अतीक-अशरफ हत्याकांड विदेश में बैठे भगोड़ों के लिए क्यों है राहत की खबर, कानूनी लड़ाई में बन सकता है हथियार
Atiq Ahmed and Ashraf Murder: नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और माल्या जैसे भगोड़े लगातार कोर्ट की आड़ लेकर बचते आए हैं. कोर्ट में चल रहे केस के चलते भारतीय एजेंसियां इन्हें भारत नहीं ला पा रही हैं.
Atiq Ahmed and Ashraf Murder: उत्तर प्रदेश में एक दौर में खौफ का दूसरा नाम बने अतीक अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अस्पताल के बाहर कुछ हथियारबंद शूटर्स ने अतीक और उसके भाई अशरफ को गोलियों से भून दिया, जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई. ये सब कुछ तब हुआ जब अतीक और उसका भाई दोनों पुलिस की कस्टडी में थे. पुलिस की हथकड़ी उनके हाथों में थी और इसी दौरान बेखौफ बदमाशों ने दोनों को मौत के घाट उतार दिया.
इस खौफनाक हत्याकांड का जिक्र देश के अलावा विदेशों में भी खूब हुआ. विदेशी मीडिया में इसकी जमकर कवरेज हुई और पुलिस पर भी सवाल उठाए गए. ऐसे में इस हत्याकांड से भारत के वो भगौड़े भी खुश हैं, जो हजारों करोड़ का घोटाला कर विदेश भाग गए. अब अतीक हत्याकांड के बाद इन भगोड़ों को भारत लाने में क्या मुश्किलें आ सकती हैं, आज इसी पर बात करेंगे.
भगोड़ों के प्रत्यर्पण की कोशिश में एजेंसियां
भारत की तमाम जांच एजेंसियां उन लोगों पर शिकंजा कसने की कोशिश में लगी हैं, जो भारत में अपराध या फ्रॉड कर विदेश भाग गए हैं. इनमें नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, संजय भंडारी जैसे कई कारोबारी शामिल हैं. इसके अलावा कई खूंखार अपराधियों को भी भारत लाने के लिए एजेंसियां पूरा जोर लगा रही हैं. इनमें से ज्यादातर कारोबारियों ने भारतीय बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाया है. जिसके बाद वो अलग-अलग देशों में छिपे बैठे हैं.
विदेशी कोर्ट में चल रहे मुकदमे
भारत के ऐसे तमाम भगोड़ों को जब एजेंसियों की तरफ से पकड़ने की कोशिश की गई तो वो उस देश की अदालत में चले गए जहां भागकर गए थे. नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और माल्या जैसे भगोड़े लगातार कोर्ट की आड़ लेकर बचते आए हैं. कोर्ट में चल रहे केस के चलते भारतीय एजेंसियों को इनका प्रत्यपर्ण नहीं हो पा रहा है. लंबे समय से विदेशी अदालतों में इन भगोड़ों के केस चल रहे हैं, जहां भारतीय एजेंसियां इनके खिलाफ सबूत पेश करती हैं.
अतीक हत्याकांड का क्या होगा फायदा?
अब सवाल ये है कि भारतीय भगोड़ों को अतीक अहमद हत्याकांड का फायदा कैसे होगा. दरअसल अगर ये हत्या बिना पुलिस की मौजूदगी के होती तो ये उतनी बड़ी घटना नहीं होती, लेकिन पुलिस कस्टडी में एक पूर्व सांसद और बड़े माफिया का कत्ल होने कई तरह के सवाल खड़े करता है. विदेशों में इसे सीधे भारतीय पुलिस की नाकामी के तौर पर देखा गया. इसीलिए जिन भारतीय अपराधियों का केस विदेशों में चल रहा है, उनके लिए ये एक हथियार की तरह है. जिसका इस्तेमाल वो अपनी आगे होने वाली सुनवाई में कर सकते हैं. उनके वकील आसानी से इस केस का जिक्र कर ये साबित कर सकते हैं कि उनके क्लाइंट को भारत में जान का खतरा है. इसीलिए उनका भारत प्रत्यर्पण रोक दिया जाना चाहिए.
मेहुल चोकसी को कोर्ट से मिली राहत
भारत में अपराध कर विदेश में बैठे भगोड़े कैसे कोर्ट में तरह-तरह के तर्क देकर बच निकलते हैं, इसका हाल ही में एक उदाहरण देखने को मिला. जब एंटीगुआ की कोर्ट से भगोड़े मेहुल चोकसी को बड़ी राहत मिली थी. मेहुल चोकसी ने भी कोर्ट में यही तर्क दिया था कि भारत में उसके साथ अमानवीय व्यवहार हो सकता है. जिसके बाद एंटीगुआ हाईकोर्ट ने कहा कि 13 हजार करोड़ की धोखाधड़ी मामले में मेहुल चोकसी को देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है.
भारत में खतरे का तर्क देते रहे हैं भगोड़े
मेहुल चोकसी के अलावा विजय माल्या ने भी विदेशी कोर्ट में भारतीय जेलों को गंदा और खतरनाक बताया है. इसके अलावा माल्या की तरफ से कोर्ट में मानवाधिकार का सहारा भी लिया गया है. जिसके चलते उसके प्रत्यर्पण टल सके. ठीक इसी तरह नीरव मोदी और संजय भंडारी ने भी भारत में अपनी जान का खतरा बताया था. बाकी भगोड़े भी इसी तरह के तर्क देकर भारतीय एजेंसियों से बचते आए हैं. इसीलिए अब पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और उसके भाई की गोली मारकर हत्या के मामले को सहारा बनाकर ये भगोड़े कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत कर सकते हैं.
एक साल में कितने भगोड़े आए भारत?
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2023 तक सिर्फ 6 भगोड़ों को भारत लाया गया. वहीं पिछले साल यानी 2022 में कुल 27 भगोड़ों को भारत लाने का काम किया गया. इन सभी के खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद विदेशी एजेंसियों की मदद से इन्हें पकड़ा गया और भारत को प्रत्यर्पण के तहत सौंपा गया. इसके अलावा कई बड़े अपराधियों के मामले विदेशी कोर्ट में चल रहे हैं, जिनके प्रत्यर्पण की कोशिश लगातार की जा रही है.
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