Amarinder Singh New Party: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया है. कैप्टन के इस ऐलान के बाद कांग्रेस खेमे में खलबली मची हुई है. पार्टी नेताओं के टूटने के डर से मंगलवार देर रात कॉर्डिनेशन कमिटी की बैठक भी हुई, जिसमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू, हरीश रावत समेत अन्य नेता शामिल हुए. कांग्रेस को डर है कि अमरिंदर के नई पार्टी बनाने से कहीं पंजाब में उसके नेता छिटक न जाएं, जिसका खामियाजा उसे अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में उठाना पड़े. 


अमरिंदर सिंह दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पंजाब में वह नामी नेता हैं और दो बार उन्होंने कांग्रेस को अपने दम पर सत्ता का स्वाद चखाया है. अमरिंदर सिंह की पैठ किसानों के बीच भी कम नहीं है. ऐसे में अमरिंदर के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद पार्टी आलाकमान और नेताओं के माथे पर चिंता की लकीर है. अमरिंदर सिंह पहली बार साल 2002 में मुख्यमंत्री बने थे. 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और फिर अगले 10 साल तक वह पंजाब की सत्ता से बाहर रही. लेकिन साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर की बदौलत ही पंजाब में कांग्रेस की सत्ता वापसी हुई थी. 


दलित सीएम बनाया लेकिन वोट बैंक खिसकने का डर


नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच पिछले दिनों जो टकराव की स्थिति रही वो किसी से छिपी नहीं है. सिद्धू पहले अमरिंदर कैबिनेट में मंत्री थे लेकिन फिर उन्होंने इस्तीफा देकर अमरिंदर के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया. सिद्धू जब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए तो यह कैप्टन खेमे के लिए झटका माना गया. इसके बाद जब अमरिंदर ने खुद को पार्टी में दरकिनार पाया तो उन्होंने 18 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस ने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन कांग्रेस का एक डर यह भी है कि चन्नी से वह दलित वोट तो साध सकती है लेकिन किसानों और बाकी समुदायों के वोट अगर खिसक गए तो पार्टी के लिए दोबारा सत्ता की राह मुश्किल हो जाएगी. इसके अलावा उसके पास कोई और बड़ा चेहरा भी पंजाब में नहीं है.


बीजेपी के साथ जाने की बात कह चुके हैं अमरिंदर


वहीं पिछले दिनों अमरिंदर यह भी कह चुके हैं कि वह बीजेपी के साथ जा सकते हैं और उनकी सीट शेयरिंग पर बात चल रही है, जिस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने भी उन पर हमला बोला था. किसान आंदोलन को लेकर केंद्र और राज्यों में बीजेपी सरकारों को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. ऐसे में अगर अमरिंदर बीजेपी से हाथ मिलाते हैं और किसानों की नाराजगी को कम करने में सफल रहते हैं तो बीजेपी को चुनावों में फायदा मिल सकता है. अब देखना यह होगा कि अमरिंदर के इस दांव पर कांग्रेस क्या चाल चलेगी.   


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