लॉकडाउन खत्म हुआ तो क्या सबकुछ पटरी पर लौट आएगा?
15 अप्रैल को लॉकडाउन तो खत्म हो जाएगा. लेकिन क्या 21 दिनों से बंद पड़ा देश एक झटके में ही उठकर खड़ा हो पाएगा?
15 अप्रैल, 2020. ये वो तारीख है, जब भारत में कोरोना की वजह से शुरू हुए लॉकडाउन के 21 दिन पूरे हो जाएंगे. और इसी वजह से पूरे देश की निगाह भी इसी तारीख पर लगी हुई है कि क्या 21 दिन पूरे होने पर लॉकडाउन खुल जाएगा. और अगर ये लॉकडाउन खुलेगा भी तो क्या स्थितियां पहले की ही तरह सामान्य होंगी या इसके बाद भी लोगों को कुछ बंदिशें झेलनी होंगी. क्या फिर से फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा और फिर से सड़कें ट्रकों, बसों और कारों से गुलजार हो जाएंगी. ये सवाल इसलिए हैं, क्योंकि 15 अप्रैल को देश को थमे हुए 21 दिन हो जाएंगे और सामने चुनौती होगी एक झटके में उठकर खड़े होने की.
और चुनौती सरकार के सामने भी होगी. क्योंकि अगर 15 अप्रैल से लॉकडाउन खत्म हुआ तो लोग सड़कों पर उतरेंगे. मजदूर फैक्ट्रियों में जाएंगे. फंसे हुए लोग ट्रेन, बस और फ्लाइट्स के जरिए अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचने की कोशिश करेंगे और जब ऐसा होगा तो सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो जाएगी. और फिर खतरा होगा कोरोना का. उसके कम्युनिटी ट्रांसमिशन का. और सरकार किसी भी कीमत पर ये खतरा मोल नहीं ले सकती. इसलिए सरकार के पास एक ही विकल्प बचता है. और वो ये है कि लॉकडाउन खत्म किया जाए, लेकिन चरणबद्ध तरीके से. यानी कि जैसे एक झटके में लॉकडाउन लागू किया गया था, वैसे एक झटके में इसे खत्म नहीं किया जाएगा, बल्कि धीरे-धीरे करके प्रतिबंध खत्म किए जाएंगे और इस बात का खयाल रखा जाएगा कि सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रहे.
और इसलिए उम्मीद है कि सरकार सबसे पहले ज़रूरी चीजों पर से प्रतिबंध हटाएगी. मेडिकल सेवाएं और रोजमर्रा की ज़रूरतों पर तो प्रतिबंध लॉकडाउन में भी नहीं था, इसलिए लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी इन चीजों पर तो कोई असर नहीं ही पड़ेगा. हां, इतना ज़रूर हो सकता है कि ज़रूरी चीजों में कुछ और चीजों को शामिल कर लिया जाए. उदाहरण के लिए फूड और फॉर्मास्यूटिकल्स सेक्टर में तो कुछ चीजों के उत्पादन में छूट मिल सकती है, लेकिन टेक्सटाइल्स और कपड़े का उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों पर अगले कुछ दिनों तक रोक लगी रह सकती है. किसानों के लिए उर्वरक बनाने वाली फैक्ट्रियां भी काम करना शुरू कर सकती हैं ताकि किसानों को दिक्कत न हो.
लेकिन जो भी फैक्ट्रियां काम कर रही हैं या फिर 15 अप्रैल से काम करना शुरू करेंगी, उन्हें चलाने के लिए बिजली की ज़रूरत होगी. बिजली के प्रोडक्शन के लिए कोयले की ज़रूरत होगी. तेल की ज़रूरत होगी. और इन सभी चीजों के उत्पादन के लिए मज़दूरों की ज़रूरत होगी. सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने के लिए ट्रकों की ज़रूरत होगी. ट्रकों को चलाने के लिए ड्राइवरों की ज़रूरत होगी. और ड्राइवर हों या मज़दूर, उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने के लिए बसों की ज़रूरत होगी. इन सबकी ज़रूरत तुरंत होगी. तुरंत मतलब तुरंत. 14 अप्रैल की रात 12 बजे के बाद जब 15 तारीख हो जाएगी, तो इन सबकी ज़रूरत होगी. और ये सारी ज़रूरतें एक झटके में कैसे पूरा होंगी, यही सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है.
एन्युअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज के मुताबिक भारत में करीब दो लाख फैक्ट्रियां हैं, जिनमें डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग काम करते हैं. इन फैक्ट्रियों में सालान करीब 81 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन होता है. ये सब बंद पड़ा है 24 मार्च से. लेकिन लॉकडाउन वक्त से पहले खुल नहीं सकता. 14 अप्रैल के बाद बढ़ ज़रूर सकता है, लेकिन उसकी अपनी परेशानियां हैं. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रहे ये भी एक चुनौती है. कोरोना के केस कम से कम हों, उऩ्हें फैलने से रोका जाए औऱ जांच की संख्या बढ़ाई जाए, ये एक अलग चुनौती है. केंद्र सरकार और राज्य की सरकारें एक साथ कई मोर्चे पर इन्हीं चुनौतियों से जूझ रहीं हैं. और देश के लोग. उन्हें इंतजार है उस वक्त का, जब लॉकडाउन खत्म होगा और वो सामान्य तरीके से जीवन यापन कर सकेंगे.