आज 8 मार्च है और दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ाने और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. आज हर कोई घर, ऑफिस में और अन्य जगहों पर काम करने वाली महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करता है. बॉलीवुड ने भी महिलाओं के सम्मान को समझते हुए कई बार महिलाओ पर आधारित फिल्में देश और दुनिया के सामने पेश की है. इन फिल्मों के जरिये महिलाओं के योगदान और उनकी अहमियत की कहानी बताई गई है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको बताने जा रहे है बॉलीवुड की ऐसी ही 10 महिला प्रधान फिल्मों के बारे में जिनमें महिलाओं की सशक्त भूमिका दिखाई गई है. ये फिल्में महिलाओ के प्रति समाज की सोच व नजरिया बदलने में कारगर साबित हुई हैं.
1- फिल्म ‘मॉम’
साल 2017 में रिलीज हुई दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की फिल्म 'मॉम' एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपना बदला खुद लेती है. हमारे कानून में कई कमियां हैं जिसका फायदा उठाकर अपराधी सजा से बच जाते हैं. ऐसा ही श्रीदेवी की सौतेली बेटी के साथ होता है. श्रीदेवी की बेटी का बलात्कार करने वाले कोर्ट से बरी कर दिए जाते हैं जिसके बाद वो खुद अपनी बेटी के लिए इंसाफ लेने की ठानती है.
2- फिल्म 'निल बटे सन्नाटा'
साल 2016 में आई अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्म 'निल बटे सन्नाटा' ने सभी का दिल जीत लिया था. फिल्म की कहानी एक सिंगल मदर और उसकी बेटी पर आधारित है. फिल्म में बेटी मैथ्स से दूर भागती है और पढ़ाई की अहमियत समझाने और मोटिवेट करने के लिए उसकी मां भी स्कूल में एडमिशन ले लेती है. फिल्म में स्वरा भास्कर के काम की जमकर तारीफ हुई थी.
3- फिल्म 'कहानी'
सुजॉय घोष की फिल्म 'कहानी' साल 2012 में रिलीज हुई. ये फिल्म एक ऐसी सश्क्त महिला की कहानी पर आधारित है जो बड़ी ही हिम्मत और समझदारी से अपने पति की मौत का न सिर्फ बदला लेती है बल्कि सिस्टम में फैली गंदगी और अपने पति के अधूरे काम को भी पूरा करती है. इस फिल्म के लिए विद्दा बालन को दर्शकों का खूब प्यार मिला.
4- फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश'
साल 2012 में आई दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' की भी जमकर तारीफ हुई. ये फिल्म एक ऐसी मां की कहानी पर आधारित है जो अपने एडवांस बच्चों से थोड़ा पिछड़ जाती है और इसमें सबसे बड़ा रोड़ा उसके आगे आता है इंग्लिश भाषा का. वो किस तरह अपनी इस अड़चन पर पार पाती है ये कहानी इसी पर आधारित है.
5- फिल्म ‘नीरजा’
एयर होस्टेस नीरजा भनोट की असल कहानी पर आधारित निर्देशक राम माधवानी की इस फिल्म ने भी दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी. फिल्म में नीरजा भनोट का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. ये फिल्म भी औरत की उस छुपी हुई ताकत की बात करती है जिसे अक्सर वो खुद ही नहीं समझ पाती.
6- फिल्म 'क्वीन'
विकास बहल की फिल्म 'क्वीन' भी बड़े पर्दे पर रिलीज हुई. फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की पर आधारित थी जिसका घरेलू होना ही उसके लिए अभिशाप बन जाता है और उसका मंगेतर शादी से ठीक पहले शादी तोड़ देता है. ऐसे में कैसे लड़की और उसका परिवार स्ट्रगल करता है. फिल्म में कंगना रनौत मुख्य भूमिका में थी और राजकुमार राव भी अहम भूमिका में नजर आए थे.
7- फिल्म ‘पिंक’
2016 में आई फिल्म ‘पिंक’ को अनिरुद्ध राय चौधरी ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म में अभिताभ बच्चन और तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हरी जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे. फिल्म में दिल्ली की रहने वाली तीन लड़कियां की कहानी दिखाई गई थी. फिल्म के जरिए बताया गया था कि, इफ ए गर्ल से नो, इट मीन्स नो… फिर चाहें वो आपकी गर्लफ्रेंड हो, आपकी पत्नी हो या फिर अपने जिस्म को सौदा करने वाली वेश्या.” ‘पिंक’, आपको बताने की कोशिश करती है कि औरत की अपनी एक सोच है और उसकी एक स्वतंत्रता है.
8- फिल्म ‘थप्पड़’
पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'थप्पड़' में तापसी पन्नू ने एक घरेलू महिला का किरदार निभाया. लेकिन थप्पड़ ने उनकी जिंदगी बदली और खुद को इंडिपेंडेंट बनाया. इस फिल्म कई कुरीतियों पर तमाचा जड़ा. इस फिल्म को अभिनव सिन्हा ने डायरेक्ट किया. इस फिल्म के जरिए महिला सम्मान और पुरुषवादी सोचों पर सवाल उठाए गए हैं.
9- फिल्म 'पार्च्ड'
अजय देवगन व सहयोगियों द्वारा निर्मित फिल्म 'पार्च्ड' एक ऐसी फिल्म है जो हमारे समाज की आंखों पर बंधी पट्टी को खोलने का काम करती है. यूं तो हम काफी आगे निकल आए हैं और ये गलत फहमी पाल बैठे हैं कि बहुत ज्यादा नारी सश्क्तिकरण हो रहा है. लेकिन हमारे ही देश के दूर दराज के इलाकों में महिलाओं की क्या स्थिति है ये फिल्म इसे बेहद बेहतरीन तरीके से दर्शाती है.
10- फिल्म 'हाइवे'
साल 2014 में इम्तियाज अली निर्देशित फिल्म 'हाइवे' ने एक ऐसे मसले को उठाया जो हम और आप कभी-कभी खुद से साझा करने में भी हिचकते हैं. बचपन में बच्चे शोषण का अर्थ नहीं समझते, ऐसे में कई बार आपके ही आस-पास के लोग उनकी इस मासूमियत का फायदा उठाने लगते हैं. हमारे समाज के इस बेहद काले सच को इम्तियाज अली ने बड़ी ही शालीनता से उठाया था. इस फिल्म में आलिया भट्ट के अभिनय की भी जमकर तारीफ हुई थी. आलिया के साथ इस फिल्म में रणदीप हुड्डा भी अहम भूमिका में थे.
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