विशेष: देवदास में 'चंद्रमुखी' के रोल के लिए मिले फिल्मफेयर अवार्ड को वैजयन्ती माला ने क्यों लौटा दिया था
हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा व जिन्होंने 60 के दशक में भी हीरो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, उस हसीन सुपरस्टार का नाम है वैजयन्ती माला
![विशेष: देवदास में 'चंद्रमुखी' के रोल के लिए मिले फिल्मफेयर अवार्ड को वैजयन्ती माला ने क्यों लौटा दिया था Why Bollywood Actress Vyjayanthimala Refused Film Faire Award For Movie Devdas विशेष: देवदास में 'चंद्रमुखी' के रोल के लिए मिले फिल्मफेयर अवार्ड को वैजयन्ती माला ने क्यों लौटा दिया था](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/05/29232222/vyjanthimala.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा व जिन्होंने 60 के दशक में भी हीरो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, उस हसीन सुपरस्टार का नाम है वैजयन्ती माला. ये वो दौर था जब फिल्मों में एक्ट्रेस सिर्फ गानों के लिए या भी हल्के-फुल्के सीन के लिए होती थीं, लेकिन वैजयन्ती माला अपनी हर फिल्म में हीरो पर भारी पड़ जाती थीं. जब वो फिल्म के सेट पर आती थीं तो ऐसा बोलबाला होता था जैसा किसी हीरो का होता था. वैजयन्ती माला दक्षिण से ताल्लुख रखती थीं, आत्म विश्वास और शक्ति वैजयन्ती माला की आंखों में साफ दिखाती देती थी.
वैजयन्ती माला की मां तमिल फिल्मों की जानी-मानी स्टार थीं, उनकी मां और उनकी उम्र में सिर्फ 16 साल का ही फर्क था इसी वजह से वैजयन्ती माला अपनी मां को उनके नाम से ही बुलाया करती थीं. जब वैजयन्ती माला ने अपनी पहली तमिल फिल्म साइन की तो उनकी नानी खुश नहीं थीं क्योंकि उन्हें लग रहा था कि फिल्मों की वजह से वैजयन्ती की पढ़ाई अधूरी रह जाएगी. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. वैजयन्ती माला की आंखों में फिल्मी दुनिया पर राज करने की चाहत साफ नजर आती थी. महज़ 14 साल की उम्र में साउथ फिल्मों की एक्ट्रेस बन चुकी थीं. उनकी पहली तमिल फिल्म का नाम था ‘वज़काय’ जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, जिसके बाद इस फिल्म का हिंदीं रीमेक साल1951 में ‘बहार’ के नाम से बनाया गया. फिर क्या था, उन्होंने लगभग 20 साल तक बॉलीवुड पर राज किया. वैजयन्ती माला ने अपने समय में हर बड़े कलाकार के साथ काम किया और खुद को साबित किया कि वो किसी से कम नहीं है. उनका सेमी क्लासिकल डांस हर किसी को उनका दीवाना कर रहा था. फिल्म ‘नागिन’ में ‘तन डोले मेरा मन डोले’ पर उनके डांस ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया था. फिर साल 1955 में वैजयन्ती माला की 5 फिल्में रिलीज हुई और सभी की सभी फ्लॉप साबित हुई जिसके बाद लगने लगा कि शायद अब उनका करियर खत्म हो गया है, लेकिन वैजयन्ती कहां हार मानने वालों में से थीं.
दिलीप कुमार की ‘देवदास’ ने जैसे एक बार फिर वैजयन्ती माला का डंका बॉलीवुड में बजा दिया. फिल्म देवदास में ‘चंद्रमुखी’ का किरदार पहले नूतन, मीना कुमारी, सुरइया,वीना राय जैसी टॉप एक्ट्रेस ने करने से इंकार कर दिया था, फिल्म को पूरा करने का प्रेशर लगातार बढ़ रहा था क्योंकि फिल्मकार, डिस्टब्यूटर से फिल्म को बनाने का वादा भी कर चुके थे, इसीलिए डायरेक्टर विमल रॉय ने फिल्म में ‘चंद्रमुखी’ के किरदार के लिए कम उम्र होने के बाद वैजयन्ती माला को कास्ट किया और बन गईं बॉलीवुड की पहली ‘चंद्रमुखी’. इस फिल्म के लिए वैजयन्ती माला को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, लेकिन उन्होंने ये कहकर अवॉर्ड लेने से इंकार कर दिया कि वो फिल्म में सपोर्टिंग एक्ट्रेस नहीं थीं. ’मेरा रोल फिल्म में सुचित्रा सेन के बराबर था.’
फिल्म नया दौर से वैजयन्ती माला के करियर ने नई ऊंचाइयों को छुआ, इस फिल्म में पहले मधुबाला को कास्ट किया गया था लेकिन उनकी खराब तबीयत की वजह से वो इसकी शूटिंग के लिए बाहर नहीं जा पा रही थीं, जिसके बाद फिल्म में वैजयन्ती माला को दिलीप कुमार के साथ एक बार फिर काम करने का मौका मिला. फिल्म साल 1957 की दूसरी सबसे बड़ी सुपरहिट साबित हुए, उस वक्त इस फिल्म ने 5 करोड़ 40 लाख रुपये कमाए थे.
वैजयन्ती माला और दिलीप कुमार की जोड़ी पर्दे पर हिट हो गई. वहीं एक बार जब दोनों किसी फिल्म में साथ काम कर रहे थे तो दिलीप कुमार के लेट शूट शेड्यूल की वजह से डायरेक्टर ने वैजयन्ती माला को अपना शेड्यूल बदलने को कहा तो उन्होंने गुस्से में आकर कह दिया कि- ‘अगर वो दिलीप कुमार हैं तो मैं भी वैजयन्ती माला हूं.’ कुछ ऐसा था वैजयन्ती माला का रुतबा.
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