Avinash Arun: मशहूर सिनेमैटोग्राफर और फिल्म निर्देशक, अविनाश अरुण ने हाल ही में अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया. उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि वह अपने करियर के दिनों में कैसे डिप्रेशन में चले गए थे. 


अविनाश ने बताया कि कैसे वह अभी भी इस इंडस्ट्री में तालमेल बिठाना सीख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां ऊंचाई बहुत ऊंची है और निचला स्तर बहुत कम है और इन दोनों से निपटने के लिए सालों के अनुभव की आवश्यकता होती है. 


जब किला की सफलता ने अविनाश को उदास कर दिया


क्या आपने कभी सुना है कि कोई फिल्म निर्माता इसलिए उदास हो गया था क्योंकि उसकी निर्देशित फिल्म अच्छी चली थी. लेकिन अविनाश अरुण के साथ ऐसा हुआ.  फिल्म निर्माता ने बताया कि उन्होंने अपने पूरी लाइफ में निर्देशक बनने का सपना देखा था. वह हमेशा से सार्थक सिनेमा का निर्देशन करना चाहते थे और ऐसा तब हुआ जब उनकी मराठी निर्देशित किला रिलीज हुई.


 


फिल्म को 64वें बेलिन फिल्म महोत्सव के लिए चुना गया जहां इसने क्रिस्टल बियर पुरस्कार जीता. अविनाश ने कहा कि खुश होने के बजाय उन्हें सफलता को संभालना मुश्किल हो रहा था. वह इतना सारा प्यार और तारीफ पचा नहीं सके. उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने पहले ही सब कुछ हासिल कर लिया है. 


लोगों के ताने से हो गए थे परेशान


आगे अविनाश ने बताया कि पांच साल बीत गए और उनके पास दूसरे प्रोजेक्ट के लिए कोई नहीं था. उन्हें लोगों के मीठे ताने परेशान करते थे. लोग जब उन्हें बोलते थे कि 'ओह, आपकी पहली फिल्म इतनी बड़ी सफल रही थी कि आप और फिल्में क्यों नहीं बना रहे हैं', ऐसे शब्द उन्हें परेशान करते थे. 


फिल्म निर्माता पाताल लोक की सफलता को श्रेय देते हैं जिसने आखिरकार उन्हें मानसिक रूप से एक अच्छी जगह पर पहुंचा दिया. वहां से अविनाश ने बताया कि वह काफी बेहतर जगह पर है और अब उन्हें हार और सफलता को संभालने की बेहतर समझ है.


 


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