रामानंद सागर द्वारा बनाया गया रामायण उन ऐतिहासिक शो में से एक है जिसका जादू आज भी देखा जाता है. रामानंद सागर की रामायण को देखने के लिए लोगों में ऐसा क्रेज था कि लोग टीवी न होने पर पड़ोस के घरों में ये शो देखा करते थे. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ रहता था और लोग चप्पल उतार कर टीवी के सामने बैठे रहते थे. जब यह शो प्रसारित किया गया था, तो ज्यादातर भोले लोग अरुण गोविल को राम मानते थे और कई ऐसे थे जो जानते थे कि अरुण राम की भूमिका निभाते हैं और वे इसलिए उनका सम्मान करते थे.


एक इंटरव्यू के दौरान, अरुण गोविल ने एक किस्सा सुनाया. जब एक महिला ने अपने बीमार बच्चे को उनके कदमों में डाल गई कि वह खुद भगवान राम हैं. इस बारे में बात करते हुए गोविल ने कहा कि शूट के बात वह राम के गेटअप में नहीं थे और वह हाफ पैंट और टी-शर्ट पहने सेट पर बैठे थे और अचानक उन्होंने दरवाजे के पास बहुत शोर सुना.


जब गोविल ने पूछा कि क्या हुआ है, तो उन्हें बताया गया कि एक महिला है जो राम की तलाश कर रही है. गोविल उठकर दरवाजे पर गए. महिला ने तैश में आकर कहा कि राम जी कहां हैं, राम जी कहां हैं. किसी ने क्रू से अरुण गोविल को इशारा किया और चिल्लाया कि वह राम जी हैं. अरुण ने कहा कि जिस तरह से मैं वहां बैठा था, शायद कोई भी मुझे पहचान नहीं पाता. मैं एक विग के साथ अजीब महसूस कर रहा था. अरुण ने कहा, "वह महिला बहुत परेशान थी. वह बच्चे को अपनी गोद में ले आई और उस बच्चे को मेरे पैरों में डाल दिया और कहा कि मेरे बच्चे को बचा लें."


अरुण ने बताया कि वह उस समय अवाक थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह उस समय क्या करें. उन्होंने कहा कि इसे किसी डॉक्टर के पास ले जाओ. इसलिए महिला ने चिल्लाकर कहा कि डॉक्टर बचा नहीं पाएंगे. डॉक्टर ने मना कर दिया कि यह अब नहीं बचेगा. यह मर जाएगा. आप इसे बचा लें. आप राम हैं!


गोविल ने बताया कि वह कुछ समझ नहीं पाए, तो उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं और भगवान से प्रार्थना की कि वह बच्चे को ठीक कर दें. महिला वहां से चली गई लेकिन तीन दिन बाद वह उस सेट पर गोविल से मिलने वापस आई और इस दिन उसका बच्चा उसकी अंगुली पकड़ कर चल रहा था.


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