क्या है Oxfam इंडिया जिसके खिलाफ CBI ने दर्ज किया है केस, गृह मंत्रालय ने दिए थे जांच के आदेश
Oxfam India Case: ऑक्सफैम एक ब्रिटिश संस्था है. इसमें अलग-अलग तरह की चैरिटेबल संस्थाएं काम करती हैं. जिनकी संख्या करीब 21 है. दुनिया के तमाम देशों में इस संस्था के तहत काम किया जाता है.
Oxfam India Case: सीबीआई की तरफ से चैरिटी ऑर्गेनाइजेशन Oxfam के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है. ये शिकायत गृह मंत्रालय की तरफ से दी गई थी. करीब 7 महीने पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ऑक्सफेम के अधिकारियों पर छापेमारी की थी. जिसके बाद अब इस ग्लोबल एनजीओ पर आरोप लगा है कि ये चैरिटी के नाम पर धोखाधड़ी कर रहा है और विदेशी फंड का गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑक्सफैम पर FCRA नियमों के उल्लंघन का आरोप है. आइए समझते हैं कि आखिर Oxfam पर किस तरह के आरोप लगे हैं और इसके खिलाफ सीबीआई जांच का क्या असर होगा.
दरअसल कुछ वक्त पहले गृह मंत्रालय की तरफ से ऑक्सफैम का लाइसेंस रिन्यू करने से इनकार कर दिया. इसी के बाद सीबीआई को शिकायत दी गई और अब मामला दर्ज किया गया है. सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर Oxfam क्या है.
क्या है Oxfam?
ऑक्सफैम एक ब्रिटिश संस्था है. इसमें अलग-अलग तरह की चैरिटेबल संस्थाएं काम करती हैं. जिनकी संख्या करीब 21 है. दुनिया के तमाम देशों में इस संस्था के तहत काम किया जाता है. Oxfam इंडिया भी इसी के तहत काम करता है. इसकी स्थापना 1942 में हुई थी. इस इंटरनेशनल एनजीओ का काम गरीबी को दूर करना, हिंसा वाले क्षेत्रों में मदद पहुंचाना, लेबर राइट्स, कपड़े और खाना बांटना, डंपिंग को रोकना आदि है. इस तरह के तमाम कैंपेन ऑक्सफैम की तरफ से चलाए जाते हैं. इस सबके लिए ऑक्सफैम फंड रेजिंग करता है, जिसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं.
Oxfam पर क्या हैं आरोप
ऑक्सफैम इंडिया पर आरोप है कि वो भारत सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था. सीबीडीटी ने जो छापेमारी की है, उसमें इस तरह के कई खुलासे हुए हैं. जिसमें बताया गया है कि बाहर के कई बड़े लोगों और संस्थाओं को भारत सरकार पर दबाव डालकर लाइसेंस रिन्यू करने के लिए कहा गया. शिकायत में ये भी बताया गया है कि ऑक्सफैम इंडिया को फंड करने वाले देश भी भारत पर दबाव डालते हैं.
क्योंकि ऑक्सफैम एक ग्लोबल एनजीओ है, ऐसे में वो बाहर से आने वाले पैसों को अपने कामों में इस्तेमाल कर सकता है. लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए उसने बाकी जगहों में पैसा बांट दिया. इस तरह उसने FCRA नियमों का उल्लंघन किया है.
क्या है FCRA?
भारत में हजारों एनजीओ चल रहे हैं, जिनमें कई जगहों से फंड रेज किया जाता है. यानी विदेशों से भी जमकर पैसा आता है. जिसका इस्तेमाल कई बार गलत तरीके से भी किया जाता है. इसे रोकने के लिए फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट यानी FCRA बनाया गया. कुल मिलाकर इसे विदेश से आने वाले पैसे की देखरेख करने के लिए बनाया गया था. इमरजेंसी के दौरान 1976 में इस एक्ट को लाया गया था, तब भारत में विदेशी ताकतों का हस्तक्षेप तेजी से बढ़ रहा था. बाहर से आने वाले पैसे का भारत में गलत इस्तेमाल किया जा रहा था. जिसके बाद ऐसा कानून बनाने की जरूरत महसूस हुई. साल 2010 और फिर 2020 में इस एक्ट में संशोधन किए गए और इसके नियमों को और कड़ा बनाया गया. जिसमें अब विदेशी फंड लेने वाले तमाम एनजीओ की कड़ी स्क्रूटनी होती है.
- FCRA के तहत आपको अपने एनजीओ या संस्था को रजिस्टर कराना होगा.
- आपको अपनी संस्था का एक बैंक अकाउंट खोलना होगा, जिसकी जानकारी साझा करनी होगी.
- आपको ये दिखाना होगा कि फंड कितना आया और कहां इसे इनवेस्ट किया गया.
- जिस उद्देश्य के लिए विदेश से फंड आया है, उसी पर खर्च किया जाना चाहिए.
- कोई भी एनजीओ या संस्था विदेश से आने वाले फंड को किसी दूसरी संस्था को नहीं दे सकती है.
- नियमों के उल्लंघन पर सरकार कभी भी FCRA रजिस्ट्रेशन को रद्द कर सकती है.
हाल ही में जारी हुई थी Oxfam की चौंकाने वाली रिपोर्ट
ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से कुछ महीने पहले भारत को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसने भारतीय सरकारों की योजनाओं पर सवाल उठाए थे. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में कितनी ज्यादा आय असमानता है. इस रिपोर्ट की खूब चर्चा हुई थी और सरकार पर कई तरह के आरोप लगे.
- ऑक्सफैम रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 5 फीसदी अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का 60 फीसदी हिस्सा है.
- रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला आंकड़ा ये भी था कि भारत में जो 50 फीसदी लोग सबसे ज्यादा गरीब लोग हैं, उनके पास भारत की कुल संपत्ति का महज 3 फीसदी हिस्सा ही मौजूद है.
- ऑक्सफैम ने बताया था कि भारत के सबसे अमीर 21 लोगों के पास उतनी संपत्ति है, जितनी देश के 70 करोड़ लोगों के पास है.
- रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में पिछले कुछ सालों में अरबपतियों की संख्या में जमकर इजाफा हुआ है.
- ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि 2012 से लेकर 2021 के दौरान भारत में जो भी नई संपत्ति पैदा हुई, उसमें 40 फीसदी संपत्ति महज 1 फीसदी लोगों के पास गई.
ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से जारी इस रिपोर्ट के बाद खूब बवाल हुआ था. विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट का सहारा लेकर मोदी सरकार को जमकर घेरा था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तमाम मंचों से इस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सरकार पर हमला बोला और कहा कि मोदी सरकार गरीबों का पैसा अमीरों को बांट रही है. ऑक्सफैम इंडिया की इस चौंकाने वाली रिपोर्ट के बाद सरकार बैकफुट पर नजर आई थी.
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