33 करोड़ की आबादी में 40 करोड़ लाइसेंस! अमेरिका में बंदूकें-रिवाल्वर रखने का शौक क्यों है?
अमेरिका में 50 साल पहले राष्ट्रपति लिन्डन बेन्स जॉनसन कह चुके थे कि देश में अपराधों में गई जानों की अहम वजह फायरआर्म्स हैं और ये हथियार संस्कृति पर लापरवाह रवैया अपनाने का नतीजा है.हालात जस के तस हैं.
American Gun Culture: उस देश की हालत क्या होगी जिस देश के राष्ट्रपति को खुद ये कहना पड़ जाए कि बस अब बहुत हो गया... ये देश और कोई नहीं दुनिया के ताकतवर देशों में गिना जाने वाला अमेरिका है और मुद्दा वही गन कल्चर की हिंसा का है. हालिया वारदात अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना के रेलीग में गुरुवार (13 अक्टूबर) को हुई. यहां एक 15 साल के लड़के ने अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 5 लोगों की जान ले ली. इसी से आहत हैं देश के राष्ट्रपति जो बाइडेन.
इस मसले पर शुक्रवार (14 अक्टूबर ) को दिया उनका बयान बेहद संजीदा है. उन्होंने ये माना है कि बंदूक वाली मास शूटिंग की ये वारदातें देश में इतनी अधिक हो गई हैं कि अब इन हत्याओं की खबर तक नहीं बनती. ये कहने से उनका मतलब है कि देश ने बंदूक से जाने वाली जानों को सहजता से स्वीकार कर लिया गया है. दुनिया पर अपनी ताकत का शिकंजा कसने वाला ये देश अपने यहां गन कल्चर से होने वाली हिंसा पर लगाम नहीं लगा पा रहा है.
33 करोड़ की आबादी वाले इस देश में लोगों से अधिक बंदूकें हैं यानी यहां 40 करोड़ लोग बंदूकधारी हैं. इन बंदूकों का ही जलवा है कि यहां बीते 50 साल में 15 लाख लोग बंदूकों का शिकार बन चुके हैं. आगे कितने और लोग अमेरिका में बंदूकों की भेंट चढ़ेंगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन यहां हम आपको ये बताने की कोशिश करेंगे कि इस देश में ये खतरनाक गन कल्चर यानी बंदूकवाली हिंसा की जड़ क्या है और विरोधों के बाद भी ये यहां क्यों पनप रहा है. शुरुआत हालिया मास शूटिंग से करते हैं.
राष्ट्रपति बोले, "बस करो"
यूएस के उत्तरी कैरोलाइना के रेलीग में गुरुवार देर शाम 15 साल का किशोर लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगा. इस मास शूटिंग में 5 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. यहां की पुलिस के मुताबिक मास शूटिंग की ये वारदात 2 मील के दायरे तक चली. अमेरिकी वक्त के मुताबिक ये मास शूटिंग 17:00 EDT के ठीक बाद शुरू हुई. अस्पताल में संदिग्ध की हालत भी गंभीर बनी हुई है, लेकिन यह साफ नहीं है कि वह कैसे घायल हुआ.
इस हालिया घटना से ये देश सकते में हैं. यूएस के गन वायलेंस आर्काइव के मुताबिक साल 2022अमेरिका में 533 सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं. इस आर्काइव की वेबसाइट में बताया गया है कि अमेरिका में इस साल गोलीबारी में 34,000 से अधिक लोग मारे गए, इनमें से आधे से अधिक खुदकुशी वाले मामले थे.
मौतों के इसी आंकड़े को देख राष्ट्रपति जो बाइडेन घबराए हुए हैं. हालिया वारदात पर उनका गुस्सा, गम और फिक्र उनके लफ्जों में झलक आई है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा,"बस अब बहुत हो गया. हम सामूहिक गोलीबारी का भयानक बोझ झेल रहे बहुत से परिवारों के साथ बहुत शोक जता चुके हैं और प्रार्थनाएं कर चुके हैं." उन्होंने कहा कि बंदूक की इन हिंसक वारदातों पर रोक लगनी चाहिए. गौरतलब है कि दुनिया के नक्शे में 50 राज्यों का देश यूएस जो उत्तरी अमेरिका के एक विशाल क्षेत्र को कवर करता है, वहां लाइसेंसी बंदूकों से होने वाली हिंसा आम है.
We're grieving with the families in Raleigh, NC,
whose loved ones were killed or hurt in another mass shooting. We're grateful for the law enforcement and other first responders on the scene. For the lives we’ve lost and the lives we can save, we must pass an assault weapons ban.
