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कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' में यूपी-बिहार को लेकर हो गई है क्या बड़ी चूक?

कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक की यात्रा करके कांग्रेस देश के संतों की ही तरह प्रेम, भाईचारे, अहिंसा का संदेश दे रही है. राहुल गांधी और भारतयात्री इसी यात्रा पर चल रहे हैं.

कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के जरिए देश में अपनी खोई हुई साख और विश्वास को दोबारा पाने की कोशिश कर रही है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 7 सितंबर से यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं.

150 दिन की इस महायात्रा में 7वें दिन राहुल गांधी ने दक्षिण भारतीय राज्य केरल में पदयात्रा की. मगर भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं. सबसे पहले तो ये कि यह यात्रा देश के 12 राज्यों में ही क्यों हो रही है? जिसमें देश के राजनीतिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य बिहार और उत्तर प्रदेश को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?  यात्रा को लेकर यह भी सवाल खोजे जा रहे हैं कि कांग्रेस दक्षिण भारतीय राज्यों पर क्यों ज्यादा ध्यान दे रही है?

कांग्रेस ने यूपी से कदम क्यों खीचें?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 20 लोकसभा सीटों वाले केरल में 8 दिन, लेकिन 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सिर्फ चार दिन की यात्रा करेंगे. सवाल यही देश की राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश से आखिर राहुल गांधी ने कदम क्यों खींच लिए हैं? कांग्रेस इस राज्य में पहले से ही जमीन तलाश रही है. वहीं राहुल गांधी खुद भी अमेठी का चुनाव में 2019 के लोकसभा चुनाव में हार चुके हैं. ऐसे कांग्रेस की यात्रा में यूपी की अनदेखी क्यों? बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा का जो रोडमैप घोषित किया है उसके मुताबिक यह यात्रा उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से सिर्फ एक जिले बुलंदशहर से होकर गुजरेगी. 

3670 किलोमीटर का प्लान, यूपी में सिर्फ 130 किलोमीटर
राहुल गांधी की यात्रा कुल 3670 किलोमीटर की है. जिसमें से उत्तर प्रदेश में बमुश्किल से 130-110 किलोमीटर यात्रा करेंगे. यह रास्ता तय करने में लगभग चार दिन लगेंगे.

गौरतलब है कि राहुल गांधी के अमेठी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रदेश ही उत्तर प्रदेश से पार्टी की एकमात्र लोकसभा सांसद हैं.

वहीं रायबरेली सीट पर सोनिया के खिलाफ समाजवादी पार्टी और बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे. हाल ही में सम्पन्न हुए यूपी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस महज दो सीट और ढाई प्रतिशत वोट पर सिमट गई थी.

शायद यह भी वजह है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ज्यादा मेहनत नहीं करना चाहती क्योंकि पिछले कई चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी यही चाहता है कि कांग्रेस जहा मजबूत है वहां ज्यादा मेहनत की जाए जिससे कि लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सकें.

इसके अलावा पार्टी ये भी जानती है कि बिहार में जेडीयू और राजद की अगुवाई में महागठबंधन काफी मजबूत है जिसका हो न हो कांग्रेस को ही फायदा मिलेगा. 

बीजेपी का तंज
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का जनाधार उत्तर प्रदेश से पूरी तरह से खत्म हो गया है. उत्तर प्रदेश में पार्टी का केवल एक सांसद (सोनिया गांधी) और विधानसभा में महज 2 विधायक हैं. जिसमें एक विधायक के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार नहीं दिया था .इसलिए वो वहां से जीत गया. सच्चाई ये है कि राहुल गांधी यूपी से पराजित होकर पलायन कर चुके हैं, ऐसी स्थिति में यूपी में कांग्रेस खत्म है, इसलिए उत्तर प्रदेश में कोई रास्ता न देखते हुए कांग्रेस ने यात्रा को भटका हुआ मान लिया है. यह वजह है कि राहुल गांधी यहां नहीं आ रहे हैं. 

राकेश त्रिपाठी ने आगे कहा कि सभी जानते हैं कि प्रियंका गांधी को प्रभारी बनाकर भी कांग्रेस सभी चालें चल चुकी है, लेकिन परिणाम कुछ नहीं आया है, इसलिए यूपी में अपनी यात्रा को पार्टी छोटा कर रही है. पिछले लोकसभा में राहुल गांधी को केरल के वायनाड जाकर शरण लेनी पड़ी थी इसलिए वो केरल में ज्यादा समय दे रहे हैं. 

यह कोई चुनावी यात्रा नहीं- कांग्रेस
यूपी-बिहार से भारत यात्रा क्यों नहीं गुजर रही इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि "यह कोई चुनावी यात्रा नहीं है. बीजेपी और आरएसएस ने देश को बांटने का काम किया है, जिससे भारत को नुकसान हुआ है.  बीजेपी और आरएसएस ने गली-गली विद्वेष फैलाया है, इनकी आर्थिक नीतियां बहुत कमजोर हैं जिसकी वजह से समाज में असमानता पैदा हुई है. केंद्र की सरकार हमारे संघीय ढांचे पर हमला कर रही है, राज्यों के अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है, इन सबके प्रति जनजागरण पैदा करना ही इस यात्रा का मकसद है." 

भारत जोड़ो यात्रा का संदेश 
पंकज श्रीवास्तव कहते हैं, कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक की यात्रा करके कांग्रेस देश के संतों की ही तरह प्रेम, भाईचारे, अहिंसा का संदेश में फैला रही है. इसी तरह की यात्रा पर राहुल गांधी और भारतयात्री चल रहे हैं. जिस यात्रा पर राहुल गांधी निकले हैं उसे तय करने में पूरे 150 दिन यानी पांच महीने का समय लग रहा है. इस तरह से दाएं-बाएं मुड़ने में यात्रा को सालों लग जाएंगे.

श्रीवास्तव ने कहा कि यात्रा का मकसद कोई राजनीतिक या तत्काल राजनीति फायदा उठाने का नहीं है. साथ ही यात्रा के जरिए देश के लोगों से जुड़ना, उन्हें बताना है कि प्रेम, करूणा, अहिंसा इस देश के मुल्य हैं और आज जो नफरत देश में फैलाई जा रही है वो भारत के विचार के लिए खतरनाक है. 

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