साल 1999 में रिलीज हुई संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' आज भी दर्शकों की ऑल टाइम फेवरेट फिल्मों में से एक हैं. इस फिल्म में 'नंदिनी' का किरदार ऐश्वर्या राय ने इतनी खूबसूरती से निभाया था कि आज भी उन्हें 'नंदिनी' से ज्यादा किसी किरदार के लिए नहीं जाना जाता. इस फिल्म में ऐश्वर्या के साथ सलमान खान और अजय देवगन भी अपने-अपने किरदारों में एकदम फिट बैठे. वैसे यहां आपको बता दें कि संजय लीला भंसाली को इस फिल्म का आइडिया गुजराती लेखक झावेरचंद मेघनानी के नाटक 'शेतल ने काठे' को देखकर आया था.



ये तो हम सभी जानते हैं कि संजय पहले से ही गानों को खूबसूरती से फिल्माने के लिए जाने जाते हैं. दरअसल, जब संजय लीला भंसाली निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के सहायक के रूप में काम करते थे तो विधु उन्हें ही अपनी फिल्मों के गानों की शूटिंग सौंप दिया करते थे. फिल्म '1942 ए लव स्टोरी' के गानों को इतनी खूबसूरती से फिल्माने में भंसाली का बहुत बड़ा हाथ था. चलिए अब वापस आते हैं 'नंदिनी' पर. ये तो हम सभी जानते हैं कि भंसाली ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म 'खामोशी द म्यूजिकल' में मनीशा कोइराला को हीरोइन लिया था. वो 'हम दिल दे चुके सनम' में भी मनीषा को ही 'नंदिनी' बनाना चाहते थे, वहीं दूसरी तरफ वो ये भी चाहते थे कि करीना कपूर को लेकर भी कन्फ्यूज थे, लेकिन तभी एक आवाज ने सब कन्फ्यूजन साफ कर दी और वो आवाज़ थी ऐश्वर्या राय की.


भंसाली और ऐश्वर्या राय की पहली मुलाकात आमिर खान और करिश्मा कपूर की सुपरहिट फिल्म 'राजा हिंदुस्तानी' की स्क्रीनिंग के दौरान हुई थी. शायद ही आपको पता होगा कि ये फिल्म पहले ऐश्वर्या राय को ऑफर हुई थी मगर डेट्स की वजह से वो इसे कर नहीं पाई. वहीं ऐश्वर्या भंसाली से मिली और मिलते ही उन्होंने संजय की तरफ हाथ बढ़ाया और पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा- 'हाय! आई एम ऐश्वर्या राय, आई लाइक्ड योर फिल्म खामोशी द म्यूजिकल.' भंसाली ने ऐश्वर्या हिरनी जैसी आंखें देखी, मीठी आवाज सुनी तभी उन्होंने ठान लिया कि यही मेरी फिल्म की 'नंदिनी' है.



भंसाली पहले ही अपने मन में सलमान खान को फिल्म के किरदार समीर के रूप में फिट कर चुके थे, मगर वनराज के रोल के लिए उन्होंने शाहरुख खान, आमिर खान, संजय दत्त, अनिल कपूर यहां तक की अक्षय कुमार जैसे सितारों से भी बात की लेकिन कोई भी फिट नहीं बैठी, बाद में जाकर भंसाली की आंखों को अजय देवगन इस किरदार के लिए जच गए. वहीं जहां फिल्म के सभी किरदारों ने कहानी को हिट बनाने में अपना पूरा ज़ोर लगा दिया तो दूसरी तरफ इसके संगीत ने इसे सुपरहिट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भंसाली ने फिल्म की कास्ट के साथ-साथ इसके म्यूजिक पर भी बहुत मेहनत की थी क्योंकि फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले वो लगातार 2 सालों तक इस्माइल दरबार के साथ संगीत पर काम करते रहे. फिल्म में उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति, अलका याग्निक, कुमार शानू के गानों ने तो खूब वाहवाही लूटी ही इनके अलावा हरिहरन का गाया, 'झोंका हवा का आज भी' और 'तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही' जिसे कृष्णकुमार कुन्नथ उर्फ के के ने अपनी आवाज़ दी उन्हें हर किसी ने पसंद किया.