साल 2020 में वेब सीरीज की भरमार रही, लेकिन दर्शकों के दिल में कुछ ही वेब सीरीज जगह बनाने में सफल रही हैं. इन वेब सीरीज ने सोशल मीडिया पर भी काफी सुर्खियां बटोरीं. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही शानदार वेब सीरीज के बारे में-


बंदिश बेंडिट्स: एक सुरीली और कहानी, जो दर्शकों को बांधे रखती है


इस साल 10 कड़ियों वाली बंदिश बेंडिट्स तमाम उतार-चढ़ाव के साथ अपने रोमांच को कायम रखते हुए दर्शकों की उम्मीद पर खरा उतरने में सफल रही. यह सीरीज संगीत घराने के ईदगिर्द घूमती है. जोधपुर (राजस्थान) में राधे (ऋत्विक भौमिक) अपने दादाजी संगीत सम्राट पंडित राधे मोहन रठौड़ (नसीरूद्दीन शाह) से सख्त अनुशासन में शास्त्रीय गायकी सीखते हैं. वहीं मुंबई में पिता के लाड़-प्यार में पली पॉप सेंसेशन तमन्ना शर्मा (श्रेया चौधरी) है, जिसके सोशल मीडिया में लाखों फॉलोअर हैं. एक म्यूजिक कंपनी के साथ तमन्ना का तीन हिट गानों का कॉन्ट्रेक्ट है और दूसरा गाना फ्लॉप हो गया है. वह देसी बीट्स की तलाश में जोधपुर पहुंचती है. यहीं से बंदिश बेंडिट्स की असली कहानी शुरू होती है.


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आश्रम: धर्म की आड़ में खेले जाने वाले खेल को उजागर करती सीरीज
निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी पहली वेबसीरीज आश्रम में जिस तरह से आश्रम में चलने गोरखधंधे की परतें उघाड़ी है. वह दर्शकों को खूब पसंद आती है. आश्रम का पहला और दूसरा सीजन शुक्रवार को एमएक्स प्लेयर पर रिलीज हुआ था. इस सीरीज के जरिए प्रकाश झा ने बड़े कैनवास पर आश्रम की जो तस्वीर उतारी और वह सधे हुए दृश्यों से बात रखते हैं. हालांकि वे पहले ही यह वैधानिक सूचना देते हैं कि यह धर्म की असली तस्वीर नहीं है. वह केवल उन लोगों की कारगुजारियां सामने ला रहे हैं जो धर्म की आड़ में भोले-गरीबों को बहला कर उन्हें बकरा बनाते हैं. यह सीरीज बांध कर रखती है, जो इसकी सफलता का राज है.


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स्कैम: शेयर बाजार का इतिहास हर्षत मेहता के बिना अधूरा है
चर्चित आर्थिक घोटाले पर आधारित स्कैम एक ऐसी सीरीज है जो आरंभ से अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है. यह हर्षद मेहता पर आधारित है. निर्देशक हंसल मेहता की यह वेबसीरीज शेयर बाजार और हर्षद को रोचक ढंग से पेश करती है. दलाल स्ट्रीट में दिलचस्पी न हो तब भी यह आपको निराश नहीं करती. यह आज की डिजिटल दुनिया से पहले की कहानी है. जब भी भारतीय शेयर बाजार का इतिहास लिखा जाएगा तो हर्षद शांतिलाल मेहता के बगैर अधूरा होगा. लेकिन हर्षद की कहानी का संबंध सिर्फ शेयर बाजार या अर्थव्यवस्था से नहीं है. इसमें राजनीति के भी ऐसे रंग हैं, जिन्हें दबाने की कोशिशें हुईं या सिर्फ अफवाहें करार दिया गया.


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मिर्जापुर सीजन 2: पंकज त्रिपाठी, अली फजल और दिव्येंदु शर्मा की बेजोड़ एक्टिंग का कॉकटेल
वर्ष 2020 में मिर्जापुर सीजन 2 ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया. इसका लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. पंकज त्रिपाठी, अली फजल और दिव्येंदु शर्मा के परफॉरमेंस ने दर्शकों को निराश नहीं किया. दस लंबे एपिसोड वाले इस सीजन में देर से कहानी खड़ी होती है लेकिन धीरे धीरे दर्शकों को यह पसंद आने लगती है. 2018 में मिर्जापुर जहां था, दूसरे सीजन में भी वहीं खड़ा नजर आता है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर पर बाहुबली अखंडानंद उर्फ कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) का शासन पूरी सीरीज में छाया रहता है. कालीन भैया के तैयार किए गुर्गे गुड्डू पंडित (अली फजल) और पुलिस अधिकारी गुप्ता की बेटी गोलू (श्वेता त्रिपाठी शर्मा) क्रमश: अपने भाई और बहन की पिछली सीरीज में की गई हत्या का बदला लेने के मिशन से नई सीरीज आरंभ होती है.


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अ सूटेबल बॉय: एक पेटिंग की तरह रची गई सीरीज, जिसे दर्शक लंबे समय तक याद रखेंगे
लेखक विक्रम सेठ के उपन्यास पर आधारित अ सूटेबल बॉय दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहती है. यह उपन्यास 1993 में लिखा गया था इसके करीब 27 साल बाद इस उपन्यास पर यह वेबसीरीज बनी है. जिसे बीबीसी के लिए इसे निर्देशक मीरा नायर ने बनाया है और एंड्र्यू डेविस ने पटकथा लिखी है. यह बीबीसी की अब तक की सबसे महंगी सीरीजों में है. इसका बजट 150 करोड़ रुपये से अधिक है. यह नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. बीबीसी की यह पहली कथा-सीरीज है, जिसमें कोई अंग्रेज मुख्य पात्र नहीं है. सभी भारतीय हैं.


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