मानो या न मानो, लेकिन एक मां में दुनिया को बदलने की क्षमता होती है. उसका प्यार इस पूरी दुनिया में सबसे पावरफुल है और वो मां ही होती हैं जो अपने बच्चे की पर्सनेलिटी को शेप देती हैं. वहीं अगर किसी बच्चे के सिर से छोटी उम्र में उसकी मां का साया उठ जाए तो इससे ज्यादा दर्दनाक उस बच्चे के लिए कुछ नहीं हो सकता है और वह भी तब, जब वह उसे आखिरी गुडबाय भी न कह पाए. वेटरेन स्क्रीनराइटर सलीम खान नौ साल की नन्ही उम्र में कुछ ऐसे ही दौर से गुजरे थे. वह उस दर्द से आज तक नहीं उबर पाए हैं. लेकिन बचपन के इस अनुभव ने उन्हें काफी बदल दिया.


नौ साल की उम्र में मां को खो दिया था


सलीम खान इंदौर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 24 नवंबर, 1935 को ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था. उन्होंने अपनी लाइफ में काफी उतार-चढ़ाव. उन्हें लोगों से बहुत प्यार भी मिला. बचपन में मां को खो देने के गम ने सलीम खान के व्यक्तित्व में बदलाव किया और उन्हें उनके बच्चों, सलमान खान, अरबाज खान, सोहेल खान, अलवीरा खान और अर्पिता खान के बेहद करीब ला दिया.


सलीम खान की मां को थी टीबी की बीमारी


एक इंटरव्यू के दौरान सलीम खान ने अपनी शुरूआती जिंदगी के कुछ राज खोले थे. सलीम खान ने इंदौर में बिताए अपने बचपन के दिनों के बारे में बताया था. उन्होंने बताया था कि उनका बचपन का अनुभव काफी शानदार था लेकिन इमोश्नल पेन से भरा था. सलीम खान ने कहा था कि उनकी जिंदगी अच्छी थी लेकिन वो ट्रैजिक भी थी. वह अपने परिवार में सबसे छोटे थे और जब वह नौ साल के थे तब उन्होंने अपनी मां को हमेशा के लिए खो दिया था. स्क्रीनराइटर सलीम खान ने बताया था कि मां को टीबी थी इसलिए मां की मौत से चार साल पहले से ही उन्हें उनकी मां से नहीं मिलने दिया गया. दरअसल उस समय इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था और यह संक्रामक बीमारी थी. यहां तक कि डॉक्टर भी काफी सावधानी बरतते थे. सलीम खान ने बताया था कि उनकी मां टीबी की बीमारी की वजह कम्पाउंड में बनी एक अलग झोपड़ी में रहती थीं. उन्हें वहां खाना पहुंचा दिया जाता था. उनके बर्तन भी अलग रखे जाते थे. हर साल, चार महीने के लिए वह नैनिताल के भोवाली में रहती थी और इंदौर में सर्दियों और बारिश के मौसम में रहा करती थीं.


मां की तकलीफ से होता था दुख


सलीम खान ने बताया था कि उन्हें अपनी मां को टीबी की बीमारी की वजह से काफी तकलीफ झेलते हुए देखकर काफी दुख पहुंचता था. उन्होंने बताया था कि उनकी मां चार साल तक बिस्तर पर ही रहीं. एक घटना के बारे में जिक्र करते हुए सलीम खान ने बताया कि, “एक दिन मेरी मां बगीचे में बैठी हुई थीं. मैं उनके पास ही खेल रहा था. उन्होंने घर के नौकर से मेरे बारे में पूछा कि यह कौन हैं. जब उन्हें बताया गया कि मैं उनका छोटा बेटा हूं तो उन्होंने मुझे बुलाया. मैं उनके पास जाना चाहता था, लेकिन उन्होंने मुझे मना कर दिया. वह रो रहीं थीं. हालांकि उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, उनका चेहरा एकदम स्ट्रेट था, लेकिन वह रोती रही थीं.”


मां की मौत के बाद पिता के आए करीब


सलीम खान ने यह भी खुलासा किया था कि वह अपनी लाइफ के शुरुआती सालों के दौरान अपने पिता के क्लोज नहीं रहे, लेकिन मां की मौत के बाद,उनकी उनके पिता के साथ गहरी बॉंडिंग हुई. सलीम खान ने बताया था कि उनके पिता उन्हे सब कुछ लाकर देते थे. वे क्रिकेट के शौकिन थे. जब वह अपने पिता से बॉल या बैट की डिमांड करते तो वह उन्हें एक स्टोर में ले जाते थे. लेकिन मां की मौत के एक साल बाद उनकी मौत भी हो गई. सलीम कहते हैं कि, जब मेरी मां जिंदा थी तब मैं अपने पिता के करीब नहीं था क्योंकि मैं उनसे डरता था. लेकिन मां की मौत के बाद उनके स्वभाव में काफी बदलाव आया और वे काफी सॉफ्ट नेचर के हो गए.


बचपन के अनुभव के बाद लिया बड़ा फैसला


सलीम खान ने बताया था कि बचपन के इस अनुभव के बाद से ही उन्होंने फैसला किया था कि वे अपने बच्चों के साथ काफी दोस्ती भरा व्यवहार करेंगे. उन्होंने कहा था कि उनके बच्चे उनसे खौफ नहीं खाते हैं. वे अपने इश्यू उनके साथ शेयर करते हैं और उनके भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. सलीम खान कहते हैं कि वह अपने बच्चो को सलाह देते हैं. और अच्छी बात यह है कि वे भी जानते हैं कि एक अनुभवी व्यक्ति उनसे एक कदम आगे हैं. वे मुझसे ज्यादा ज्ञानी हो सकते हैं और इंटेलिजेंट भी हो सकते हैं, लेकिन वे जानते हैं कि मैं एक अनुभवी इंसान हूं और इसके अलावा कोई ऑप्शन नहीं है.


ये भी पढ़ें


Bigg Boss 14: राखी सावंत ने रुबीना दिलैक को कसा ताना, बोली- इनका काम तो बस रोना है


सलमा आगा की बेटी जारा को अश्लील मैसेज कर मिली धमकी, शख्स गिरफ्तार