Explained: लेखक सलमान रुश्दी की किन किताबों को लेकर कब-कब हुआ विवाद
Salman Rushdie: सलमान रुश्दी का विवादों से गहरा नाता है. उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास को लेकर कई मुस्लिम देशों में विरोध होता रहा है. उनकी कई किताबों पर भारत समेत दूसरे देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है.
Salman Rushdie Attacked: ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर पश्चिमी न्ययॉर्क में इस इवेंट के दौरान उनपर जानलेवा हमला हुआ. हमलावर ने कार्यक्रम में उनके संबोधन के दौरान चाकू से उनपर हमला कर दिया. रुश्दी अभी अस्पताल में भर्ती हैं. 75 साल के सलमाल रुश्दी का जन्म मुंबई में साल 1947 में एक मुस्लिम कश्मीरी परिवार (Muslim Kashmiri family) में हुआ था. उनके पिता कारोबार में आने से पहले एक वकील और उनकी मां एक टीचर थी.
सलमान रुश्दी ने अपनी शुरुआती शिक्षा भारत (India) और इंग्लैण्ड (England) में की उसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) से इतिहास की पढ़ाई की. सलमान रुश्दी ने किताबों के जरिए दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. वहीं, उनकी कुछ रचनाओं में उनकी अलग सोच के कारण वह विवादों में भी रहे हैं. आइए आपको बताते है उनकी उन किताबों के बारे में जिन्हें लेकर वो काफी विवादों में रहे.
1981- ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’
लेखक सलमान रुश्दी के पहले उपन्यास 'ग्रिमस' के छह साल बाद उत्साह के साथ उनका दूसरा उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ प्रकाशित हुआ, जिसने उन्हें साहित्य जगत में काफी प्रसिद्धि दिलाई. ये एक काल्पनिक आत्मकथा पर आधारित उपन्यास है, जो भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के समय आधी रात को पैदा हुए एक करिश्माई बच्चे की कहानी बयान करती है. बता दें कि ये एक बेस्टसेलर उपन्यास बन गया और जिसने 1981 में बुकर पुरस्कार जीता.
1988- 'द सैटेनिक वर्सेज'
'द सैटेनिक वर्सेज' रुश्दी का चौथा उपन्यास था जो 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के सात बाद ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था. इस उपन्यास आशिंक रूप से पैंगबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित था. जिसने बुकर पुरस्कार फाइनलिस्ट में जगह बनाई और कोस्टा पुरस्कार अपने नाम किया. रुश्दी के इस उपन्यास पर काफी विवाद हुआ था, कई मुस्लिम संगठनों ने इस उपन्यास को ईशनिंदा करार दिया था.
1989- रुश्दी के खिलाफ फतवा हुआ जारी
सलमान रुश्दी के उपन्यास को लेकर मुस्लिम कट्टरपंथी देशों में इसका काफी विरोध किया गया. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने बाद में एक फरमान जारी कर रुश्दी की हत्या का आह्वान किया. खुमैनी ने मुसलमानों से रुश्दी और उनके प्रकाशकों को मारने का आग्रह किया. रुश्दी के खिलाफ जान से मारने का फतवा जारी होने के बाद से उन्हें नौ साल तक ब्रिटेन में पुलिस सुरक्षा में रखा गया. रुश्दी को पुलिस सुरक्षा मुहिया कराने के परिणामस्वरूप ईरान और ब्रिटेन के बीच राजनयिक संबंध टूट गए.
1989- पहली बार हत्या का प्रयास
रुश्दी पर पहली बार जानलेवा हमला अगस्त 1989 को मिडिल लंदन के बेवर्ली हाउस होटल में हुआ था. जहां एक लेबनानी व्यक्ति मुस्तफा माजेह ने रुश्दी को जान से मारने के लिए होटल में बम लगाया था. हांलाकि, वह अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो पाया. समय रहते इस साजिश का खुलासा हो गया.
1991- ट्रांसलेटर की हत्या
द सलमान रुश्दी के उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' का जापानी में अनुवाद करने वाले हितोशी इगारशी की जापान में सुकुबा विश्वविद्यालय में उनके कार्यालय में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. हमलावर की कभी पहचान नहीं हो पाई.
1998- ईरान आंशिक रूप से पीछे हटा
साल 1998 में जब मोहम्मद खतामी ने ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने घोषणा की कि ईरानी सरकार ब्रिटेन के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करने के लिए रुश्दी की हत्या का न तो "समर्थन करेगी और न ही उनपर कोई प्रतिबंध लगाएगी".
2007- रुश्दी को 'नाइटहुड' की उपाधि देने पर विवाद
ब्रिटेन ने साल 2007 में सलमान रुश्दी को साहित्य जगत में उनकी सेवाओं के लिए नाइटहुड की उपाधि दी थी. रुश्दी ने इस उपाधि को लेकर उन्होंने उस समय कहा था, "मैं इस महान सम्मान को प्राप्त करने के लिए रोमांचित और विनम्र हूं, और मैं बहुत आभारी हूं कि मेरे काम को इस तरह से पहचाना गया है." ब्रिटेन द्वारा रुश्दी को 'नाइटहुड' की उपाधि दिए जाने पर दुनिया भर के मुस्लिम देशों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पाकिस्तान और ईरान ने अपने ब्रिटिश दूतों को वापस कर औपचारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराया.
2010- अल-कायदा हिट लिस्ट में आया नाम
साल 2010 में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल-कायदा ने अपनी एक पत्रिका में उसकी हिट लिस्ट को जारी किया. अल-कायदा की इस हिट-लिस्ट में सलमा रुश्दी का नाम भी शामिल था, जिन्हें आतंकवादी संगठन मारना चाहता था.
2010- हत्या के डर से लिटरेचर फेस्टिवल में नहीं लिया भाग
साल 2012 में भारत में जयपुर में लिटरेटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया. सलमान रुश्दी को इस इवेंट में भाग लेना था लेकिन पुलिस को जानकारी मिली की कुछ लोग इवेंट के दौरान रुश्दि पर जानलेवा हमला कर सकते हैं. पुलिस ने रुश्दी को इस खतरे के बारे में बताया, जिसके बाद रुश्दी ने जान का खतरा देखते हुए इस लिटरेटर फेस्टिवल में भाग नहीं लिया.
2022- न्यूयॉर्क हमला
न्यूयॉर्क के चौटाउक्का में एक कार्यक्रम के दौरान सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला किया गया. हमलावर ने रुश्दी की गर्दन पर चाकू से कई वार किए. हमले के बाद रुश्दी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है. पुलिस ने रुश्दि पर जानलेवा हमला करने वाले को गिरफ्तार कर लिया है.
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