— President Biden (@POTUS) October 14, 2022
पुराना है बंदूक संस्कृति से नाता
वो कहते हैं की न पुरानी आदतें छूटते नहीं छूटती और अमेरिका में बंदूक संस्कृति की ये आदतें भी बेहद पुरानी है. यहां आज से नहीं बल्कि 230 साल पहले से नागरिकों के बंदूक रखने की संस्कृति चली आ रही है. यहां इसकी शुरुआत का श्रेय अंग्रेजों को जाता है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अमेरिका में खुद की और परिवार की सुरक्षा के लिए लोग बंदूक रखा करते थे. अमेरिकी संविधान ने साल 1971 में दूसरे संशोधन (Second Amendment) के जरिए नागरिकों को हथियार खरीदने और रखने का कानूनी हक दे दिया. लाख कोशिशों के बाद भी 51 साल पहले का ये कानून यहां कायम है और अब तो मास शूटिंग की लगातार और बढ़ती घटनाओं की वजह से ये एक तरह से सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है.
अमेरिका में कितनी हैं बंदूकें ?
आंकड़ा सबूत है कि बीते कई वर्षों में अमेरिका में बंदूक के स्वामित्व में काफी बढ़ोतरी हुई है. आज से 50 साल पहले की बात करें तो अमेरिका में 9 करोड़ बंदूकें थीं और हालात आज भी नहीं बदले हैं. यही वजह है कि अमेरिकी जीवन में आग्नेयास्त्रों (Firearms) से होने वाली मौत एक स्थिरता है. ये यहां के लोगों का सच है जो नकारा नहीं जा सकता है. दुनिया भर में निजी हाथों में बंदूकों की संख्या का हिसाब लगाना बेहद मुश्किल है. लेकिन इसमें स्विट्ज़रलैंड की एक मशहूर शोध प्रोजेक्ट वाली संस्था स्मॉल आर्म्स सर्वे ने पहल की है.
इसके आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में विश्व की कुल 85.7 करोड़ बंदूकों में से 39 करोड़ बंदूकें अमेरिका के नागरिकों के पास थीं. आबादी के हिसाब से अमेरिका में दुनिया की केवल 5 फीसदी आबादी बसती है, लेकिन दुनिया की 46 फीसदी बंदूकें अमेरिका के लोगों के पास ही हैं. दुनिया भर के अन्य देशों की तुलना में बंदूकों का ये आंकड़ा अमेरिका में बहुत अधिक है. यहां के नागरिकों और बंदूकों का अनुपात अभी प्रति 100 निवासियों पर 120.5 का है. साल 2011 में ये अनुपात प्रति 100 निवासी पर 88 रहा था. यानी आज से 11 साल पहले 100 में से 88 नागरिक बंदूकधारी थे.
हाल के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बीते कई वर्षों में बंदूक के मालिकों की संख्या में बेहद बढ़ोतरी हुई है. इस साल फरवरी में एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन की प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि 75 लाख बालिग अमेरिकी जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 में पहली बाद बंदूक के मालिक बने. ये यहां की बालिग आबादी का 3 फीसदी है. इसका मतलब ये हुआ कि 1 करोड़ 10 लाख बालिग अमेरिकी नागरिकों के घरों में बंदूक की पैठ हो गई. इन घरों के 50 लाख बच्चों को हाथ में भी बंदूक आ गई.
यानी केवल दो साल के इस वक्त में बंदूक के नए नवेले मालिकों में लगभग आधी संख्या औरतों की थी. 40 फीसद बंदूक के नए मालिक काले या हिस्पैनिक थे. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की साल 2021 में अलग से प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि कोरोना महामारी के दौरान बंदूक के स्वामित्व में बढ़ोतरी के बीच बच्चों के जरिए बंदूकों से होने वाली हिंसा और उनकी मौतों और घायल होने के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई. सीधे तौर पर इसका संबंध बंदूकों की बढ़ती खरीदारी से जोड़ा गया.
बंदूकों से बरसता मौत का आंकड़ा
अगर अमेरिका में बंदूक से होने वाली मौतों के 1968 से लेकर 2017 के 49 साल के वक्त पर नजर दौड़ाई जाए तो 1.5 मिलियन यानी 15 लाख लोग गन कल्चर की भेट चढ़ चुके हैं. ये आंकड़ा साल 1775 के अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के बाद से हर अमेरिकी संघर्ष में मारे गए सैनिकों की संख्या से भी बहुत अधिक है.
अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन-सीडीसी (US Centers for Disease Control And Prevention -CDC) के मुताबिक यहां रोजाना बंदूक औसतन 53 लोगों की जान लेती है. इस देश में 79 फीसदी जानें अकेले बंदूक से जाती हैं. साल 2020 में 45,222 से अधिक अमेरिकियों की मौत की वजह बंदूक बनी चाहे फिर वो खुदकुशी हो या हत्या. मौत का ये आंकड़ा इस साल यहां किसी भी साल हुई बंदूक से होने वाली मौतों में सबसे अधिक रहा.
