हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर,राइटर कादर खान भले ही आज हमारे बीच इस दुनिया में मौजूद ना हो लेकिन उनसे जुड़े किस्से, उनकी फिल्में और फिल्मों में उनके दमदार डायलॉग उन्हें इस दुनिया में हमेशा के लिए अमर कर गए. वैसे तो कारद खान ने अपने दौर में बॉलीवुड के हर बड़े कलाकार के साथ काम किया लेकिन उनकी बॉन्डिंग शहंशाह अमिताभ बच्चन के साथ कुछ अलग ही थी. कादर खान और अमिताभ बच्चन ने साथ में कई फिल्मों में काम किया जिनमें से उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों को लिखा भी कादर खान ने ही था, इनमें ‘कुली’, ‘अमर अकबर एन्थोनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘लावारिस’ ‘शराबी’ जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं. जिसमें से कारद खान के लिए सबसे यादगार रही ‘मुकद्दर का सिकंदर’.
दरअसल, इस फिल्म से जुड़े एक किस्से के बारे में कादर खान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, उन्होंने कहा कि- ‘फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ का एक सीन था जो मैंने प्रकाश मेहरा को सुनाया जहां अमिताभ स्टेज पर अपनी जिंदगी की कहानी सुनाते हैं, उसके अंदर मैंने अपनी ही कहानी लिखी थी. इत्तेफाक से वो एक ही सीन 16 पेजों का लिखा था. जब मैंने वो सीन फिल्म के प्रड्यूसर और डायेक्टर को उनके घर पर सुनाया तो वो सीन सुनकर रोने लगे, लेकिन जब शूटिंग शुरू हुई और अमित जी के पास सीन पहुंचा तो 16 पेज का सीन देखकर बोले, ‘ये क्या है, इतना बड़ा सीन होता है क्या?’. अमिताभ के असिस्टेंट ने भी उन्हें सीन पढ़कर सुनाया लेकिन वो फील तो आ ही नहीं सकती थी उसमें, जिसके बाद अमिताभ ने कहा कि ‘ये तो मुझसे नहीं होगा, इस सीन को छोटा करो.’ उस वक्त मैं अपनी किसी फिल्म की शूटिंग कर रहा था तो देखा वहां मुझे लेने के लिए अमित जी की गाड़ी आई है, उनका आदमी मेरे पास आया और कहा कि प्रकाश जी और अमित जी आपको बुला रहे हैं, क्योंकि 16 पेज वाले सीन में कुछ गड़बड़ है, मैंने सोचा कि उस सीन पर मैं नाज़ किए बैठा हूं और ये कह रहे हैं कि गड़बड़ है, मैंने कहा चलो’.
कादर खान ने आगे बताया कि- ‘मैं वहां गया तो अमित जी बोले कि ‘अरे भाई ये क्या लिखा है, क्या तूने पूरी किताब लिख दी है.’ फिर मैंने कमरे से बाकी सबको बाहर भेज दिया और वो सीन अमिताभ को पढ़कर सुनाने लगा, तब मेरे दोस्त अमिताभ ने अपना टेप रिकॉर्डर ऑन कर दिया, सीन सुनते-सुनते अमिताभ की आंखों में आंसू आ गए और कहते कि ‘इसीलिए तो मुझे कादर खान पर नाज़ है, तू मुझे सीन खुद रिकॉर्ड करके दिया कर क्योंकि तेरे जैसा कोई पढ़कर दे नहीं सकता है.’