सन 1972 में हिंदी सिनेमा की एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई जिसने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया और उसका नाम है 'पाक़ीज़ा' (Pakeezah). इस फिल्म को कमाल अमरोही ने डायरेक्ट किया था, जिसमें मीना कुमारी (Meena Kumari) और राज कुमार (Raj Kumar) मुख्य भूमिकाओं में थे. जब इस फिल्म की कास्टिंग हुई तब मेकर्स ने मीना कुमारी और अशोक कुमार (Ashok Kumar) को साइन किया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म की शूटिंग रिलीज से 14 साल पहले शुरू हुई थी. 


उस वक्त तक मीना कुमारी और फिल्म के डायरेक्टर एक-दूसरे से शादी कर चुके थे. हालांकि दोनों का रिश्ता शुरुआत से ही कमज़ोर रहा. पति-पत्नी के आपसी झगड़ों की वजह से फिल्म 'पाक़ीज़ा' को बनने में 14 साल लग लगे. फिर फाइनली कई सालों के बाद फिल्म 'पाक़ीज़ा' को मीना कुमारी और राज कुमार के साथ बनाया गया. हालांकि इस फिल्म में अशोक कुमार भी एक छोटे से किरदार में नज़र आए थे. 14 साल बाद जब ये फिल्म रिलीज हुई तो लोगों को इतनी पसंद आई कि आज भी दर्शक 'पाक़ीज़ा' को उसी चाव से देखते हैं.


इस फिल्म के गाने 'चलते-चलते यूं ही कोई मिल गया था' और 'इन्हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा' आज भी लोगों के पसंदीदा गानों में से एक है. ना सिर्फ गाने बल्कि फिल्म के डायलॉग्स भी दर्शकों को बहुत पसंद आए थे. फिल्म 'पाक़ीज़ा' की रिलीज से कुछ वक्त पहले मीना कुमारी का देहांत हो गया था इस वजह से भी लोगों ने इस फिल्म को बहुत ख़ास बना दिया था क्योंकि ये ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी की आखिरी फिल्म थी.