सीडीसी के मुताबिक साल 2020 में मास शूटिंग में 19,384 मारे गए. इस हिसाब से 43 फीसदी इंसानी जानें बंदूकें निगल गईं. इसमे साल 2019 की तुलना में 34 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. अमेरिका में सामूहिक गोलीबारी और बंदूक हत्याएं आम तौर पर मीडिया का अधिक ध्यान खींचती हैं, जबकि इनमें बंदूक से होने वाली खुदकुशियां भी शामिल हैं. इन आंकड़ों में 24,300 मौतें बंदूक से खुदकुशी किए जाने की हैं, जो 54 फीसदी हैं. यह आंकड़ा मौतों में 5 साल पहले की तुलना में 25 फीसदी और 2010 से 43 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करता है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित 2016 के एक अध्ययन में पाया गया कि एक राज्य में बंदूक के मालिकों और बंदूक से होने वाली खुदकुशी के बीच बेहद मजबूत रिश्ता है. बंदूक से की जाने वाली खुदकुशी की दर पुरुषों और महिलाओं दोनों में बेहद अधिक है. बंदूक रखने की ये संस्कृति यहां इसलिए पनपती जा रही है कि यहां ये मुद्दा बेहद राजनीतिक है.
यहां राजनीतिज्ञ अपने राज्यों में लोगों के हथियार रखने के संवैधानिक हक की जमकर वकालत करते हैं.दूसरी तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका में कठोर बंदूक कानून लाने के पुरजोर समर्थक अक्सर इस आंकड़े का हवाला देते हैं. इन्हीं आंकड़ों का हवाला देकर वो सांसदों पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए अधिक संसाधनों देने और बंदूक प्रतिबंधों में कम ढील देने के लिए दबाव बनाते हैं.
बंदूक नियंत्रण पर हिमायती हैं कम?
अमेरिका में अक्सर होने वाली बंदूक हिंसा के व्यापक और मुखर सार्वजनिक आक्रोश के बावजूद यहां बंदूक नियंत्रण के पक्ष में अमेरिका के लोगों का समर्थन भी खास नहीं है. गैलप की वोटिंग की बात की जाए तो साल 2020 में सख्त बंदूक कानूनों के लिए अमेरिकी समर्थन 2014 के बाद से सबसे निचले स्तर पर रहा था.
इस सर्वे में केवल 52 फीसदी अमेरिकी सख्त बंदूक कानून के पक्ष में थे जबकि 35 फीसदी मानते थे कि इसमें बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि 11 फीसदी अमेरिकी नागरिक ऐसे भी थे जो बंदूक नियंत्रण के कानूनों को कम कठोर बनाए जाने के पक्ष में थे.
यहां बंदूक नियंत्रण पर सख्त कानून को लेकर लोगों की राय बेहद पक्षपातपूर्ण और काफी बंटी हुई हैं. यहां ये मुद्दा राजनीतिक पार्टियों के नियंत्रण में अधिक है और लोग भी उसी लाइन पर चलते हैं. इसका सबूत गैलप का सर्वे है जिसमें डेमोक्रेट सख्त बंदूक कानूनों के समर्थन में लगभग एकमत हैं और 91 फीसदी डेमोक्रेट इन सख्त कानूनों के पक्ष में हैं. दूसरी तरफ केवल 24 फीसदी रिपब्लिकन ही बंदूक पर सख्त कानूनों के पक्ष में हैं.
सर्वे में स्वतंत्र तौर पर 45 फीसदी लोग कानूनों की सख्ती के पक्ष में खड़े दिखे. अमेरिका के कुछ राज्यों ने हमले वाले हथियारों के मालिकाना हक पर प्रतिबंध लगाने या सख्ती करने के लिए कदम उठाए हैं. राज्य में इस पर कानून अलग-अलग होते हैं.
उदाहरण के लिए कैलिफ़ोर्निया ने सीमित अपवादों के साथ हमले के हथियारों के मालिकाना हक पर प्रतिबंध लगा दिया है. हथियारों पर इस तरह के कुछ नियंत्रणों का बड़े स्तर पर राजनीतिक तौर पर बंटे हुए लोग भी समर्थन करते हैं. जैसे कि सरकारों ने मानसिक रोगियों या ऐसे लोग जो पुलिस की निगरानी में है उनको हथियार बेचने पर प्रतिबंध लगाए हैं.
कौन है बंदूक नियंत्रण के खिलाफ?
