एंट्री को लेकर जगजीत सिंह ने एक बार बताया था कि, “ओम प्रकाश चेंबूर में रहते थे और मैंने उनसे वहां संपर्क किया. उन्होंने मेरा बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया और मुझे उस समय के फेमस संगीत निर्देशकों से मिलवाया, जैसे कि मदन मोहन और शंकर-जयकिशन. मैं जयदेव और मनमोहन कृष्ण से भी मिला, जो ग़ज़ल का एक रेडियो कार्यक्रम भी चलाया करते थे. जयकिशन ने मेरा एक फेमस स्टूडियो में वॉयस टेस्ट दिया. उन्हें मेरी आवाज़ पसंद आई लेकिन मुझे बताया कि इसमें वक्त लगेगा और मुझे बॉम्बे में रहना होगा.” इस तरह से उनकी शोबीज में एंट्री हुई थी.



जब करियर के टॉप पर थे तभी लगा सबसे बड़ा झटका
दुर्भाग्य से, जब जगजीत सिंह अपने करियर के चरम पर थे,  तो उन्हें अपनी लाइफ के सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ा था. 1990 में, उन्होंने कार दुर्घटना में  18 साल के अपने इकलौते बेटे विवेक को खो दिया था. उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने इस हादसे के बाद प्रोफेशनल सिंगिंग ही छोड़ दी थी और यहां तक ​​कि जगजीत को भी अपने पहले प्यार, संगीत की दुनिया में वापस आने में कई साल लग गए थे.



जगजीत सिंह की जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों पर भी नजर डालते हैं.


1-अपने कॉलेज के दिनों के दौरान, वह एक शानदार हॉकी प्लेयर थे और अपनी कॉलेज टीम का हिस्सा भी थे. हालांकि, बाद में जब उन्हें महसूस हुआ कि संगीत उनकी असली दुनिया है तो उन्होंने हॉकी को छोड़ दिया था.


2- जगजीत सिंह ने अपनी पहली रिकॉर्डिंग जालंधर के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन में की थी. उस दौर में जगजीत सिंह साल में 6 बार ऑल इंडिया रेडियो के लिए लाइव प्रोग्राम किया करते थे. इसके बाद वो अपने इस पैशन को करियर में बदलने के लिए मुंबई निकल पड़े. इस दौर में वो अपनी जीविका कमाने के लिए शादियों में परफॉर्म करने के साथ वो विज्ञापनों के लिए जिंगल्स बनाया करते थे.


3- गजल गायक के अलावा जगजीत सिंह बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगर के तौर भी बेहद कामयाब रहे. एल्बम के अलावा उन्होंने फिल्मों में भी खूब सारे हिट गाने गाए.  ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया’ गाना किसी फिल्म में जगजीत का पहला गाना था. फिल्म रिलीज होने के करीब 34 सालों बाद भी ये गाना आज भी लोगों की जुबां पर गाहे बगाहे आ ही जाता है.


4- जगजीत सिंह ने कई बड़े शायरों जैसे मिर्जा गालिब, कैफी आजमी, सुदर्शन फाकिर, निदा फाजली की शायरी को अपनी आवाज दी. सुदर्शन फाकिर की लिखी हुई नज़्म ‘कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी’ को जगजीत ने अपनी रूहानी आवाज में गाया है. इस गाने को जब भी सुना जाता है लोग अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं.


5- साठ के दशक के आखिर में जगजीत सिंह की मुलाकात चित्रा दत्ता से हुई थी. उन दोनों को प्यार हुआ फिर जमाने की परवाह किए बिना दोनों एक दूसरे के हो गए. जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता के मोहब्बत की दास्तान भी बेहद दिलचस्प है. चित्रा ने पहली बार जगजीत को तब देखा था जब वो उनके पड़ोस में गाना गा रहे थे.


6 – जगजीत सिंह ने कुमार सानू को भी इंडस्ट्री में पहला ब्रेक दिलाने में मदद की थी. 2015 में एक इंटरव्यू के दौरान कुमार सानू ने खुद ये बात बताई थी.



इन अवॉर्ड्स से नवाजे गए जगजीत सिंह


जगजीत सिंह आज हमारे बीच बेशक नहीं हैं लेकिन संगीत की दुनिया में उनकी आवाज अमर है. जगजीत ने कई बड़े पुरस्कार भी जीते. साल 1998 में ‘मिर्जा गालिब’ में उनके शानदार काम के लिए उन्हें साहित्य एकेडमी अवॉर्ड से नवाजा गया. 2003 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला. राजस्थान सरकार ने साल 2012 में उन्हें मरणोपरांत राजस्थान रत्न से नवाजा. इसके अलावा 2014 में भारत सरकार ने जगजीत सिंह के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया.


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