कोरोना की वजह से अब तक दुनिया भर में दो लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 30 लाख लोग कोरोना संक्रमित हैं और हर रोज ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. चीन से निकले इस वायरस की वजह से अब तक चीन में कुल 4,642 लोगों की मौत हुई है, वहीं इस वायरस की वजह से सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका में हुई हैं. अमेरिका में अब तक 54,000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 10 लाख लोग कोरोना से प्रभावित हैं और ये आंकड़े लगातार बदल रहे हैं.
कोरोना की वजह से परेशान इन देशों में एक देश ऐसा भी है, जहां पर मौत की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. ये देश है बेल्जियम जहां की आबादी करीब 11 लाख है. और इस देश में कोरोना की वजह से होने वाली मौतौं का आंकड़ा चीन को भी पार कर गया है. और अगर अमेरिका से तुलना करें तो बेल्जियम में कोरोना की वजह से मौतों का आंकड़ा अमेरिका के मुकाबले चार गुना ज्यादा है.
बेल्जियम के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां पर हर एक लाख की आबादी पर 57 लोगों की मौत हो रही है. और ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है. स्पेन में हर 1 लाख पर 47.4 की मौत हो रही है. इटली में 42.3 लोगों की मौत हो रही है. और ये स्थिति तब है, जब बेल्जियम के अस्पताल अच्छे हालात में हैं, अब भी वहां पर 42 फीसदी आईसीयू के बेड खाली हैं और वहां के अधिकारी कोरोना को लेकर खासी सख्ती बरत रहे हैं. इसके बावजूद बेल्जियम की हालत खराब है. यहां पर अब तक 5,453 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 2,772 लोग ऐसे थे, जो बुजुर्ग हैं और अपनी रिटायरमेंट के बाद वृद्धाश्रम में रह रहे थे.
हालांकि कोविड 19 की वजह से बेल्जियम के वृद्धाश्रमों में जितनी मौतें हुई हैं, उसमें से 95 फीसदी मौतों के बारे में इस बात की जांच नहीं की गई है कि उनकी मौत कोरोना से ही हुई है या वजह कोई और है. हालांकि सिर्फ लक्षणों के आधार पर उन मौतों को कोरोना की वजह से हुई मौत करार दिया गया है.
वैसे बेल्जियम में आम तौर पर हर रोज करीब 300 लोगों की मौत रजिस्टर की जाती है, लेकिन इस साल ये आंकड़ा करीब 600 के आस-पास है. इसकी असली वजह क्या है, इसे जांचने के लिए अब पूरे योरोप में अब यूरो मोमो तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे पहले यूरो मोमो तकनीक का इस्तेमाल फ्लू बीमारी के मरीजों की जांच के लिए किया जाता था.