संयुक्त राज्य अमेरिका में आर्थिक संकट और आंतरिक संघर्ष के वर्षों के बावजूद भी राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन-एनआरए (National Rifle Association-NRA) सबसे शक्तिशाली बंदूक लॉबी बनी हुई है. ये लॉबी बंदूक संस्कृति को खत्म करने की पुरजोर विरोधी है. ये इस संस्कृति को समर्थन करने वाले दूसरे संविधान के संशोधन के लिए दिए गए प्रस्तावों के पक्ष में भी नहीं है.
साल 2019 में यूएस में 63 हजार लाइसेंस वाले गन डीलरों से अमेरिकी नागरिकों ने 83 हजार करोड़ रुपये की बंदूकें खरीदी थीं. एनआरए के पास बंदूक नीति (Gun Policy) पर कांग्रेस के सदस्यों को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त बजट है. एनआरए ने जनवरी में अपने कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में दिवालियेपन का केस दायर किया.
बावजूद इसके इस संगठन ने लगातार दूसरे संशोधन (Second Amendment) का विरोध करने वाली गतिविधियों का मुकाबला करने की कसम खाई है. दूसरे संशोधन का मतलब अमेरिका की उस नियंत्रित नागरिक रक्षा सेना यानी मिलिशिया (Militia) से लगाया जाता है, जो एक स्वतंत्र राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जरूरी है और जो लोगों के हथियार रखने और धारण करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं करती.
अपनी कसम के तहत एनआरए अमेरिका भर में बन्दूक सुरक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों इसे आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. बीते कई चुनावी चक्रों में एनआरए और अन्य संगठनों ने अपने प्रतिद्वंदी बंदूक नियंत्रण लॉबी की तुलना में बंदूक समर्थक अधिकारों के संदेश पर लगातार बहुत अधिक पैसा खर्च किया है.
गौरतलब है कि यूएस के कई राज्य भी बंदूक रखने पर प्रतिबंधों को बड़े पैमाने पर खत्म कर चुके हैं.उदाहरण के लिए, जून 2021 में टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने कानून में एक "परमिटलेस कैरी बिल" पर साइन किए, जो उनके राज्य के नागरिकों को बगैर लाइसेंस या ट्रेनिंग के हैंडगन ले जाने की इजाजत देता है.
इसी तरह, 12 अप्रैल को जॉर्जिया 25वां ऐसा देश बन गया, जिसने बंदूकों को छुपाने या खुले तौर पर ले जाने के लिए परमिट की जरूरत को खत्म कर दिया.इस कानून का मतलब है कि उस राज्य के किसी भी नागरिक को बिना लाइसेंस या परमिट के बंदूक ले जाने का अधिकार है.
इस कानून को एनआरए ने समर्थन दिया था और संगठन के अंदर के नेताओं ने इस कदम को दूसरे संशोधन (Second Amendment) के लिए एक यादगार और अहम पल कहा था.
क्या मास शूटिंग बन रही जानलेवा?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचने वाली मास शूटिंग में होने वाली मौतों को ट्रैक करना आसान नहीं है. एफबीआई (FBI) ने एक दशक से अधिक वक्त में बढ़ती जा रही मास शूटिंग की वारदातों को ट्रैक किया है. इसमें देखा गया कि एक शख्स तेजी से आबादी वाले इलाकों में लोगों को मारने या इसकी कोशिश करने में सक्रिय तौर पर शामिल है.
एफबीआई के मुताबिक 2000-2020 के बीच अमेरिका में 345 एक्टिव शूटिंग की वारदातें हुईं. इसमें 1,024 से अधिक लोगों की जान गई और 1,828 घायल हुए. लास वेगास में साल 2017 में इस तरह का सबसे खतरनाक हमला हुआ था, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे और 500 घायल हुए थे. हालांकि, देखा गया है कि अधिकतर सामूहिक गोलीबारी में 30 से कम लोग मारे जाते हैं.
बंदूक के खूनी खेल में नंबर वन यूएस
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और वेल्स और कई अन्य देशों की तुलना में अमेरिका में हत्याओं का अनुपात बेहद अधिक है. सीडीएस की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में साल 2019 में सबसे अधिक बंदूक से खुदकुशी के मामले यूएस से ही आए.
यहां इस साल 23941 लोगों ने बंदूक से खुदकुशी को अंजाम दिया था और यहां ये बदूंक से होने वाली मौतों का 44 फीसदी रहा. इसी तरह दुनिया में बंदूक से होने वाली हत्याओं में भी अमेरिका नंबर वन है.
साल 2020 में यहां बंदूक के जरिए 79 फीसदी हत्याओं को अंजाम दिया गया. इसके बाद 37 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर कनाडा तो 13 फीसदी के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरे नंबर पर रहा. 4 फीसदी मौतों के साथ ब्रिटेन चौथे नंबर पर रहा.
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