Bihar Me 10 Lakh Rojgar: बिहार में एनडीए का गठबंधन (Bihar NDA Alliance) टूटने के बाद महागठबंधन (Grand Alliance) की सरकार बनी है. बुधवार को सीएम के तौर पर नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar)ने तो डिप्टी सीएम के रूप में तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ने शपथ ले लिया है. अब विधानसभा में 24 अगस्त को महागठबंधन की सरकार अपना बहुमत साबित करेगी. महागठबंधन की सरकार बनने से पहले बिहार विधानसभा में 10 लाख लोगों को (Employment) रोजगार देने का वादा करने वाले तेजस्वी यादव के सामने वादा को पूरा करने की चुनौती है. इस बारे में उन्होंने शपथ लेने के बाद ही कहा कि इस वादे को सबसे पहले निभाएंगे और एक महीने के भीतर बिहार मे बंपर वैकेंसी (Bumper Vacancy In Bihar)निकाली जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बारे में नीतीश कुमार से बात की है.
2020 के लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने किया था वादा
तेजस्वी ने 2020 विधानसभा चुनाव में कहा था कि राजद की सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में बेरोजगारों को नौकरी देंगे. तेजस्वी ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. इसके जवाब में तब नीतीश और बीजेपी के गठबंधन ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 20 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया गया था. तेजस्वी यादव ने तब ये भी कहा था कि बिहार की नौकरियों में 85 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय युवाओं के लिए होगा. इसके अलावा, छात्रों का पांच लाख रुपए तक का एजुकेशन लोन भी माफ किया जाएगा.
नीतीश पर तेजस्वी ने लगाया था आरोप
विधानसभा चुनाव के वक्त तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार कहते हैं कि उन्होंने 15 साल में 06 लाख नौकरियां दीं. लेकिन वे यह नहीं बताते हैं कि उन्होंने ज्यादातर नौकरियां संविदा वाली दीं. वे पूछते हैं कि पैसा कहां से आएगा? नीतीश सरकार अपने बजट की 40 फीसदी राशि खर्च ही नहीं कर पाती, उस राशि का इस्तेमाल किया जाएगा. हमारी सरकार बनेगी तो मुख्यमंत्री और विधायकों की सैलरी रोककर भी युवाओं को वेतन देंगे.'
नीतीश ने भी भरी हामी-अधिक-से-अधिक रोजगार मिले
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के 10 लाख के वादे के बारे में पूछे जाने पर कहा "यह सही है, हम कोशिश कर रहे हैं और हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे. उन्होंने जो कहा है वह सही है. इसके लिए सभी प्रयास किए जाएंगे." नीतीश कुमार ने आगे कहा कि "हम चाहते हैं लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिले. पहले भी जितने वादे थे वह सब पूरे किए गए.
बिहार में बेरोजगारी की स्थिति
बिहार में जुलाई महीने में बेरोजगारी दर - 18.8 प्रतिशत थी जो मई में 13.3 प्रतिशत थी.
केवल तीन राज्यों में बिहार से अधिक बेरोजगारी का आंकड़ा है, जो हैं-राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा.
नवंबर 2019 से जब से नीतीश और भाजपा का गठबंधन ने बिहार की बागडोर संभाली, तब से राज्य में एक महीने को छोड़कर हमेशा ही दो अंकों से अधिक बेरोजगारी दर देखी गई है.
बिहार में पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो 2021 के मुताबिक
पुलिस विभाग में रिक्त पद
पुलिस विभाग में कुल - 138,961 पद
फिलहाल - 91,862 पद
विभाग में रिक्त पद - 47,099
प्रतिशत रिक्ति - 34 प्रतिशत
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक
ग्रामीण बिहार में डॉक्टरों की कमी
स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला के पद
स्वीकृत 45109 पद स्वीकृत, कार्यरत डॉक्टर 20403, खाली पद 24706 , 55% पद खाली
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की स्थिति
पद स्वीकृत 4,317, कार्यरत डॉक्टर 2,902, खाली पद 1415, 33% पद खाली
विशेषज्ञ चिकित्सक - सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
पद स्वीकृत 836, कार्यरत डॉक्टर 106, खाली पद 730, 87% पद खाली
फार्मासिस्ट
पद स्वीकृत 4,126, कार्यरत डॉक्टर 1,077, खाली पद 3049, 74% पद खाली
प्रयोगशाला तकनीशियन
पद स्वीकृत 4,331, कार्यरत डॉक्टर 979, खाली पद 3352, 77% पद खाली
परिचर्या कर्मचारी
पद स्वीकृत 15,864, कार्यरत डॉक्टर 4,956, खाली पद 10908, 69% पद खाली
बिहार में शिक्षकों के रिक्त पद
शिक्षा विभाग के मुताबिक बिहार में
72,000 प्राथमिक विद्यालयों में 1,25,000 पद रिक्त हैं
माध्यमिक विद्यालयों में 9360 पद रिक्त हैं
उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 40,000 पद रिक्त हैं.
बिहार में गरीबी, कुपोषण और शिशु मृत्यु दर
जहां देश की प्रति व्यक्ति आय 1.5 लाख रुपये सालाना है, वहीं बिहार की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 50,555 रुपये सालाना है.
बिहार में भारत की सबसे ज्यादा करीब 52% गरीबी है.
कुपोषित लोगों की बात की जाए, तो इसमें भी सबसे अव्वल बिहार है, जहां 52% लोग कुपोषित हैं
बिहार में शिशु वयस्क मृत्यु दर भी 4.58% है
इसके अलावा बिहार के करीब 26% बच्चों को स्कूल जाने का मौका नहीं मिलता है.
बिहार में उद्योग और निवेश की बात करें तो वो भी ना के ही बराबर है.
अक्टूबर 2019 से मार्च 2022 के बीच बिहार में सिर्फ 1,250 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया.
आठ बार नीतीश ने ली बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ
पिछले 22 सालों में सीएम नीतीश ने कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन का साथ लेकर बिहार में आठ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. जिसके साथ भी सरकार बनाई वादे और घोषणाओं की झड़ी लगा दी, बावजूद इसके आज भी बिहार देश का पिछड़ा राज्य है. पिछले साल ही केंद्नीय मंत्री इंद्रजीत सिंह ने ही लोकसभा में कहा था कि नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है.
बार-बार गठबंधन की बनी सरकार, पिछड़ा रह गया बिहार
बता दें कि नीति आयोग ने पिछले साल बिहार को 100 में से महज 52 नंबर दिए थे, जो देश के सभी राज्यों से कम थे. जब बिहार में पिछले चार सालों से डबल इंजन की सरकार थी, तब भी बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य क्यों था? अब सवाल ये है कि बिहार का पिछड़ापन दूर करने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी लंबे समय से हो रही है, उस पर केंद्र कब विचार करेगा?
बिहार ने कांग्रेस का शासन देखा, लालू का राज देखा और फिर 22 साल नीतीश कुमार का राज देखा लेकिन आज भी पिछड़ा राज्य है. अब देखना ये है कि बिहार के युवा नेता नीतीश कुमार से कैसे तालमेल बैठाते हैं और बिहार को नई ऊंचाईयों पर ले जाते हैं.
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