प्रोड्यूसर प्राण लाल मेहता की फिल्म 'लव 86' जो साल 1986 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म से गोविंदा (Govinda) ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने शुरू किए थे. फिर जब गोविंदा को प्राण लाल मेहता ने फिल्म 'मरते दम तक' के लिए साइन किया, तब तक वो बॉलीवुड के बड़े स्टार बन चुके थे. ये वो वक्त था जब गोविंदा की लगभग सभी फिल्में हिट होने लगी थीं. फिल्म 'मरते दम तक' के हिट होने के बाद प्राण लाल मेहता ने गोविंदा को फिल्म 'वो फिर आएगी' और 'जंगबाज़' के लिए भी साइन कर लिया, लेकिन बाद में प्राण लाल ने फिल्म 'वो फिर आएगी' से गोविंदा को बाहर कर जावेद जाफरी (Javed Jaffrey) को साइन कर लिया. ये बात गोविंदा को इतनी बुरी लगी कि उन्होंने प्राण लाल की दूसरी फिल्म 'जंगबाज़' को अपनी डेट्स देने में पंगे करने शुरू कर दिए.
गोविंदा के इस बर्ताव से फिल्म 'जंगबाज़' के डायरेक्टर मेहुल कुमार भी काफी परेशान हो गए. वहीं, मेहुल दूसरी तरफ एक और फिल्म 'आसमान से ऊंचा' का भी डायरेक्शन कर रहे थे जिसमें जीतेंद्र, राज बब्बर और गोविंदा लीड रोल में थे. गोविंदा के बर्ताव से परेशान होकर मेहुल कुमार ने इस फिल्म में गोविंदा का रोल काफी कम कर दिया था.
जब फिल्म 'आसमान से ऊंचा' का ट्रायल शो रखा गया तो गोविंदा ने देखा कि वो तो इस फिल्म में सिर्फ एक जूनियर आर्टिस्ट बनकर रह गए हैं. हालांकि, गोविंदा ने फिल्म के निर्माता सुजीत कुमार को बहुत कहा कि फिल्म में उनका रोल बढ़ाया जाए लेकिन सुजीत ने गोविंदा की एक ना सुनी. सुजीत और गोविंदा में इस बात को लेकर बहस हो गई, इतना ही नहीं दोनों में हाथापाई हुई जिसमें गोविंदा ने सुजीत कुमार को थप्पड़ दे मारा. बात बहुत बिगड़ गई थी इसी वजह से इस फिल्म में गोविंदा की डबिंग एक मिमिक्री आर्टिस्ट से करवाई गई थी.
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