(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डॉक्टर से एक्टर बने थे Shriram Lagoo, एक कठिन किरदार को निभाते वक्त पड़ गया था दिल का दौरा
मीडिया रिपोर्ट्स की अनुसार, श्रीराम लागू ने पुणे और तंजानिया में लंबे समय तक मेडिकल प्रैक्टिस की थी लेकिन 42 साल की उम्र में उन्होंने सबकुछ छोड़ फिल्मों को ही अपना फुल टाइम प्रोफेशन बना लिया था.
आज के आर्टिकल में हम एक ऐसे स्टार की बात करेंगे जिन्होंने अपने सपोर्टिंग रोल्स से फिल्मों में एक अलग ही मुकाम हासिल किया था. इस एक्टर का नाम था डॉक्टर श्रीराम लागू(Shri Ram Lagoo) जो पेशे से एक डॉक्टर थे. श्रीराम लागू के बारे में बताया जाता है कि वो देश-विदेश तक में डॉक्टरी की सेवाएं दे चुके थे. मीडिया रिपोर्ट्स की अनुसार, श्रीराम लागू ने पुणे और तंजानिया में लंबे समय तक मेडिकल प्रैक्टिस की थी लेकिन 42 साल की उम्र में उन्होंने सबकुछ छोड़ फिल्मों को ही अपना फुल टाइम प्रोफेशन बना लिया था.
कहते हैं कि नाक, कान और गले के बेहतरीन सर्जन रहे श्रीराम लागू को बचपन से ही फिल्मों का शौक था और यही वजह रही कि लाइफ के 42वें साल में उन्होंने फिल्मों में काम करने का डिसीजन ले लिया था. श्रीराम लागू ना सिर्फ हिंदी फिल्मों में जाना-माना नाम थे बल्कि मराठी सिनेमा में भी उन्होंने बड़ा नाम कमाया था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो श्रीराम लागू ने 20 से ज्यादा मराठी नाटकों को डायरेक्ट किया था.
श्रीराम लागू को 'नटसम्राट' नाटक के लिए भी याद किया जाता है. इस नाटक में श्रीराम लागू ने गणपत बेलवलकर की भूमिका निभाई थी. ख़बरों की मानें तो गणपत बेलवलकर का किरदार इतना कठिन होता है कि इसे निभाने वाले कलाकार अक्सर बीमार पड़ जाते हैं. श्रीराम लागू के साथ भी ऐसा ही हुआ था, नटसम्राट में गणपत बेलवलकर का किरदार निभाने के बाद उन्हें भी दिल का दौरा पड़ गया था.
श्रीराम लागू हिंदी और मराठी के साथ ही गुजराती रंगमंच में भी अपने योग्यदान के लिए जाने जाते हैं. आपको बता दें कि श्रीराम लागू को फिल्म ‘घरौंदा’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इस फिल्म में श्रीराम की एक्टिंग की जमकर तारीफ हुई थी. एक्टिंग के साथ ही श्रीराम लागू की लिखी किताबें भी खासी चर्चाओं में रहीं थीं जिनमें आत्ममाथा,गिधडे और गार्बो शामिल हैं.
श्रीराम लागू का फिल्म जगत में योगदान किस दर्जे का था इसकी अहमियत समझने के लिए आपको एक्टर नसीरुद्दीन शाह की कही बात बताते हैं. नसीर साहब ने कहा था कि श्रीराम लागू की आत्मकथा 'लमाण' किसी भी एक्टर के लिए बाइबल की तरह है यह बात सुन आप बखूबी समझ सकते हैं कि श्रीराम लागू फिल्म इंडस्ट्री को क्या देकर गए हैं.