CBI को सुशांत सिंह केस सौपे जाने पर बिना नाम लिए उर्मिला मातोंडकर ने कसा तंज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुशांत सिंह राजपूत केस सीबीआई के हाथ में पूरी तरह से आ गया है और सीबीआई से मामले को सुलझाने की उम्मीद की जा रही है.
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. यह मामला पहले ही सीबीआई को दिया जा चुका था, जिस पर काफी हंगामा मचा था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह केस सीबीआई के हाथ में पूरी तरह से आ गया है और सीबीआई से मामले को सुलझाने की उम्मीद की जा रही है. अब कई लोग सीबीआई से सच्चाई सामने लाने की उम्मीद कर रहे हैं.
इस बीच, बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने भी सोशल मीडिया पर चल रहे युद्ध के बीच ट्वीट किया. उन्होंने अपने हालिया ट्वीट में न तो सुशांत के मामले का जिक्र किया है और न ही इस मामले से जुड़े किसी सदस्य का नाम लिया है, लेकिन फिर भी, अभिनेत्री ने अपने ट्वीट में सीबीआई पर कड़ा तंज कसा है.
It’s 7 years since inhuman n cowardly murder of #DrNarendraDabholkar CBI has failed to reach mastermind behind it. But his voice will get stronger n reach wider. Remembering all voices of Reason which were murdered Pansare,Kalburgi,Gauri Lankesh#नरेंद्रदाभोलकर 🙏🏼 #महाराष्ट्र pic.twitter.com/hPiCfzqAI7
— Urmila Matondkar (@UrmilaMatondkar) August 20, 2020
उसने ट्वीट किया और लिखा, "नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में सात साल बाद भी, सीबीआई असली मास्टरमाइंड तक पहुंचने में नाकाम रही." उर्मिला ने लिखा, "इस घटना को सात साल हो चुके हैं जब नरेंद्र दाभोलकर की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. सीबीआई यह पता लगाने में नाकाम रही कि इसके पीछे कौन था. सीबीआई असली मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंची है. लेकिन ऐसे लोगों की आवाज अब जोर से सुनी जाएगी. आज मुझे उन सभी महान लोगों की आवाज याद है, जिनकी हत्या कर दी गई जिनमें- गोविंद पानसरे, एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसने नाम शामिल हैं,”
अब नरेंद्र अचुत दाभोलकर की बात करें तो वे पेशे से डॉक्टर थे. वह अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जगाने का काम भी करते थे. इस बीच, 1989 में, उन्होंने महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति का भी गठन किया, जिसके वे अध्यक्ष थे. इस अवधि के दौरान, दाभोलकर को कई मौत की धमकी मिली. 20 अगस्त 2013 को पुणे में सुबह की सैर पर निकलते समय उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अब तक कुछ भी हल नहीं हुआ है.