‘झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में..’ यह गाना तो अपने सुना ही होगा. यह गाना अपने समय की बेहतरीन और सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस में से एक साधना(Sadhna) के ऊपर फिल्माया गया था. साधना का जन्म सन 1941 में कराची (पाकिस्तान) में एक सिंधी परिवार में हुआ था. वह अपने मां-बाप की इकलौती संतान थीं.
साधना की लाइफ किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं थी. जहां साधना की शुरुआत बेहद शानदार हुई थी वहीं उनका आख़िरी समय बेहद बुरा और कठिनाई से जूझते हुए गुजरा था. साधना की पहली फिल्म थी सन 1960 में आई ‘लव् इन शिमला’. यह फिल्म उस दौर की सुपर हिट फिल्म थी जिसे डायरेक्ट किया था आर.के. नय्यर ने और इसमें साधना के अपोजिट जॉय मुखर्जी थे.
इस फिल्म के साथ ही फिल्म डायरेक्टर आर.के. नय्यर और साधना की नजदीकियां बढ़ीं और दोनों ने सन 1966 में शादी कर ली. 30 सालों तक सबकुछ बहुत बढ़िया चला, जिसके बाद डायरेक्टर आर.के. नय्यर यह दुनिया छोड़ कर चले गए. पति की मौत के बाद साधना एकदम अकेली हो गईं थीं क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आर.के. नय्यर की डेथ के बाद से ही साधना के जीवन में कभी ख़त्म ना होने वाला संघर्ष शुरू हो गया था. एक्ट्रेस जिस मकान में रहती थीं उस पर मुकदमा चल रहा था साथ ही वह बहुत बीमार भी रहने लगी थीं. ऐसे में उन्हें बीमारी की हालत में ही अक्सर पुलिस और अदालत के चक्कर लगाने पड़ते थे. इस बात ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था.साधना, 25 दिसंबर 2015 को यह दुनिया छोड़ कर चली गईं. हैरत की बात यह थी कि अपने समय की इस पॉपुलर एक्ट्रेस का अंतिम सफ़र भी इतना तन्हाई भरा था कि इंडस्ट्री से केवल मुट्ठी भर लोग ही उन्हें अलविदा कहने पहुंचे थे.