Sonia Gandhi Vs PM Modi: नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald Case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 11 घंटों की पूछताछ चली, जिसमें उनसे 100 सवाल पूछे गए. कांग्रेसी नेताओं ने इस पूछताछ के विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया. कई राज्यों में लोग धरने पर बैठे और सरकार विरोधी नारे लगाए. मां से हो रही पूछताछ को लेकर राहुल गांधी ने भी विरोध जताया और वो भी धरने में शामिल हुए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना था कि BJP की सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और उनकी नेता को परेशान करने की मंशा पाल रखी है.
नेताओं ने ये आरोप भी लगाया कि तमाम जांच एजेंसियां BJP के इशारे पर काम करती हैं और विपक्ष के नेताओं को परेशान किया जा रहा है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने PMLA में साल 2018 के संशोधनों को सही ठहराया है और ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को भी बरकरार रखा है.
कभी नरेंद्र मोदी से हुई थी घंटों पूछताछ
बात करें सत्ता पक्ष और विपक्ष के प्रति की गई कार्रवाई की तो साल 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर आरोप लगे कि उन्होंने दंगा रोकने की कोशिश नहीं की और ढिलाई दिया, जिस वजह से दंगा भड़का. उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और इस मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार ने एसआईटी का गठन किया और कई सालों तक इस कांड की जांच चली.
पहली बार किसी मुख्यमंत्री से एसआईटी ने की थी पूछताछ
साल 2010 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद मोदी गांधीनगर में एसआईटी दफ़्तर में पेश हुए तो ये पहली बार था जब किसी जांच एजेंसी ने किसी मुख्यमंत्री से सांप्रदायिक हिंसा में कथित मिलीभगत के लिए पूछताछ की हो. एसआईटी की जांच 12 महीने चली और 163 गवाहों के बयान लिए गए और ये सब शुरुआती जांच के तहत हुआ. उनसे पूछताछ की ज़िम्मेदारी रिटायर्ड सीबीआई अफ़सर एके मल्होत्रा ने की थी. उनसे कम से कम 71 सवाल पूछे गए.
गुजरात में भड़की थी हिंसा, मोदी थे सीएम
गोधरा कांड में 59 हिंदू मारे गए थे. 2002 में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में लगी आग में कई कार सेवकों की मौत हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ डिब्बे में कुल 59 लोग मौजूद थे. इनमें से ज़्यादातर वो लोग थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे. साल 2002 में तीन दिन तक चली हिंसा में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू मारे गए थे और 223 लोग लापता हो गए थे.
उस वक्त गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी पर दंगों को रोकने के लिए उचित कदम न उठाने के आरोप लगे. उन्हें अमरीका का वीजा नहीं मिला था और ब्रिटेन ने दस साल तक उनसे अपने रिश्ते तोड़े रखे थे. इन तमाम आरोपों के बाद केंद्र की यूपीए सरकार जो कांग्रेस के नेतृत्व में बनी थी. यूपीए सरकार ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. इस मामले की जांच के लिए गठित नानावती आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है. मोदी के अलावा उस समय के उनके मंत्रियों को भी क्लीन चिट दी गई है.
नेशनल हेराल्ड कांड में फंसा गांधी परिवार
अब केंद्र में बीजेपी समर्थित एनडीए की सरकार है. एक निचली अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की 2013 में एक निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर यंग इंडियन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच पर संज्ञान लिया था, जिसके बाद ईडी ने मामला दर्ज किया था. इस मामले में ईडी ने गांधी परिवार 64 करोड़ रूपए की सम्पत्ति को स्थायी रूप से कुर्क कर दिया है, ये सम्पत्तियां हरियाणा के पंचकुला में हैं.
सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है, जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं. वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए. कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे. तब से ईडी इस मामले की जांच कर रही है और तमाम नेताओं से पूछताछ की जा रही है.
ईडी ने इस मामले में पिछले महीने राहुल गांधी से भी पूछताछ की थी. उनसे पांच दिनों तक 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गयी. ईडी ने धन शोधन निरोधक कानून के आपराधिक प्रावधानों के तहत पिछले साल एक नया मामला दर्ज किया था, जिसके बाद गांधी परिवार से पूछताछ शुरू की गयी.
ये भी पढ़ें:
National Herald Case: सोनिया गांधी से आज की पूछताछ खत्म, ईडी ने तीन दिनों में 11 घंटे तक किए सवाल जवाब